अनिवार्य रूप से, टेक्निकल राइटर जटिल तकनीकी उत्पादों(technical product) को आसानी से समझने वाले गाइड में तोड़ देते हैं, जो अंत-उपयोगकर्ता(End User) को यह समझने में मदद करते हैं कि उत्पादों और सेवाओं का उपयोग कैसे करें। वे विषय विशेषज्ञ हैं जो अक्सर इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना विकास सहित तकनीकी क्षेत्रों में शैक्षिक पृष्ठभूमि रखते हैं।
शिक्षा विचार
शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप (Various forms of educational technology)
नमस्कार साथियों! शिक्षा विचार में आप सभी का स्वागत हैl दोस्तों आज की इस लेख में हम शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप अथवाVarious forms of educational technology की Study करेंगे। जिसके अंतर्गत हम तीन techniques का प्रयोग करेंगे।
- शैक्षिक तकनीकी प्रथम अथवा हार्डवेयर उपागम (Educational technology-I or software approach)
- शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अथवा सॉफ्टवेयर उपागम (Educational technology-II or software approach)
- शैक्षिक तकनीकी तृतीय अथवा प्रणाली विश्लेषण (Educational technology-III or system approach)
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✓✓अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न
- अभियंत्रण की मशीन के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी प्रथम कहते हैं | स्मरण रहे कि तकनीकी प्रथम का जन्म भौतिक विज्ञान से हुआ है| डेविस के अनुसार शैक्षिक तकनीकी -प्रथम अथवा उपागम शिक्षा और शिक्षा प्रणाली में भौतिक विज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण प्रक्रिया का धीरे-धीरे मशीनीकरण किया जा रहा है, ताकि कम से कम समय में थोड़े से थोड़ा धन खर्च करके अधिक से अधिक विद्यार्थी को शिक्षित किया जा सके
- अर्थात शैक्षिक तकनीकी के अंतर्गत चलचित्र, ग्रामोफोन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, बंद- सर्किट टेलिविजन आदि सभी शिक्षण की मशीनें आती हैं| इनके प्रयोग से शिक्षण को अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण बनाकर शिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है |
- 1.संचय (Preservation)
- 2.हस्तांतरण(Transmission)
- 3.विकास(Development)
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✓✓अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न
- ज्ञान के संचय का इतिहास छापने की मशीनों के आरंभ होने के समय से माना जाता है| इन मशीनों के द्वारा ज्ञान को पुस्तकों के रूप में संचित किया जाता है, जो पुस्तकालय में रखी जाती है| आजकल ज्ञान को पुस्तकों के अतिरिक्त टेप-रिकॉर्डर तथा फिल्म आदि द्वारा भी संचित किया जा सकता है|
- मानवीय ज्ञान का दूसरा पक्ष उसका प्रसार अथवा हस्तांतरण करना हैl वैसे शिक्षक अपने विद्यार्थियों को स्वयं भी ज्ञान प्रदान कर सकता है| आजकल के ज्ञान के प्रसार में माइक, रेडियो तथा टेलीविजन आदि मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है, जिससे असंख्य विद्यार्थी घर बैठे ही लाभ उठाते रहते हैं| इस प्रकार की ‘शैक्षिक तकनीकी प्रथम’ के कारण अब शिक्षा की प्रक्रिया में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो गया है तथा विश्वविद्यालय भी ‘शैक्षिक तकनीकी- प्रथम’ की ही देन है|
- मानवीय ज्ञान का तीसरा पक्ष ज्ञान का विकास करना है| इसके लिए शोध कार्यों की व्यवस्था की जाती है| शोधकर्ता आजकल बिजली की मशीनों तथा कंप्यूटर आदि का प्रयोग करता है। इस प्रकार ज्ञान के तीनों पक्षों में अब मशीनों का प्रयोग होने लगा है अर्थात तकनीकी विश्लेषण हिंदी शिक्षण की प्रक्रिया का यंत्रीकरण हो गया हैं। शिक्षण की प्रक्रिया में इस यंत्रीकरण को शैक्षिक तकनीकी प्रथम अथवा हार्डवेयर उपागम कहते हैं|
>>>>>>लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास की अवस्था का सिद्धांत
>>>>>>जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
- शैक्षिक तकनीकी के उस रूप को अनुदेशन-तकनीकी(Instructional Technology), शिक्षण तकनीकी(Teaching Technology) तथा व्यवहार तकनीकी (Behavioral Technology) का नाम भी दिया गया है| तकनीकी के इस रूप में अभियंत्रण में मशीनों का प्रयोग नहीं किया जाताl इसमें शिक्षण तथा सीखने के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन किया जा सके| यदि मशीनों का प्रयोग किया जाता तो वह केवल पाठ्यवस्तु को प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है| ‘शैक्षिक तकनीकी-द्वितीय’ का संबंध उद्देश्यों के व्यवहारिक रूप, शिक्षण के सिद्धांतों, शिक्षण की विधियां तथा प्रविधियां, अनुदेशन प्रणाली के पुनर्बलन(Reinforcement) एवं मूल्यांकन(Evaluation) से होता है| संक्षेप में, इस तकनीकी उपागम का तात्पर्य शिक्षक तथा सीखने के सिद्धांतों का उपयोग करना है|
