Investor और Trader कौन होता है ? इनमे क्या अंतर है ?
What is the difference between investor and trader:- मुझे आज भी याद है जब मैं स्टॉक मार्केट में नया नया था तब मैंने बहुत सारे लोगों से सुना था कि स्टॉक मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करके एक इन्वेस्टर बन कर आप अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना था कि आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करके बहुत ही कम समय में लाखों करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। तो तब मेरे दिमाग में यह सवाल बार-बार आता था कि आखिर यह इन्वेस्टर कौन होता है ? इन्वेस्टिंग का मतलब क्या होता है ? ट्रेडर कौन होता है ? और ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ? और ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है इन दोनों में क्या अंतर होता है ? मेरी तरह आपके मन में भी यह सवाल हो सकते हैं। अगर हैं ? तो यह लेख पढ़ने के बाद आपके सभी सवाल लोगों के जवाब आपको मिल जाएंगे।
Investing का मतलब क्या होता है ? Investor कौन होता है ?
स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के शेयर एक लंबे समय के लिए खरीदता है और जब उसके शेयर्स की कीमत खरीद प्राइस से कई गुना हो जाती हैं तब उन शेयर को बेचकर वह अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेता है। इसी को इन्वेस्टिंग कहते हैं। चलिए इसको एक उदाहरण से समझते है।
जैसे कि मान लीजिए राहुल नाम का एक लड़का है जिसकी उम्र 25 साल है। अभी उसके पास ₹100000 पड़े हैं जिसकी जरूरत उसे आने वाले 10 से 15 सालों के लिए नहीं पड़ेगी, इसलिए वह इन ₹100000 के शेयर्स खरीद लेता है। इसके बाद वह 15 साल तक अपने शेयर नहीं बेचता है। तो इन 15 सालों में राहुल के ₹100000 कई गुना तक हो जाएंगे।
अगर राहुल ने किसी अच्छी ग्रोथ वाली कंपनी में पैसे लगाए हो तो उसके पैसे 15 साल में 10 से 15 गुना भी हो सकते हैं। यानी कि 15 साल पहले राहुल ने जो ₹100000 के शेयर खरीदे थे उनकी कीमत 15 साल बाद 10 लाख से 15 लाख रुपए हो जाएगी और जब राहुल उन शेयर्स को बेचेगा तो उसे 15 लाख रुपए ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है मिलेंगे। तो इस प्रकार से शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स इन्वेस्टिंग करते हैं और पैसे कमाते है।
Trading का मतलब क्या होता है ? Trader कौन होता है ?
वैसे तो ट्रेडर में भी कई प्रकार होते हैं, जैसे Intraday Trader, Option Trader, Swing Trader आदि। लेकिन इन सभी में कुछ कुछ चीजें समान होती है। जिससे आप आसानी से इन्वेस्टर और ट्रेडर के बीच का अंतर समझ सकते हैं। ट्रेडर उन लोगों को कहा जाता है जो शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर कम समय में ही खरीद कर वापस बेच देते हैं। कुछ ट्रेडर एक ही दिन में शेयर खरीद कर वापस बेचते हैं, वहीं कुछ ट्रेडर 7 से 15 दिनों के अंतराल में शेयर्स की खरीद और बिक्री करते हैं, तथा कुछ ट्रेडर 2 से 3 महीने तक शेयर्स को होल्ड करके रहते हैं।
ट्रेडर्स का काम करने का तरीका बहुत ही सिंपल है। यह कंपनियों के शेयर को कम कीमत पर खरीदते हैं और जैसे ही उस कंपनी के शेयर की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है तो वह उन शेयर्स को बेचकर अपना प्रॉफिट कमा लेते हैं। चलिए इसको एक उदाहरण से समझते हैं।
जैसे की मोहन नाम का एक ट्रेडर है जो की रिलायंस कंपनी के 100 शेयर खरीदता है। जब उसने 100 शेयर खरीदे तब एक शेयर की कीमत ₹1000 थी। यानी कि उसने रिलायंस कंपनी के 100 शेयर ₹1,00,000 में खरीदे। इसके 10-15 दिनों के बाद रिलायंस कंपनी के 1 शेयर की कीमत ₹1050 हो गई। तब मोहन ने अपने सारे शेयर्स बेच दिए। जिससे उसे 100 शेयर बेचने पर ₹105000 मिले। यानी कि मोहन ने सिर्फ 10-15 दिनों में ₹5000 का प्रॉफिट कमा लिया।
अभी मोहन उन ₹105000 रुपयों से किसी दूसरी कंपनी के शेयर खरीदेगा और ठीक ऐसे ही 10-15 दिनों के बाद जब शेयर्स की कीमत बढ़ जाएगी तो वो उन्हें वापस बेच देगा। इसी को ट्रेडिंग कहते हैं और जो ट्रेडिंग करते हैं उन लोगों को ट्रेडर्स कहा जाता है।
इन्वेस्टर और ट्रेडर में क्या अंतर होता है ?
