अमेजन और फ्लिपकोर्ट का मुकाबला करेगा यह देसी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल, यहाँ पर नहीं बिकेगा चीनी सामान!
नई दिल्ली, 12 मार्च। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने गुरुवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर वेन्डर मोबाइल एप्लीकेशन भारत ई-मार्केट को दिल्ली में लॉन्च कर दिया। भारतीयों को ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए ई कॉमर्स कम्पनी अमेजन और कॉमर्स पोर्टल भारत फ्लिपकार्ट जैसे विदेशी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा।
करीब 8 करोड़ व्यापारियों के संगठन कैट का दावा है कि भारत ई-मार्केट पूरी तरह से देसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है और ये पूरी तरह से आधुनिक टेक्नोलॉजी, सशक्त डिलीवरी, इनोवेटिव मार्केटिंग, सक्षम डिजिटल पेमेंट सहित पारदर्शी एवं जिम्मेदार व्यापारिक व्यवस्था के आधार पर निर्मित किया गया है। यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व के किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा। कैट ने यह दावा भी कॉमर्स पोर्टल भारत किया कि भारत ई-मार्केट पर सबसे सस्ती दरों पर सामान और सेवाएं देगा जो उपभोक्ताओं के लिए लाभ का सौदा होगा।
लोकल उत्पादों को मिलेगा बढ़ावा
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कॉमर्स पोर्टल भारत 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया था जिसमें भारतीय वस्तुओं एवं टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया था। कैट ने इसी अभियान के अंतर्गत भारत ई-मार्केट पोर्टल को लांच करने की योजना बनाई, जिसके द्वारा भारतीय वस्तुओं के निर्माणकर्ताओं एवं व्यापारियों को इस पोर्टल पर अपनी ई-दुकान खोलकर लोकल उत्पादों को बढावा दिया जा सके। ण् इस पोर्टल पर व्यापारी से व्यापारी (बी2बी) तथा व्यापारी से उपभोक्ता (बी2सी) व्यापार बेहद आसानी से हो सकेगा।
ई-मार्केट पोर्टल की विशेषता
– पोर्टल पर व्यापारी से व्यापारी (बी2बी) और व्यापारी से उपभोक्ता (बी2सी) अपना माल बेच और खरीद सकेंगे।
– पोर्टल पर ई-दुकान खोलने के लिए हर व्यक्ति को मोबाइल ऐप के जरिए ही सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा।
– इस पर दर्ज जानकारी विदेश नहीं जाएगी, क्योंकि ये कॉमर्स पोर्टल भारत पूरी तरह से घरेलू ऐप है। सारा डाटा देश में ही रहेगा और इसे बेचा नहीं जाएगा।
Jabra ने भारत में लॉन्च किया नया हेडसेट और ई-कॉमर्स पोर्टल
ऑडियो ब्रांड कंपनी Jabra ने भारत में एक नया हेडसेट Biz 1100 लॉन्च किया है. कंपनी ने इसके दो मॉडल Biz 1100 Duo और Biz 1100 Mono को भारत में लॉन्च किया है. कंपनी ने जानकारी दी है कि ये इस प्रोडक्ट का ग्लोबल डेब्यू है. कंपनी के मुताबिक इन मॉडलों की कीमत करीब 3,000 रुपये से लेकर 4,000 रुपये के बीच होगी. भारत में ग्राहकों को ये प्रोडक्ट 20 मई 2018 से उपलब्ध होगा.
साकेत सिंह बघेल
- नई दिल्ली,
- 16 मई 2018,
- (अपडेटेड 16 मई 2018, 9:45 PM IST)
ऑडियो ब्रांड कंपनी Jabra ने भारत में एक नया हेडसेट Biz 1100 लॉन्च किया है. कंपनी ने इसके दो मॉडल Biz 1100 Duo और Biz 1100 Mono को भारत में लॉन्च किया है. कंपनी ने जानकारी दी है कि ये इस प्रोडक्ट का ग्लोबल डेब्यू है. कंपनी के मुताबिक इन मॉडलों की कीमत करीब 3,000 रुपये से लेकर 4,000 रुपये के बीच होगी. भारत में ग्राहकों को ये प्रोडक्ट 20 मई 2018 से उपलब्ध होगा.
कंपनी ने बताया कि ये खासतौर पर कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बनाया गया है. स्पेसिफिकेशन्स की बात करें तो Jabra Biz 1100 मॉडल्स में मैक्जिमम स्पीकर इनपुट पावर 30mW की है और इनका माइक्रोफोन फ्रिक्वेंसी रेंज 2-5kHz है. इनमें नॉयस कैंसलिंग यूनि-डायरेक्शनल माइक्रोफोन मौजूद है और इसे 270 डिग्री एडजस्टेबल आर्म के साथ हेडबैंड डिजाइन में तैयार किया गया है.
साथ ही इवेंट के दौरान कंपनी ने एक नए ई-कॉमर्स पोर्टल- jabra.in की लॉन्चिंग भी की. इसे अगले 45 दिनों के भीतर शुरू कर दिया जाएगा. कंपनी ने इवेंट के दौरान बताया कि इस पोर्टल के जरिए देशभर के ग्राहकों को डिलीवरी की सुविधा कॉमर्स पोर्टल भारत मिलेगी.