- शैक्षिक तकनीकी तृतीय अथवा प्रणाली विश्लेषण को प्रबंधन तकनीकी (Management Technology) भी कहते हैं| इसने प्रशासन, प्रबंध, व्यापार, उद्योग तथा सेना से संबंध रखने वाली समस्याओं के विषय में निर्णय लेने के लिए वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किया जाता है| शैक्षिक तकनीकी तृतीय के अंतर्गत शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंध की समस्याओं का वैज्ञानिक तथा परिणामात्मक ढंग से अध्ययन किया जाता है| इसके प्रयोग से शैक्षिक प्रणाली, शैक्षिक प्रशासन तथा प्रबंध कों प्रभावशाली बनाया जा सकता है| संक्षेप में, शैक्षिक तकनीकी तृतीय शैक्षिक प्रशासन के विकास तथा अनुदेशन की रूप- रेखा का निर्माण करने में सहयोग प्रदान करती है|
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निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें
Share Market: जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST
हाइलाइट्स
स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.
मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने तकनीकी विश्लेषण हिंदी होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.
जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
निवेश की अवधि
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपने निवेश की अवधि तय करनी होगी. आप कम, मध्यम और लंबी अवधि के लिए किसी भी स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, यह अवधि आपके आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है. ज्यादातर लंबी अवधि का निवेश स्टॉक मार्केट में बेहतर रिटर्न देता है. यह अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है.
कंपनी के फंडामेंटल चेक करें
हर निवेशक को शेयर खरीदने से पहले फंडामेंटल चेक कर लेना चाहिए. इसमें तकनीकी विश्लेषण हिंदी कंपनी का कारोबार और उसकी ग्रोथ के बारे में जानें. आखिर कंपनी क्या बिजनेस करती है और भविष्य में इस बिजनेस को लेकर क्या संभवानाएं हैं. वहीं, कंपनी इस सेक्टर में अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कहां खड़ी है.
कंपनी के प्रोमोटर कौन हैं और उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल को लेकर कितना अनुभव है. इसके अलावा कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न का अध्ययन भी करना चाहिए कि आखिर कंपनी में प्रोमोटर, रिटेल निवेशक और घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की कितनी हिस्सेदारी है. माना जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में विभिन्नता होनी चाहिए और ऐसे ही कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले निवेशक को यह भी देखना चाहिए कि समकक्ष कंपनियों के शेयर की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्म की तकनीकी विश्लेषण हिंदी मदद से आप यह तुलना कर सकते हैं. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बहुत करना जरूरी हो जाता है.
टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के चार्ट की स्टडी करके हर रोज, साप्ताहिक और मासिक अवधि में स्टॉक के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जाता है. इसके जरिए आप शेयर के भाव की एक रेंज के बारे में जान सकते हैं कि विभिन्न अवधि में यह शेयर किसी भाव के आसपास रहता है. स्टॉक का प्राइस कहां सपोर्ट बनाता है और कहां रजिस्टेंस बनाता है. इस आधार पर किसी भी शेयर को सही कीमत पर खरीद सकते हैं और अच्छा रिटर्न मिलने पर बेच सकते हैं.
म्यूचुअल फंड और अन्य बड़े निवेशकों की खरीदी
हर रिटेल इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले यह जानना चाहता है कि बड़े निवेशक जैसे- म्यूचुअल फंड हाउस, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी कितनी है. दरअसल बड़े निवेशक किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले बहुत अध्ययन करते हैं इसलिए आम निवेशक को लगता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा खरीदे गए शेयर निवेश के लिए ज्यादा सही और बेहतर होते हैं.
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ट्रेंड लाइन के आधार पर कैसे समझें निवेश का पैटर्न?
ट्रेंड लाइन एक प्रकार का तकनीकी संकेत है, जो दर्शाता है कि शेयर का भाव किस दिशा में जा रहा है.
तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है.
जब बाजार में तेजी हावी होती है और यह अगली गिरावट का आधार तय करती है, तो ऐसी स्थिति में ट्रेड लाइन ऊपर बढ़ने के साथ-साथ हमेशा सपोर्ट स्तर प्रदान करती है, जो समय के साथ बदलता रहता है. इस स्थिति में ऐसी ट्रेंड लाइन के करीब की कीमतों पर खरीदारी करना फायदेमंद रहता है.
