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रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता

रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता क्या है : आपको बता दे की रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता का सम्बन्ध चालू खाते और पूंजी खाते पर होने वाले सभी व्यवहारों को पूरा करने के लिए रुपये को किसी भी स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में परिवर्तित करने कि स्वतंत्रता से है।

हमारे देश की बात करें तो अब तक, विदेशी मुद्रा में रुपये की परिवर्तनीयता चालू खाते के लिए लगभग पूरी तरह से मुक्त है, यानी लेन-देन जैसे व्यापार, यात्रा और पर्यटन, विदेश में शिक्षा आदि। यदि चालू खाता परिवर्तनीयता के साथ CAC को पेश किया जाता है तो इसका मतलब पूर्ण परिवर्तनीयता होगा।

यहाँ सरकार ने वर्ष 1994 में रुपये को चालू खाते में पूरी तरह परिवर्तनीय बनाने की अनुमति दी थी। उसके बाद से रुपये को पूंजी खाते में भी परिवर्तनीय बनाया जा रहा है। वर्तमान में भारतीय मुद्रा सिर्फ चालू खाते में ही परिवर्तनीय है। हालांकि कुछ पूंजी खाते के लेनदेन की भी अनुमति है।

ध्यान रहे की चालू खाते की परिवर्तनीयता का मतलब है कि मुद्रा की सीमापार आवाजाही पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। विदेशी निवेशक जहां देश में 81 अरब डॉलर तक के बॉन्ड खरीद सकते हैं, वहीं शेयर बाजार में निवेश की कोई सीमा नहीं है।

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मुद्रा परिवर्तनीयता

मुद्रा परिवर्तनीयता वह आसानी है जिसके साथ किसी देश की मुद्रा को सोने या किसी अन्य मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिए मुद्रा परिवर्तनीयता महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक रूप से खट्टे माल का भुगतान उस मुद्रा पर सहमति के लिए किया जाना चाहिए जो खरीदार की घरेलू मुद्रा नहीं हो सकती है। जब किसी देश की मुद्रा की परिवर्तनीयता खराब होती है, तो इसका अर्थ है कि किसी अन्य मुद्रा या मूल्य के स्टोर के लिए इसे स्वैप करना मुश्किल है, यह विदेशी देशों के साथ व्यापार करने के लिए एक जोखिम और अवरोध पैदा करता है, जिन्हें घरेलू मुद्रा की कोई आवश्यकता नहीं है।

मुद्रा परिवर्तनीयता को समझना

किसी देश की अर्थव्यवस्था और उसकी मुद्रा की परिवर्तनीयता के बीच एक संबंध है। वैश्विक स्तर पर एक अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होगी, उतनी ही आसानी से इसकी मुद्रा अन्य प्रमुख मुद्राओं में मुद्रा परिवर्तनीयता परिवर्तित हो जाएगी। सरकारी बाधाओं के परिणामस्वरूप मुद्रा में कम परिवर्तनीयता हो सकती है। उदाहरण के लिए, कठिन विदेशी मुद्रा के कम भंडार वाली सरकार आमतौर पर मुद्रा परिवर्तनीयता को प्रतिबंधित करती है क्योंकि वह सरकार अन्यथा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं होगी (यदि आवश्यक हो, तो अपनी खुद की मुद्रा का समर्थन करने के लिए)।

जिन देशों की मुद्रा में परिवर्तनीयता खराब है, वे वैश्विक व्यापार हानि पर हैं क्योंकि लेनदेन अच्छे परिवर्तनीयता के साथ आसानी से नहीं चलते हैं। यह वास्तविकता अन्य देशों को उनके साथ व्यापार करने से रोक देगी। गरीब मुद्रा परिवर्तनीयता आर्थिक विकास को धीमा करने में योगदान कर सकती है क्योंकि वैश्विक व्यापार अवसर छूट जाते हैं।