इसके अलावा Jabra ने ये भी घोषणा कि है की कंपनी इनोवा टेलीकॉम में अतिरिक्त 46% हिस्सेदारी हासिल कर रही है. इस नए जॉइंट वेंचर से कंपनी की इनोवा में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत हो जाएगी. इस नई साझेदारी को अब 'जाब्रा कनेक्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' या शॉर्ट में जाब्रा कनेक्ट नाम से जाना जाएगा.
Bharat e Market portal
Question : A ‘purely Indian’ E-Market portal called ‘Bharat e Market’ will be launched by which organization?
a) Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry (FICCI)
b) Associated Chambers of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM)
c) Confederation of All India Traders (CAIT)
d) None of the above
Ans: c)
Context
अब छोटे व्यापारी भी ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से अपना व्यापार कर सकेंगे
नई दिल्ली (New Delhi), 17 दिसंबर . देशभर के गैर-पंजीकृत छोटे विक्रेताओं को ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से अपना माल बेचने की अनुमति देने के फैसले का कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने स्वागत किया है. कैट ने जीएसटी काउंसिल के इस फैसले को एक बड़ा कदम बताया है.
कारोबारी संगठन कैट ने शनिवार (Saturday) को जारी बयान में कहा कि जीएसटी परिषद के इस फैसले से अब छोटे व्यापारी भी ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से अपना व्यापार कर सकेंगे. कैट ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) (Prime Minister Narendra Modi) और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तारीफ करते हुए धन्यवाद दिया है. कैट ने कहा कि ये एक प्रगतिशील निर्णय है, जिसकी पिछले दो साल से अधिक समय से मांग की जा रही थी.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी परिषद का यह निर्णय छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स के माध्यम से अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए सशक्त बनाएगा. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को देशभर में मजबूती प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि देश में 8 करोड़ से ज्यादा छोटे व्यापारी हैं, लेकिन बड़ी संख्या में व्यापारी जीएसटी पंजीकरण के बिना व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं, क्योंकि उनकी सालाना बिक्री जीएसटी सीमा से बेहद कम है. ऐसे व्यापारी अब ई-कॉमर्स पोर्टल पर व्यापार कर सकेंगे, जो कि एक बहुत बड़ी बात है.
खंडेलवाल ने कहा कि भारत तेजी से ई-कॉमर्स हब के तौर पर उभर रहा है. ऑनलाइन कारोबार में जबरदस्त वृद्धि हो रही है. देश में ई-कॉमर्स कारोबार अब कुल खुदरा का करीब 10 फीसदी और वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कुछ क्षेत्रों का लगभग 25-50 फीसदी है. इसे देखते हुए यह अत्यंत प्रासंगिक था कि छोटे वेंडर जिनका टर्नओवर कम है और जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं. इससे वे ऑनलाइन कारोबार करने में सक्षम नहीं थे, जिससे बाजार और व्यापार के अवसरों का भारी नुकसान हो रहा था.
यदि विक्रेता प्रोडक्ट के "ओरिजिन कंट्री" का उल्लेख नहीं करता तो ई-कॉमर्स पोर्टल उत्तरदायी: उपभोक्ता फोरम
हैदराबाद के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने नोट किया कि उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स नियम) 2020 के तहत विक्रेता प्रोडक्ट के ओरिजिन कंट्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य है और ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आवश्यक जानकारी प्रदर्शित हो ताकि ग्राहक सूचित विकल्प बना सके।
यदि ई-कॉमर्स नियमों का कोई उल्लंघन होता है तो ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत बिचौलियों के लिए उपलब्ध "सुरक्षित बंदरगाह" प्रतिरक्षा को लागू नहीं कर सकता।
इसलिए, उपभोक्ता फोरम ने पेटीएम (ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस) और यूनी वन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (विक्रेता) को सेवा की कमी के लिए उत्तरदायी ठहराया और मामले में शिकायतकर्ता वकील बागलेकर आकाश कुमार को 15,000 रुपये का मुआवजा दिया।
शिकायत आकाश कुमार द्वारा अगस्त, 2020 में पेटीएम के माध्यम से 13,440 रुपये में खरीदी गई उषा सिलाई मशीन से संबंधित है। जब पैकेज दिया गया तो शिकायतकर्ता को पता चला कि मशीन थाईलैंड में बनी है। उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के नियम 6(5)(डी) के तहत निर्माता ने साइट पर ओरिजिन कंट्री को प्रदर्शित नहीं किया। चूंकि कोई जानकारी नहीं दी गई, इसलिए शिकायतकर्ता ने मान लिया कि उत्पाद भारत में बनाया गया है। शिकायतकर्ता ने प्रस्तुत किया कि यदि ऑनलाइन पोर्टल पर ओरिजिन कंट्री का उल्लेख किया गया होता तो वह सिलाई मशीन नहीं खरीदता।