इन्वेस्टर और ट्रेडर कौन होते हैं ? यह हम आपको ऑलरेडी बता चुके हैं। इसलिए उनके बीच का अंतर आप खुद समझ सकते हैं। लेकिन अगर हम इन दोनों के बीच में कुछ अन्य भिन्नताओं की बात करें तो एक इन्वेस्टर को स्टॉक मार्केट में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती है। इन्वेस्टर को सिर्फ एक अच्छी कंपनी के शेयर खरीदने होते है और बस उनको होल्ड करके रखना होता है। अगर वह अपने शेयर्स को काफी दिनों तक ना संभाले तब भी कोई दिक्कत नहीं होती है। क्योंकि अगर कंपनी अच्छी हो तो लॉन्ग टर्म में उसके शेयर की कीमत हमेशा बढ़ती ही है।
लेकिन ट्रेडर की लाइफ काफी अलग होती है। एक ट्रेडर को हमेशा शेयर मार्केट और मार्केट से जुड़ी हुई खबरों से अवगत रहना पड़ता है। क्योंकि देश और दुनिया की छोटी बड़ी खबरों के आधार पर ही कंपनियों के शेयर की कीमत कम ज्यादा होती है और ट्रेडर हमेशा कम समय के लिए ही कंपनियों के शेयर खरीदा है। इसलिए ट्रेडर को हमेशा स्टॉक मार्केट में एक्टिव रहना पड़ता है। ताकि जब भी किसी कंपनी के शेयर की कीमत कम हो तब वह उस कंपनी के शेयर खरीद सके और जैसे ही उस कंपनी के शेयर की कीमत थोड़ी बढ़ जाये तो वह उन शेयर्स को वापस बेच सकें।
तो इस लेख में हमने आपको आसान शब्दों में समझाने की कोशिश की है कि investing kya hoti hai, investor kon hota hai ? Trading kya hoti hai ? Trader kon hota hai ? Investor aur trader me kya antar hota hai ? अगर स्टॉक मार्केट से सम्बंधित आपका अन्य कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।
Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?
Trading क्या है? यह प्रश्न ज्यादातर स्टॉक मार्केट में नए लोगों को परेशान करता है। आज कई small retailers स्टॉक मार्केट में है जो trading और investment में अंतर नहीं समझ पाते है। अगर आपको भी ट्रेडिंग शब्द का मतलब नहीं पता है। तो आज कि लेख में हम आपको trading meaning in hindi के बारे में बारीकी से समझाएंगे। इसलिए आज का पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस अंत तक पढ़े। तो फिर आइए जानते हैं।
Trading क्या है?
Trading को आसान शब्दों में व्याख्या करें तो हिंदी में इसे " व्यापार " कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करके मुनाफा कमाना।
Stock Market Trading भी इसी तरह होता है। जैसे कि हम किसी वस्तु को खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं। बिल्कुल वैसे ही स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर कि खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है। ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है। मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है। अगर एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश कहलाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पर आधारित बिजनेस होता है।
उदाहरण के तौर पर अगर हम share market में शेयर खरीद रहे हैं तो हमारे जैसे कोई अन्य व्यक्ति होगा जो उन शेयर को बेच रहा होगा। चलिए इसे अब अपने डेली लाइफ से जोड़ते हैं। मान लीजिए आपने होलसेल स्टोर से कोई सामान ₹50 खरीदा और उसे बाद में ₹60 लगा कर कस्टमर्स को बेच दिया। अगर यह आप रोजाना करते हैं तो इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।
बिल्कुल ऐसे ही शेयर बाजार में भी होता है। आप शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के अंदर खरीदे हुए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेच देते है। तो यह Stock Market Trading कहलाता है।
Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें यह कोई नहीं जानता कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या मूवमेंट आयेगा। अगर शेयर से जुड़ी न्यूज़ अच्छी आती है तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी। वहीं इसका उल्टा करे तो शेयर से जुड़ी न्यूज़ खराब आती है तो शेयर के भाव में मंदी देखने को मिल सकती है।
Stock Market Trading कितने प्रकार के होते हैं?
- Scalping Trading
- Intraday Trading
- Swing Trading
- Positional Trading
Scalping Trading क्या है?
Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।
Intraday Trading क्या है?
Intraday Trading वह trade जो 1 दिन के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं। और मार्केट बंद(3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को Intraday ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि Intraday ट्रेडिंग scalping trading से थोड़ा कम रिस्की होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़े।
Swing Trading क्या है?
Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।
Positional Trading क्या है?
Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।
Trading और Investment में क्या अंतर है?
- Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
- Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
- Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
- Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
- Trading short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।
आपने क्या जाना
जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
शेयर बाजार से कौन कमाता है सबसे ज्यादा पैसा, इन 5 को आप जानते हैं?
हर कोई शेयर बाजार से पैसा बनाना चाहता है. पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजार के प्रति रिटेल निवेशकों का झुकाव बढ़ा है. लेकिन अधिकतर लोग शेयर बाजार से पैसे नहीं कमा पाते हैं. कम अनुभव और बाजार की चाल को सही से नहीं समझ पाने के कारण स्टॉक मार्केट में नाकामी मिलती है. लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जो बाजार की नब्ज को समझते हैं और आज देश से बड़े निवेशक माने जाते हैं. आज हम आपको 5 ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर शेयर बाजार से करोड़ों कमाते हैं. एक तरह से ये शेयर बाजार के धनकुबेर हैं. (Photo: Getty Images)
1. राकेश झुनझुनवाला: राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) को शेयर बाजार (Stock Maket) में निवेश का 40 साल से ज्यादा का अनुभव है. वे जिस शेयर में हाथ डालते हैं, वो दौड़ने लगता है. निवेशक उनकी टिप्स को ऐसे फोलो करते हैं. झुनझुनवाला को भारतीय शेयर बाजार का वॉरेन बफे भी कहा जाता है. उन्होंने 18 साल की उम्र में ही शेयर बाजार में कदम रखा. (Photo: Getty Images)
झुनझुनवाला ने अपने करियर की शुरुआत महज 5,000 रुपये से की थी. दिग्गज निवेशक ने साल 1985 में दलाल स्ट्रीट (Dalal Street) का सफर शुरू किया था, तब BSE सेंसेक्स 150 अंक के स्तर पर था. राकेश झुनझुनवाला के मुताबिक 1988 में उनकी नेट वर्थ एक करोड़ रुपये थी, जो 1993 में बढ़कर 200 करोड़ हो गई. फोर्ब्स के मुताबिक आज राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala net worth) के पास 36,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की दौलत है. (Photo: Getty Images)
2. राधाकिशन दमानी: राधाकिशन दमानी (Radhakishan Damani) लाइमलाइट से दूर रहते हैं. लेकिन बड़े निवेशक के तौर पर गिने जाते हैं. दमानी एक सफल निवेशक के साथ-साथ सफल बिजनसमैन भी हैं. डी-मार्ट नाम के रीटेल चेन के मालिक भी राधाकिशन दमानी हैं. भारत के रिटेल किंग कहे जाने वाले दमानी दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के भी गुरु हैं. शेयर बाजार में उनकी टिप्स को फोलो किया जाता है. राधाकिशन दमानी भारत के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट में शामिल हैं. हाल ही में दमानी ने दक्षिण मुंबई के मलाबार हिल्स इलाके में 1,001 करोड़ रुपये का बंगला खरीदा था.
राधाकिशन दमानी ने शेयर बाजार में अपनी शुरुआत 1980 के दशक में की थी. उन्होंने 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी. राधाकिशन दमानी वह हमेशा सफेद कपड़े पहनते हैं और शेयर बाजार के दिग्गज निवेशकों के बीच 'मिस्टर व्हाइट एंड व्हाइट' के नाम से मशहूर हैं. उनकी सलाह है कि किसी भी शेयर में छोटी अवधि के लिए पैसा लगाने से बचें. एक सेक्टर के बजाए हर सेक्टर के अच्छे शेयरों पर नजर रखें. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक राधाकिशन दमानी की दौलत 19.3 बिलियन डॉलर यानी 1.42 लाख करोड़ रुपये है. संपत्ति के मामले में दमानी दुनिया के अमीरों की सूची में 97वें स्थान पर आ गए हैं. दमानी ने इंडिया सीमेंट, वीएसटी इंडस्ट्रीज, ब्लूडार्ट, सिनेप्लेक्स कंपनियां और कुछ तंबाकू कंपनियों में निवेश किए हैं. राधाकिशन दमानी के पिता एक शेयर ब्रोकर थे.
3. डॉली खन्ना : पुरुषों के वर्चस्व वाले भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में एक महिला निवेशक ने भी अपना लोहा मनवाया है. चेन्नई की दिग्गज निवेशक डॉली खन्ना (Dolly Khanna) ने शेयरों से ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है करोड़ों की कमाई कर यह उपलब्धि हासिल की है. डॉली ने अपने पति राजीव खन्ना (Rajiv Khanna) के साथ मिलकर शेयरों में निवेश से मोटी कमाई की है. डॉली खन्ना ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है चमक-दमक से दूर रहती हैं.