मुद्रा परिवर्तनीयता और पूंजी नियंत्रण

अच्छी मुद्रा परिवर्तनीयता के लिए भौतिक मुद्रा की आसानी से उपलब्ध आपूर्ति की आवश्यकता होती है यही कारण है कि कुछ देश अपने देश को छोड़ने वाले धन पर पूंजी नियंत्रण लगाते हैं। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था मंदी की स्थिति में आती है, निवेशक अक्सर निवेश अपतटीय की तलाश करेंगे या अपने पैसे को सुरक्षित हेवन मुद्राओं में से मुद्रा परिवर्तनीयता एक में बदल देंगे। इससे निपटने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश के बाहर धन की बाढ़ न आए, कुछ सरकारें आर्थिक समय की कोशिश के दौरान पूंजी की उड़ान को कम करने के लिए नियंत्रण रखती हैं ।

भारत पूंजी खाता परिवर्तनीयता में बड़े बदलावों के मुहाने पर है: रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी आर शंकर ने पूंजी खाता परिवर्तनीयता मानदंडों में और ढील देने का संकेत देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश मुद्रा प्रबंधन के संबंध में कुछ बुनियादी बदलावों के मुहाने पर है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 14, 2021 23:18 IST

भारत पूंजी खाता परिवर्तनीयता में बड़े बदलावों के मुहाने पर है: रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर- India TV Hindi

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भारत पूंजी खाता परिवर्तनीयता में बड़े बदलावों के मुहाने पर है: रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी आर शंकर ने पूंजी खाता परिवर्तनीयता मानदंडों में और ढील देने का संकेत देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश मुद्रा प्रबंधन के संबंध में कुछ बुनियादी बदलावों के मुहाने पर है। शंकर ने फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफईडीएआई) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता के बढ़ते स्तर को हासिल करने में एक लंबा सफर तय किया है और विदेशी पूंजी प्रवाह की एक स्थिर संरचना हासिल करने के लिहाज से नीतिगत विकल्पों के लिए व्यापक रूप से इच्छित नतीजे पाए हैं।

परिवर्तनीयता का मतलब भुगतान संतुलन से जुड़े लेन-देन की खातिर भुगतान करने के लिए घरेलू मुद्रा को विदेशी मुद्रा एवं विदेशी मुद्र के घरेलू मुद्रा में बदलने की क्षमता से है। वहीं चालू खाता परिवर्तनीयता चालू खाता लेनदेन के लिए घरेलू मुद्रा को परिवर्तित करने की क्षमता या स्वतंत्रता है जबकि पूंजी खाता परिवर्तनीयता पूंजी खाता लेनदेन के लिए घरेलू मुद्रा को परिवर्तित करने की क्षमता है। हालांकि भारतीय रुपया चालू खाता लेनदेन के लिए पूरी तरह से परिवर्तनीय है, रिजर्व बैंक केवल पूंजी खाता मामले में सीमित लेनदेन की मंजूरी देता है। उन्होंने कहा, "भारत बाजार में एकीकरण के साथ इस क्षेत्र में कुछ बुनियादी बदलावों के मुहाने पर खड़ा है।’’

भारत पूंजी खाता परिवर्तनीयता में बड़े बदलावों के मुहाने पर है: रिजर्व बैंक डिप्टी गवर्नर

मुंबई, 14 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व मुद्रा परिवर्तनीयता बैंक के डिप्टी गवर्नर टी आर शंकर ने पूंजी खाता परिवर्तनीयता मानदंडों में और ढील देने का संकेत देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश मुद्रा प्रबंधन के संबंध में कुछ बुनियादी बदलावों के मुहाने पर है। शंकर ने फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफईडीएआई) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता के बढ़ते स्तर को हासिल करने में एक लंबा सफर तय किया है और विदेशी पूंजी प्रवाह की एक स्थिर संरचना हासिल करने के लिहाज से नीतिगत विकल्पों के लिए व्यापक रूप से इच्छित

शंकर ने फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफईडीएआई) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता के बढ़ते स्तर को हासिल करने में एक लंबा सफर तय किया है और विदेशी पूंजी प्रवाह की एक स्थिर संरचना हासिल करने के लिहाज से नीतिगत विकल्पों के लिए व्यापक रूप से इच्छित नतीजे पाए हैं।