शिकायत का विरोध करते हुए पेटीएम ने तर्क दिया कि यह ऑनलाइन मार्केट प्लेस है, जो विभिन्न विक्रेताओं को अपने उत्पादों को बेचने के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करता है और विक्रेताओं और खरीदारों के बीच बिक्री लेनदेन की सुविधा के लिए केवल मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है और उत्पाद की बिक्री के साथ इसका कोई सीधा संबंध नहीं है।
निर्माता ने तर्क दिया कि ओरिजिन कंट्री से संबंधित जानकारी को छोड़ देना अनुचित व्यापार व्यवहार का कृत्य नहीं है, जब अन्य सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान की गई हो। यह भी प्रस्तुत किया गया कि शिकायतकर्ता को अपने निर्णय को एक धारणा पर आधारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसके पास निर्माता से स्पष्टीकरण मांगने का विकल्प है। आगे यह प्रस्तुत किया गया कि अनजाने में चूक के कारण शिकायतकर्ता को कोई नुकसान, चोट, मानसिक पीड़ा या आघात नहीं हुआ।
उपभोक्ता फोरम ने देखा,
"उपभोक्ता को विशेष रूप से कंट्री की उत्पत्ति का उल्लेख किए बिना किसी विशेष उत्पाद को खरीदने के लिए प्रेरित करना उपभोक्ताओं को वह जानकारी प्रदान नहीं करने के रूप में माना जा सकता है, जो ई-कॉमर्स नियम 2020 के तहत प्रदान की जानी है।"
फोरम ने आगे कहा,
"मामला प्रासंगिक नियमों के दायरे में आता है, जो निर्दिष्ट करता है कि विक्रेता ई-कॉमर्स इकाई को अपने प्लेटफॉर्म या वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के लिए जानकारी प्रदान करेगा, यानी बिक्री के लिए दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बारे में मूल देश सहित सभी प्रासंगिक विवरण देने चाहिए, जो खरीद से पहले के चरण में उपभोक्ता को सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक है। अनिवार्य जानकारी प्रदान नहीं करना भ्रामकता के अलावा और कुछ नहीं है, जो उपभोक्ता की पसंद को विकृत करता है।"
विक्रेता के लापरवाह आचरण के लिए ई-कॉमर्स संस्था उत्तरदायी
कंज्यूमर फोरम ने पेटीएम के तर्कों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "ऑनलाइन व्यापारियों के दायित्व में आदर्श बदलाव है, जो अब तक बिचौलियों की प्रकृति में प्रमुख रूप से कार्य करते थे।" ई-कॉमर्स नियम लागू होने के साथ ऑनलाइन व्यापारी विक्रेता द्वारा ग्राहक को हुए नुकसान के लिए सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हो जाएंगे। इसका मतलब यह है कि विक्रेता द्वारा लापरवाह आचरण के मामलों में भी ई-कॉमर्स इकाई पर दायित्व का भार पड़ेगा, यदि कोई नुकसान अंतिम उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है।
"ई-कॉमर्स नियम स्पष्ट रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सहित ई-कॉमर्स संस्थाओं की विकृत देयता को स्पष्ट करते हैं। खुद को केवल बिचौलियों के रूप में पेश करके और आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत देयता छूट का दावा करना वर्तमान मामले में लागू नहीं होता, क्योंकि सभी ई-कॉमर्स संस्थाओं को सभी उत्पादों पर ओरिजिन कंट्री का उल्लेख करना होगा, विशेष रूप से जब अन्य देशों से आयात किया जाता है, जिन्हें बिक्री के लिए पेश किया जाता है।
मूल देश का उल्लेख नहीं करना ई-कॉमर्स नियमों का उल्लंघन
आदेश में आगे कहा गया,
"ई-कॉमर्स वेबसाइटों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय ने उपभोक्ताओं की खरीदारी की आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत की है। जब उपभोक्ता किसी उत्पाद को खरीदने का निर्णय लेते हैं तो वे मुख्य रूप से अपने उत्पाद विज्ञापन में कंपनियों द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर भरोसा करते हैं। हालांकि , इस दौड़ में शीर्ष पर रहने के कारण झूठे दावों, छिपाने और भ्रामक जानकारी के कदाचार में वृद्धि हुई है। वर्तमान मामले में उत्पाद पर ओरिजिन कंट्री का उल्लेख नहीं करने का कार्य प्रासंगिक ई- के वाणिज्य नियम के उल्लंघन के अलावा और कुछ नहीं है।"
उमा वेंकट सुब्बा लक्ष्मी (अध्यक्ष), सी लक्ष्मी प्रसन्ना (सदस्य) और श्रीमती माधवी सासनकोटा (सदस्य) वाले आयोग ने इस प्रकार विपरीत पक्षों 1 और 2 को निर्देश दिया कि वे उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) का अनुपालन करें। नियम, 2020 को अक्षरशः और सुधारात्मक उत्पाद सूचना जारी करना जो तत्काल शिकायत में प्रश्न के लिए आया है। आयोग ने प्रतिवादियों को कॉमर्स पोर्टल भारत सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार को अपनाने के लिए 15,000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।
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