हालांकि, यदि सपोर्ट स्तर पार हो जाता है तो गिरावट दर्ज की जा सकती है. ऐसे में कारोबारियों को इसी ट्रेंड लाइन पर अपनी स्टॉप लॉस कीमत निर्धारित करनी चाहिए. इसी प्रकार गिरावट के हावी रहने पर सपोर्ट स्तर की जगह रेसिस्टेंस दर्ज किया जाता है. निवेशकों को इस दौरान बिक्री करनी चाहिए.
एक खास बात है कि कारोबारियों को वॉल्यूम को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ट्रेंड लाइन पर किस कीमत पर क्या वॉल्यूम रहता है, यह आंकलन आपको कई बातें समझा सकता है. अमूमन अधिक वॉल्यूम का अर्थ होता है कि शेयर का मौजूदा दौर (तेजी या कमजोरी) जारी रहने वाला है.
यदि ट्रेंड लाइन टूट जाए तो
यदि किसी शेयर की ट्रेंड लाइन टूट जाती है या खंडित हो जाती है, तो माना जाता है कि उस शेयर से निवेशकों की उम्मीद बदल गई है. गिरावट दर्शा रही ट्रेंड लाइन का टूटने का अर्थ है कि शेयर खरीदारी के संकेत दे रहा है और तेजी दिखाने वाले ट्रेंड लाइन टूटने का अर्थ है कि शेयर को बेचना बेहतर होगा.
दोनों ही मामलों में स्टॉप लॉस रखना चाहिए. इस तरह के मामलों में भी वॉल्यूम काफी महत्वपूर्ण हो जाती है और हलचल तब अधिक होगी जब ट्रेंड लाइन टूटने के साथ वॉल्यूम में भी इजाफा हो.
ट्रेंड लाइन से जुड़े एंगल
यदि किसी शेयर की ट्रेड लाइन में एकाएक तेजी देखने को मिलती है, तो इसका अर्थ है कि वह शेयर ऊफान पर है. यह भी संभव है कि शेयर की तेजी ज्यादा समय तक जारी न रहे. इसे एक उदाहरण के साथ समझते हैं.
दिए गए चार्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज की ट्रेंड लाइन है. लाल निशान वाली ट्रेंड लाइन दिखा रही है कि शेयर में एकाएक तेजी आई है, मगर कुछ तकनीकी विश्लेषण हिंदी ही समय बाद यह फिसल गया, मगर शेयर की थोड़ी-बहुत तेजी जारी रहे.
दूसरी तरफ, तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है. इसके लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चार्ट में हरी रेखा पर गौर करें.
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कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern) के सम्बन्ध में कुछ ध्यान देने वाली बाते
कैंडलस्टिक पैटर्न से हमें सिर्फ ये पता चलता है कि, Trade लेते समय Entry point क्या होना चाहिए, और Trade का Stop loss क्या होना चाहिए, कैंडलस्टिक पैटर्न की हेल्प से हमें ट्रेड में प्रॉफिट कब बुक करना है, ये समझ में नहीं आता है,
Bulls और Bears की स्पस्ट पहचान
कैंडलस्टिक पैटर्न से हमें Bulls और Bear को पचानने के साथ उनके बीच बनने वाले अलग अलग पैटर्न और मार्केट में बनने वाले ट्रेंड को बहुत आसानी से समझने का मौका मिलता है,
सभी कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना अनिवार्य नहीं है –
हमने अभी तक 16 महत्वपूर्ण, और ज्यादा पोपुलर कैंडलस्टिक के बारे में पढ़ा है, वैसे Candlestick Pattern और बहुत सारे भी है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि – हमें सभी कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना जरुरी नहीं है, बल्कि जितने कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में हमने अभी तक पढ़ा, उनको समझना ही काफी होगा, अगर हम इनको पहचानना सिख ले, तो हम मार्केट के उतार चढाव को आसानी से समझ जायेगें,
कैंडलस्टिक पैटर्न, मार्केट की कहानी को चित्र द्वारा बताता है
Candlestick Pattern अलग अलग चित्रों यानि पैटर्न के माध्यम से मार्केट के बारे में हो रहे सभी उतार चढाव के बारे में स्पस्ट चित्र देता है, और मार्केट के बारे में होने वाले बार बार के पैटर्न से लाभ उठाने के मौके भी देता है, जब कैंडलस्टिक को समझना शुरू कर देते है, तो फिर ऐसा लगता है जैसे हर चार्ट आपसे बात करता है, और कुछ बताना चाहता है, बस आपको ध्यान देने की जरुरत है, और सही पैटर्न को पहचानने की भी जरुरत होती है,
कैंडलस्टिक पैटर्न ट्रेंड्स को बताता है,