परिवर्तनीयता का मतलब भुगतान संतुलन से जुड़े लेन-देन की खातिर भुगतान करने के लिए घरेलू मुद्रा को विदेशी मुद्रा एवं विदेशी मुद्र के घरेलू मुद्रा में बदलने की क्षमता से है।

वहीं चालू खाता परिवर्तनीयता चालू खाता लेनदेन के लिए घरेलू मुद्रा को परिवर्तित करने की क्षमता या स्वतंत्रता है जबकि पूंजी खाता परिवर्तनीयता पूंजी खाता लेनदेन के लिए घरेलू मुद्रा को परिवर्तित करने की क्षमता है।

हालांकि भारतीय रुपया मुद्रा परिवर्तनीयता चालू खाता लेनदेन के लिए पूरी तरह से परिवर्तनीय है, रिजर्व बैंक केवल पूंजी खाता मामले में सीमित लेनदेन की मंजूरी देता है।

उन्होंने कहा, "भारत बाजार में एकीकरण के साथ . इस क्षेत्र में कुछ बुनियादी बदलावों के मुहाने पर खड़ा है।’’

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पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर बढ़ रहे हैं भारत के कदम

Modi Government hints at moving towards full capital account convertibility

भारत को दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए अभी कई बड़े नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है। यह बात कहते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने संकेत दिया कि सरकार आने वाले दिनों में पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर कदम बढ़ा सकती है। इसकी वकालत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन भी करते रहे हैं।

सिन्हा ने कहा कि अगर हमें भारत को ग्लोबल स्तर पर एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है, तो हमें समय के साथ कई नीतिगत कदम उठाने होंगे और कई चीजें करनी होंगी। इसे करने के लिए हमें अपने पूंजी बाजार को और व्यापक और गहरा बनाना होगा। पूंजी खाते की परिवर्तनीयता भी इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। वैश्विक अर्थ व्यवस्था में हमें निश्चित रूप से अपनी उचित भूमिका और जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके लिए हमें परिवर्तनीयता की ओर कदम बढ़ाना होगा।

इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली भी बड़े सुधारों की जरूरत जताते हुए आने वाले महीनों में कुछ वित्तीय सुधार किए जाने का संकेत दे चुके हैं। विदेशी वित्तीय संस्थान भी देश में बड़े वित्तीय सुधारों और जमीनी स्तर पर कारोबार करने की सहूलियतों को बढ़ाने की जरूरत जता चुके हैं। इसके अलावा सिन्हा का बयान इस संदर्भ में भी प्रासंगिक हो जाता है, क्यों कि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन भी हाल ही में कह चुके हैं कि रिजर्व बैंक आने वाले कुछ वर्ष में पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता की इजाजत देने पर विचार कर रहा है।

राजन ने कहा था कि पूंजी का प्रवाह बढ़ाने को लेकर रिजर्व बैंक खुले दिमाग से विचार कर रहा है। राजन ने कहा था कि पूंजी के प्रवाह के मामले में केवल ऋण बाजार से जुड़ी कुछ बंदिशें हैं, वह भी खासकर कम अवधि के कर्ज (डेट) निवेशों में।

गौरतलब है कि पूंजी की पूर्ण परिवर्तनीयता का मतलब यह है कि विदेशी निवेशक अपनी इच्छा के मुताबिक अपने धन को अपने देश में प्रचलित मुद्रा में वापस भेज सकेंगे। फिलहाल भारत में इसकी इजाजत नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में गुजरात में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय फाइनेंस सेंटर का उद्घाटन किया है। रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता इस ग्लोबल फाइनेंसियल सर्विस हब के प्रभावशाली ढंग से काम कर पाने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। गौरतलब यह है कि कई आर्थिक विश्लेषक पूर्ण परिवर्तनीयता के बजाय आरबीआई की मौजूदा आंशिक मौद्रिक नियंत्रण की नीति की भी सराहना करते हैं।

