कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इसमें स्पष्ट कर दिया कि 8 लाख रुपए का मानदंड बाहर से तो दोनों वर्गों, OBC और EWS के लिए बराबर दिखता है, लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है। दोनों के लिए भले ही मानदंड 8 लाख रुपए हो, लेकिन इसकी गणना में जमीन-आसमान का अंतर है।
सरकार की कमेटी ने 'आरक्षण के खेल' से पर्दा उठाया: गरीब सवर्ण-OBC का क्राइटेरिया 8-8 लाख, लेकिन सवर्णों के नियम सख्त; जानें रिपोर्ट की बड़ी बातें.
सुप्रीम कोर्ट मार्च-अप्रैल में गरीब सवर्ण आरक्षण (EWS कैटेगरी) के मामले में 8 लाख रुपए सालाना आय के पैमाने पर फैसला नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं सुना सकता है। सालाना आय का यह फॉर्मूला OBC और गरीब सवर्ण पर समान रूप से लागू है, लेकिन आय की गणना के तरीके बिल्कुल अलग हैं। पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे की अध्यक्षता में बनाई कमेटी ने यह स्वीकार किया है। कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसके आधार पर क्रीमीलेयर के मापदंड तय होंगे। फिलहाल, केंद्र सरकार यह आकलन कर रही है कि सालाना आय की गणना में कृषि से होने वाली आय को शामिल किया जाए या नहीं।
केंद्र सरकार ने 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण देने का फैसला किया, तो पिछड़ेपन का आधार 8 लाख रुपए की सालाना आय को तय किया गया। इस नियम के तहत जिस सवर्ण परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रुपए तक है, उसके उम्मीदवारों को ही शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण की सुविधा मिलती है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में क्रीमीलेयर का निर्धारण भी 8 लाख रुपए की सालाना आय के आधार पर ही होता है। यानी, अगर OBC कैंडिडेट के माता-पिता नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं की सालाना इनकम 8 लाख रुपए से अधिक है, तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
बना रहेगा डॉलर का दबदबा
आनंद राठी सिक्युरिटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हजरा का कहना है, रिजर्व बैंक के इस कदम से नियर टर्म में भारत को फॉरेन एक्सचेंज की कमी झेल रहे कई इमर्जिंग देशों के साथ व्यापार करने में सहूलियत होगी. साथ ही यह उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये को एक महत्वपूर्ण करेंसी बनाने की कोशिश कर रहा है. जहां तक बात डॉलर के दबदबे को लेकर है, तो इस कदम से हाल-फिलहाल फॉरेन ट्रेड के लिए प्रमुख करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की पोजिशन में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है.
उनका कहना है, यह कदम ट्रेड पार्टनर्स के बीच भारतीय रुपये की स्वीकार्यता बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा है. हाल के दिनों में हमने चीन की ओर से अपनी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए अलग-अलग उपायों को देखा है. इस तरह की पहल के जरिए भारत भी यही कोशिश कर रहा है.
RBI के इस मैकेनिज्म से भारत को क्या लाभ?
सुजान हजरा कहते हैं, हाल के समय में कुछ इमर्जिंग मार्केट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है. आरबीआई की ओर से रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दिए जाने से कुछ हद तक स्थिति में बदलाव आ सकता है. बायलेटरल ट्रेड बैलेंस के नेट सेटलमेंट का एक मैकेनिज्म आने वाले समय में इस प्रक्रिया को और सुविधाजनक बना सकता है. उनका कहना है, रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे.
अभीक बरूआ का कहना है, आरबीआई के इस कदम से कई सारे देशों के साथ ट्रेड भारतीय करेंसी में हो सकते हैं. जैसे, अभी रूस में डॉलर पेमेंट पर रोक लगी है. ऐसे में अगर रुपये में सेटलमेंट शुरू होता है, तो इस तरह नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं के रिस्क वाले काफी ट्रेड आसानी से हो सकते हैं. इस मैकेनिज्म के बाद भारत- रूस के साथ ट्रेड सेटलमेंट में दिक्कत नहीं होगी.
क्या है RBI का मैकेनिज्म?
RBI के नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून 1999 के तहत रुपये में इनवॉयस की व्यवस्था होगी. जिस देश के साथ कारोबार होगा, उसकी मुद्रा और रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में भी सेटलमेंट के नियम दूसरी करेंसीज की तरह ही होंगे. एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा. वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act- 1999) के तहत कवर होंगे. नोटिफिकेशन के मुताबिक, ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को पार्टनर कारोबारी देश के AD बैंक के नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं स्पेशल रुपया वोस्ट्रो (VOSTRO) अकाउंट की जरूरत होगी.