Candlestick Pattern से हमें बहुत आसानी से UP TREND, DOWN TREND, और SIDEWAYS के बारे में समझने का और किसी TRADE के लीए POINT OF VIEW बनाने का मौका मिलता है,
Candlestick Pattern – Summary
जैसे मैंने पहले कहा – अलग अलग बहुत सारे Candlestick Pattern हमें सभी Candlestick Pattern को सीखना और समझना जरुरी नहीं है, बल्कि कैंडलस्टिक को समझने का मुख्य उद्देश्य ये है कि मार्केट में हो रहे उतार चदाव, Bulls और Bears , और मार्केट की दिशा यानी Trend को को समझा जाये,
और इसलिए कैंडलस्टिक के इन पोपुलर पैटर्न को समझने के बाद, इनकी सही प्रैक्टिस करके इनको चार्ट में पहचानते हुए, अपने ट्रेड के लिए Point of View को समझना महत्वपूर्ण है,
टेक्निकल राइटर क्या है?[What is a technical writer? in Hindi]
एक तकनीकी विश्लेषण हिंदी टेक्निकल राइटर एक पेशेवर लेखक है जो जटिल जानकारी संचार(Communicate) करता है। तो वास्तव में एक टेक्निकल राइटर क्या करता है? वे तकनीकी दस्तावेज(Technical Document) बनाते हैं जिसमें Instruction manuals, user manuals, journal articles, quick reference guides और white paper जैसी चीजें शामिल होती हैं। वे सोशल मीडिया पोस्ट, प्रेस रिलीज़ और वेब पेजों सहित अधिक सामान्य प्रकार की सामग्री(content) भी बना सकते हैं।
अनिवार्य रूप से, टेक्निकल राइटर जटिल तकनीकी उत्पादों(technical product) को आसानी से समझने वाले गाइड में तोड़ देते हैं, जो अंत-उपयोगकर्ता(End User) को यह समझने में मदद करते हैं कि उत्पादों और सेवाओं का उपयोग कैसे करें। वे विषय विशेषज्ञ हैं जो अक्सर इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना विकास सहित तकनीकी क्षेत्रों में शैक्षिक पृष्ठभूमि रखते हैं।
टेक्निकल राइटर का क्या मतलब है?[What does technical writer mean? in Hindi]
एक टेक्निकल राइटर व्यवसाय और तकनीकी दस्तावेजों की एक विस्तृत स्पेक्ट्रम(wide spectrum) को विकसित करने में एक विशिष्ट भूमिका निभाता है। तकनीकी लेखन के प्रमुख पहलुओं में तकनीकी विवरण या विशिष्टताओं, लगातार लेखन शैली और मानकों और लेखन में किसी भी व्यक्तिपरक या व्यक्तिगत(Subjective or personal) आवाज़ से बचने पर ध्यान देना शामिल है।
टेक्निकल राइटर कैसे बनें?[How to become a technical writer? in Hindi]
तकनीकी लेखन एक आशाजनक पेशेवर कैरियर है जो व्यवसायों के लिए आवश्यक है। यदि आप एक टेक्निकल राइटर बन जाते हैं, तो आप लोगों को यह समझने में मदद करेंगे कि प्रौद्योगिकी उत्पादों का उपयोग कैसे करें और मूल्यवान रिपोर्ट के साथ निर्णय निर्माताओं को प्रदान करके व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार करें।
टेक्निकल राइटर होने के लिए आपको किन योग्यताओं की आवश्यकता है?
Employers typically graduate in journalism, English, or communications की डिग्री के साथ टेक्निकल राइटर को पसंद करते हैं। कई तकनीकी लेखन नौकरियों के लिए एक विशेष क्षेत्र में डिग्री और ज्ञान दोनों की आवश्यकता होती है, जैसे इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, या चिकित्सा।
क्या टेक्निकल राइटर एक अच्छा करियर है?[Is a technical writer a good career? in Hindi]
हां, यह बहुत अच्छा विकल्प है। आजकल तकनीकी लेखन करियर, जिसे तकनीकी संचार के तकनीकी विश्लेषण हिंदी रूप में भी जाना जाता है, सबसे लोकप्रिय नौकरियों में से एक है। वे U.S. News के अनुसार सर्वश्रेष्ठ नौकरियों में शीर्ष 100 में 85 वें स्थान पर हैं।
क्या टेक्निकल राइटर मांग में हैं?[Are technical writers in demand? in Hindi]
टेक्निकल राइटर का रोजगार 2018 से 2028 तक 8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो सभी व्यवसायों के लिए औसत से तेज है। वैज्ञानिक और तकनीकी उत्पादों के निरंतर विस्तार और वेब-आधारित उत्पाद समर्थन(Support) में वृद्धि टेक्निकल राइटर के लिए रोजगार की मांग को बढ़ाएगी।
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