डॉली खन्ना के पोर्टफोलियो का प्रबंधन उनके पति राजीव खन्ना करते हैं. डॉली खन्ना के पास कई कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी है. मुथूट कैपिटल, टाटा मेटालिक्स, रेन इंडस्ट्रीज, बटरफ्लाइ गांधीमठी अप्लायंसेज, आरएसडब्ल्यूएम, श्रीकलाहस्ती पाइप्स. Polyplex Corporation, तिरुमला केमिकल्स, रेडिको खेतान (Radico Khaitan) और जेके पेपर (JK Paper) में निवेश हैं. डॉली खन्ना की फिलहाल 357.4 करोड़ रुपये की नेटवर्थ है. राजीव खन्ना का कहना है कि शेयर बाजार में सफलता के लिए सिर्फ मेरिट काफी नहीं है. थोड़ा किस्मत का भी साथ होना चाहिए.
4. रामदेव अग्रवाल (Raamdeo Agrawal): दिग्गज निवेशक और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंस सर्विसेज लिमिटेड (Motilal Oswal Financial Services) के प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल दलाल स्ट्रीट के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. साल 1983 में सीए के पढ़ाई पूरी करने के बाद रामदेव अग्रवाल को कई नौकरियों के कई ऑफर आए. लेकिन उन्होंने शेयर बाजार की राह चुनी. उन्होंने 25 साल पहले 4-5 लाख रुपये से निवेश की शुरुआत की थी. रामदेव का कहना है कि उसी कंपनी में निवेश करें, जिसका बिजनेस अच्छा हो और उस बिजनेस को चलाने वाला मैनेजमेंट अच्छा हो. उनके पोर्टफोलियो में Maharashtra Scooters, Bharat Wire Ropes लिमिटेड और Motilal Oswal Financial Services लिमिटेड हैं.
5. अनिल कुमार गोयल : इस दिग्गज निवेशक को स्मॉलकैप शेयरों में खास दिलचस्पी है. क्वालिटी स्मॉलकैप शेयरों में निवेश कर मोटी कमाई करने में ये माहिर हैं. गोयल के पास बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स की कम से कम 30 कंपनियों में अच्छी-खासी हिस्सेदारी है. अनिल कुमार गोयल (Anil Kumar Goel) का जेबीएम ऑटो, श्रीकलाहस्ती पाइप्स, तिरुमला केमिकल्स, कॉस्मो फिल्म्स, द्वारिकेष शुगर इंडस्ट्रीज, ओपी चेन्स, सांघ्वी मूवर्स और वर्धमान होल्डिंग्स में बड़ा निवेश किया है. गोयल की कुल नेटवर्थ (Anil Kumar Goel Net Worth) 1,330.9 करोड़ रुपये की है.
क्या शेयरों के ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट के बारे में जानते हैं आप?
ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) एक ऐसा सेगमेंट है जहां शेयर केवल अनिवार्य डिलीवरी के आधार पर ट्रेड किए जा सकते हैं.
ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) एक ऐसा सेगमेंट है जहां शेयर केवल अनिवार्य डिलीवरी के आधार पर ट्रेड किए जा सकते हैं. इसका मतलब यह है कि ट्रेड-टू-ट्रेड शेयर की इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं हो सकती है. इस सेगमेंट के हर एक खरीदे/बेचे गए शेयर की पूरा पेमेंट देकर डिलीवरी लेनी पड़ती है. इस सेगमेंट में उपलब्ध शेयरों का निपटान ट्रेड-टू-ट्रेड आधार पर किया जाता है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चंदन तपाड़िया कहते हैं, "T2T सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं है. शेयरों की डिलीवरी लेना और उनका पूरा भुगतान जरूरी होता है."
2. T2T सेगमेंट में शेयर के जाने का पैमाना क्या है?
सेबी के साथ विचार-विमर्श के बाद स्टॉक एक्सचेंज किसी शेयर को T2T सेगमेंट में डालने या उससे निकालने का फैसला करते हैं. स्टॉक एक्सचेंज और सेबी की वेबसाइटों पर इसके पैमाने लिस्ट हैं. इसकी समय-समय पर समीक्षा होती है. समीक्षा के दिन प्रतिभूति को कम से कम 22 कारोबारी दिनों के लिए 5 फीसदी के प्राइस फिल्टर बैंड में होना चाहिए. इस मापदंड को न पूरा करने पर शेयर 'T'सेगमेंट में नहीं जा सकता है.
3. क्या T2T सेगमेंट से बाहर आकर शेयर दोबारा सामान्य तरह से ट्रेड कर सकता है?
बिल्कुल. शेयर T2T सेगमेंट से बाहर आ सकता है. एक्सचेंज और सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार इसमें सामान्य तरह से ट्रेडिंग शुरू हो सकती है.
4. कौन-से शेयर अभी T2T सेगमेंट में हैं?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, अभी Atlas Cycle, Tree House, Punj Lloyd, Rolta और Melstar जैसे शेयर T2T सेगमेंट में हैं.
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