उनका मानना है कि इसी के चलते रुपये को बड़ी गिरावट का शिकार होने से बचाए रखा है, जबकि मुद्रा की पूर्ण परिवर्तनीयता के चलते उस समय (1997-98) में दक्षिण एशिया की कई मुद्राओं में भारी गिरावट देखने को मिली थी। इसी तरह आरबीआई के मौद्रिक नियंत्रण ने 2013 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बांड खरीद मुद्रा परिवर्तनीयता में कटौती (टेपरिंग) की घोषणा के वक्त भी रुपये को धराशाई होने से बचाए रखा था। उस समय विदेश निवेशकों द्वारा 20 अरब डॉलर से भी अधिक की पूंजी निकाले जाने पर भी रुपया बहुत बड़ी गिरावट का शिकार होने से बचा रहा।

भारत को दुनिया मुद्रा परिवर्तनीयता की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए अभी कई बड़े नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है। यह बात कहते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने संकेत दिया कि सरकार आने वाले दिनों में पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर कदम बढ़ा मुद्रा परिवर्तनीयता सकती है। इसकी वकालत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन भी करते रहे हैं।

सिन्हा ने कहा कि अगर हमें भारत को ग्लोबल स्तर पर एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है, तो हमें समय के साथ कई नीतिगत कदम उठाने होंगे और कई चीजें करनी होंगी। इसे करने के लिए हमें अपने पूंजी बाजार को और व्यापक और गहरा बनाना होगा। पूंजी खाते की परिवर्तनीयता भी इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। वैश्विक अर्थ व्यवस्था में हमें निश्चित रूप से अपनी उचित भूमिका और जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके लिए हमें परिवर्तनीयता की ओर कदम बढ़ाना होगा।

इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली भी बड़े सुधारों की जरूरत जताते हुए आने वाले महीनों में कुछ वित्तीय सुधार किए जाने का संकेत दे चुके हैं। विदेशी वित्तीय संस्थान भी देश में बड़े वित्तीय सुधारों और जमीनी स्तर पर कारोबार करने की सहूलियतों को बढ़ाने की जरूरत जता चुके हैं। इसके अलावा सिन्हा का बयान इस संदर्भ में भी प्रासंगिक हो जाता है, क्यों कि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन भी हाल ही में कह चुके हैं कि रिजर्व बैंक आने वाले कुछ वर्ष में पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता की इजाजत देने पर विचार कर रहा है।

राजन ने कहा था कि पूंजी का प्रवाह बढ़ाने को लेकर रिजर्व बैंक खुले दिमाग से विचार कर रहा है। राजन ने कहा था कि पूंजी मुद्रा परिवर्तनीयता के प्रवाह के मामले में केवल ऋण बाजार से जुड़ी कुछ बंदिशें हैं, वह भी खासकर कम अवधि के कर्ज (डेट) निवेशों में।

गौरतलब है कि पूंजी की पूर्ण परिवर्तनीयता का मतलब यह है कि विदेशी निवेशक अपनी इच्छा के मुताबिक अपने धन को अपने देश में प्रचलित मुद्रा में वापस भेज सकेंगे। फिलहाल भारत में इसकी इजाजत नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में गुजरात में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय फाइनेंस सेंटर का उद्घाटन किया है। रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता इस ग्लोबल फाइनेंसियल सर्विस हब के प्रभावशाली ढंग से काम कर पाने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। गौरतलब यह है कि कई आर्थिक विश्लेषक पूर्ण परिवर्तनीयता के बजाय आरबीआई की मौजूदा आंशिक मौद्रिक नियंत्रण की नीति की भी सराहना करते हैं।

उनका मानना है कि इसी के चलते रुपये को बड़ी गिरावट का शिकार होने से बचाए रखा है, जबकि मुद्रा की पूर्ण परिवर्तनीयता के चलते उस समय (1997-98) में दक्षिण एशिया की कई मुद्राओं में भारी गिरावट देखने को मिली थी। इसी तरह आरबीआई के मौद्रिक नियंत्रण ने 2013 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व मुद्रा परिवर्तनीयता द्वारा बांड खरीद में कटौती (टेपरिंग) की घोषणा के वक्त भी रुपये को धराशाई होने से बचाए रखा था। उस समय विदेश निवेशकों द्वारा 20 अरब डॉलर से भी अधिक की पूंजी निकाले जाने पर भी रुपया बहुत बड़ी गिरावट का शिकार होने से बचा रहा।

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