अनुकंपा आधार पर नियुक्तियों पर संशोधित नीति लागू, जानिए क्या है पूरी प्रकिया और किस आधार पर मिलेगी नौकरी
गृह मंत्रालय ने नौकरी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा (compassionate) के आधार नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं पर नियुक्त करने की संशोधित नीति को लागू कर दिया है. नियम का फायदा पाने वालों में वो कर्मचारियों भी हैं जो किसी बिमारी या अन्य चिकित्सीय आधार पर नौकरी (Government Job) में समर्थ नहीं रहते हैं और उन्हे सेवानिवृत्त होना पड़ता है. संशोधित नीति से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के साथ साथ गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे सभी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. गृह मंत्रालय (MHA) के मुताबिक इस नीति का मकसद सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देना है. ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई हो या वो मेडिकल आधार पर सेवानिवृत हो गए हैं, उनके परिवारों को आर्थिक संकट से निकालना इस योजना का लक्ष्य है. जानिए अनुकंपा पर नौकरी किस आधार पर मिलेगी.
कैसे मिलेगा अनुकंपा का लाभ
नीति में कई नये कदम उठाए गयें हैं जिससे जरूरत मंद परिवारों को जल्द राहत मिल सके. इसमें वेलफेयर ऑफिसर की भूमिका, प्वाइंट आधारित मेरिट योजना, सभी आवेदकों को नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं अलग पहचान नंबर देना आदि शामिल हैं. इससे पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता बढेगी वहीं परिवारों को योजना का लाभ उठाने में आसानी मिलेगी क्योंकि वेलफेयर ऑफिसर परिवारों की मदद करेंगे. प्रक्रिया के तहत अधिकारी परिवारों की प्रोसेस का जानकारी देंगे और आवेदन भरने में मदद करेंगे. फैसले पर विचार एक कमेटी करेगी और अपना निर्णय आगे अथॉरिटी को भेजेगी. योजना के अनुसार पहले परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन किया जाएगा. इसमें कमाने वाले सदस्य, परिवार का आकार, उनकी जरूरतों पर भी विचार किया जाएगा. परिवार प्रकिया को आसानी से पूरा कर सके इसलिए वेलफेयर ऑफिसर परिवार की पूरी मदद करेंगे.
पिछले साल ही उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं बाद आश्रित की नियुक्ति अपने आप नहीं हो सकती, बल्कि यह परिवार की वित्तीय स्थिति, मृतक पर आर्थिक निर्भरता और परिवार के अन्य सदस्यों के काम काज सहित विभिन्न मानकों की कड़ी जांच पर आधारित होती है. कोर्ट के मुताबिक इसी आधार पर कोई इसे अधिकार में गिन सकता. गृह मंत्रालय के नियमों के बाद अब ये जांच काफी पारदर्शी हो जाएगी साथ ही परिवारों की राहत के लिए प्रक्रिया का निपटान भी तेज हो सकेगा.
व्यावसायिक सन्नियम (Business Law ) क्या होता है।व्यवसायिक सन्नियम का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definitions of Business Law)
व्यावसायिक सन्नियम (Business Law ) को जानने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यवसाय अंग्रेजी भाषा के Business (बिज्-निस) का हिदी समानार्थी शब्द है। इसको जाने। अंग्रेजी में इसका आशय है। ‘किसी कार्य में व्यस्त रहना। इस प्रकार व्यवसाय का शाब्दिक अर्थ हैं- किसी न किसी आर्थिक क्रिया में व्यस्त रहना।
उदाहरण के लिए टाटा ग्रुप वे नमक से लेकर ट्रक एवं बसों तक बहुत सी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। और उन्हें हम और आप जैसे लोगों को नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं बेचते हैं। इस प्रक्रिया में वे लाभ कमाते हैं । जिसको व्यवसाय कहा जाता है। हम दुकान वाले को देखे तो वह बड़ी मात्रा में माल खरीदता है उन्हें छोटी-छोटी मात्रा में बेचता है। वह इस प्रक्रिया में लाभ कमाता है। व्यवसाय में लगे हुए ये सभी व्यक्ति व्यवसायी कहलाते हैं।
आधार कार्ड पर पर्सनल लोन कैसे लें?
आधार कार्ड पर पर्सनल लोन लेने के लिए, आसान पर्सनल लोन एप्लीकेशन प्रोसेस का पालन करें, अपना 12-अंकों का आधार कार्ड नंबर प्रदान करें और सत्यापन के लिए अपनी केवाईसी जानकारी शेयर करने के लिए यूआईडीएआई को अधिकृत करें.
आधार में आपका नाम, पता, लिंग, जन्मतिथि, फोटो, ईमेल आईडी, फोन नंबर और बायोमेट्रिक डेटा होता है. इसलिए, ई-केवाईसी की अनुमति देकर, आप डॉक्यूमेंटेशन की आवश्यकता को कम करते हैं. अगर आपका आधार नियम आधारित व्यापार के क्या लाभ हैं कार्ड आपके पैन से लिंक है, तो आपको पैन कार्ड की कॉपी प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है.
इसके अलावा, क्योंकि केवल एक ही शासकीय निकाय से संपर्क किया जाना होता है, इसलिए सत्यापन जल्द हो सकता है.
इसके अलावा, क्योंकि आपको इन डॉक्यूमेंट को फिज़िकल रूप से सबमिट करने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए आपको बहुत फोटोकॉपियां ले जाने या कोई डॉक्यूमेंट छूट जाने की चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती.
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