15 साल के लिए मंथली एसआईपी पर 12 फीसदी सालाना रिटर्न मानते हुए और एसआईपी में सालाना 15 फीसदी राशि बढ़ाते हुए एसआईपी रिटर्न कैलकुलेटर के अनुसार आपको शुरुआत 41,500 रुपये से करने होगी. 15 साल के अंत में आपके हाथ में 5,01,20,99 या लगभग 01 करोड़ रुपये की मैच्योरिटी राशि आएगी.
फाइनैंशियल इन्फ्लुएंसर सेबी की हारी हुई लड़ाई
बाजार में तेजी का हर दौर पिछले दौर से अलग होता है। यह बात केवल शेयरों के प्रकार और विभिन्न क्षेत्रों पर ही लागू नहीं होती बल्कि इससे होने वाले सामाजिक बदलावों पर भी यह बात लागू होती है। 2020 के मध्य में आरंभ हुए तेजी के दौर के कारण दो बदलाव आए: पहला, नए खाते खुलने में जबरदस्त तेजी आई और दूसरा, ऐसे सोशल मीडिया हैंडलों और चैनलों का जमकर क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? विस्तार हुआ जो शेयरों की खरीद बिक्री को लेकर सलाह देते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो वे क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? इतने अधिक बड़े और प्रभावशाली हो गए कि वे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के उन तीन नियमों का मजाक सा उड़ा रहे हैं जो निवेश सलाह, निवेश शोध और पोर्टफोलियो प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में गतिविधियों का संचालन करते हैं। अब सेबी इन फाइनैंशियल इन्फ्लुएंसर्स के लिए अलग नियम बनाने की योजना बना रहा है। ये इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया पर सामान्य निवेशकों को शेयरों, सामान्य निवेश, म्युचुअल फंड आदि को लेकर बिन मांगी सलाह देते हैं। क्या सेबी की योजना कारगर साबित होगी?
कोरोना संकट: म्यूचुअल फंड में निवेश का अभी सही समय क्यों है?
हाल के हफ्तों में पूरी दुनिया के शेयर बाजार में अप्रत्याशित तबाही दिखी है. बरसों की कमाई कुछ दिनों में स्वाहा हो गई. बाजार में बिकवाली का ऐसा दबाव रहा है कि दुनिया के सेंट्रल बैंक के ऐतिहासिक कदम भी इस गिरावट को रोक नहीं पाए.
अब सबके मन में यही सवाल है कि क्या ऐसी तबाही के माहौल में बाजार में एंट्री करनी चाहिए? क्या बाजार ने निचले स्तर को छू लिया है और रिकवरी शुरू होने वाली है? क्या म्यूचुअल फंड में पैसा डालने का समय आ गया है? और जिनका पैसा लगा हुआ है वो सोच रहे हैं कि और भी गिरावट हो इससे पहले अपना पैसा बाजार से निकाल लिया जाए?
क्या यही समय है कहने का कि म्यूचुअल फंड क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? सही है?
पिछले 40 सालों में शेयर बाजार ने जितना रिटर्न दिया है वो किसी भी एसेट क्लास से काफी ज्यादा रहा है. मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर आपने 10-10 हजार रुपए 1979 में बैंक के फिस्क्ड डिपॉजिट, सोना और सेंसेंक्स में लगाए होते तो 2019 तक वो बढ़कर क्रमश: 2.68 लाख रुपए, 4.08 लाख क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? रुपए और 45.28 लाख रुपए हो जाते.
15 साल में आप भी कमा सकते हैं 5 करोड़, जानें आपको क्या करना है
15 साल में आप भी बना सकते हैं करोड़ों का फंड
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 24 जनवरी 2022,
- (Updated 24 जनवरी 2022, 5:44 PM IST)
कम सैलेरी वालों के लिए उपयोगी है ये फंड
करोड़पति बनने का सपना हर कोई देखता है और इस सपने को पूरा करने के लिए म्युचुअल फंड एक बढ़िया ऑप्शन है. इसके लिए जरूरत है बेहतर प्लान की, और ये प्लान दो तरीकों से पूरा किया जा सकता है. पहला- आपको निवेश जल्द शुरू करना होगा, दूसरी- आपको निवेश लगातार जारी रखना होगा. दरअसल अगर आप इनकम का एक हिस्सा हर महीने निवेश करें तो 15 सालों में 5 करोड़ रुपये जमा किए जा सकते हैं. हम आपको एक ट्रिक बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप 15 सालों में 5 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं: -
एसआईपी
जिन लोगों के पास एक बार में बड़ी रकम निवेश करने के लिए नहीं होती है, उन्हें म्यूचुअल फंड में व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) का ऑप्शन अपनाना चाहिए ,लंबे समय के निवेशक अपने म्यूचुअल फंड एसआईपी पर सालाना 12 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं.
अपनाएं ये रणनीति अपनाएं
विस्तार
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
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