हम इनमें से प्रत्येक पैरामीटर के लिए स्कोर की गणना करते हैं जोखिम प्रबंधन क्या है? और एक श्रेणी के लिए इन स्कोर को सामान्य करते हैं. हम प्रत्येक प्रदर्शन स्कोर, जोखिम स्कोर और लागत स्कोर को वेटेज देते हैं और एक अंतिम स्कोर पर पहुंचते हैं. इन अंतिम अंकों का उपयोग किसी फंड की श्रेणी के भीतर रैंकिंग करने के लिए किया जाता है.
अगर दिवालिया हो जाता है तो चीनी उद्यम के प्रबंधन का क्या होता है?
दिवालिएपन के आवेदन की स्वीकृति पर अदालत के फैसले की तारीख से दिवालियापन प्रक्रियाओं की समाप्ति की तारीख तक, उसके कानूनी प्रतिनिधि, वित्तीय प्रबंधन कर्मियों और उद्यम के अन्य व्यवसाय प्रबंधन कर्मियों द्वारा निर्धारित किया जाता है। न्यायालय निम्नलिखित दायित्वों को जोखिम प्रबंधन क्या है? ग्रहण करेगा:
(1) संपत्ति, मुहरों, लेखा पुस्तकों, दस्तावेजों और अन्य सामग्रियों को जोखिम प्रबंधन क्या है? उनके कब्जे और प्रबंधन में उचित रूप से रखें;
(2) अदालत या जोखिम प्रबंधन क्या है? प्रशासक के अनुरोध के अनुसार काम करना और उनकी पूछताछ का सच्चाई से जवाब देना;
(3) लेनदारों की बैठकों में भाग लेना और उनकी पूछताछ का सच्चाई से जवाब देना;
(4) अधिवास के स्थान पर रहना और अदालत जोखिम प्रबंधन क्या है? की अनुमति के बिना नहीं जाना चाहिए; तथा
(5) किसी अन्य उद्यम के जोखिम प्रबंधन क्या है? साथ किसी भी नए निदेशक, पर्यवेक्षी या वरिष्ठ प्रबंधन नियुक्तियों को स्वीकार नहीं करेगा।
भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए जोखिम प्रबंधन (Risk management for prevention of corruption)
Posted on April 6th, 2020
भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए जोखिम प्रबंधन (Risk management for prevention of corruption)
सरकार में भ्रष्टाचार का जोखिम कार्यालय की पद्धति और इसका गतिविधि और उस पद पर आसीन व्यक्ति के चरित्र पर निर्भर करता है। अधिक विवेकाधीन शक्तियां रखने वाले और अधिक सार्वजनिक सम्पर्क रखने जोखिम प्रबंधन क्या है? वाले पद से उस पद की तुलना में भ्रष्टाचार की अधिक सम्भावना होती है, जिस पद में विवेकाधीन शक्तियां नहीं होतीं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार में विविध पदों को भ्रष्टाचार का उच्च जोखिम, भ्रष्टाचार का मध्यम जोखिम और भ्रष्टाचार का निम्न जोखिम में वर्गीकृत करना सम्भव हो सकता है।
भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए जोखिम प्रबंधन (Risk management for prevention of corruption)
Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File
भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए जोखिम प्रबंधन (Risk management for prevention of corruption)
सरकार में भ्रष्टाचार का जोखिम कार्यालय की पद्धति और इसका गतिविधि और उस पद पर आसीन व्यक्ति के चरित्र पर निर्भर करता है। अधिक विवेकाधीन शक्तियां रखने वाले और अधिक सार्वजनिक सम्पर्क रखने वाले पद से उस पद की तुलना में भ्रष्टाचार की अधिक सम्भावना होती है, जिस पद में विवेकाधीन शक्तियां नहीं होतीं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार में विविध पदों को भ्रष्टाचार का उच्च जोखिम, भ्रष्टाचार का मध्यम जोखिम और भ्रष्टाचार का निम्न जोखिम में वर्गीकृत करना सम्भव हो सकता है।
जोखिम प्रबंधन
जोखिम प्रबंधन (Jokhim Prabandhan) के लिए रिस्क मैनेज करो| कैसे?
परिहार्य अनावरण रोको, क्योंकि बिज़नेस हो या जीवन, रिस्क कम तो किया जा सकता है, पर पूरी तरह खत्म नहीं|
रिस्क मैनेजमेंट सिखाती रोष की मज़ेदार कहानी
सी.के. और सनी बड़े चाव से, रोष को मज़ेदार जीवंत उदाहरणों से मार्केटिंग जोखिम प्रबंधन क्या है? की शब्दावली समझाता, सुन रहे थे|
जैसा कि उसने वादा किया था, पाँच मिनट खत्म होने से पहले ही उसने पाठ समाप्त कर दिया|
पत्थर की ठंडी पटिया, जिसपर वह अब तक बैठा हुआ था, से वह उठ खड़ा हुआ और जोखिम प्रबंधन क्या है? उनकी ओर देखकर मुस्कराया| उसे मालूम था कि उसने अपनी डाक बाँट दी थी, और अच्छे से बाँटी थी|
एक पैमाना अब तय हो गया था| उन्हें भी अपना स्तर वहां तक उठाना होगा, अगर वे उसकी अन्तर्दृष्टि और परिश्रम से आगे भी फायदा उठाते रहना चाहते थे|
कैसे खुद तय करें बेस्ट म्यूचुअल फंड्स और करें निवेश
म्यूचुअल फंड निवेश (Mutual fund investment) पर प्रतीकात्मक फोटो
समय बदल रहा जोखिम प्रबंधन क्या है? है और करीब एक दशक होने के आया है जब से म्यूचुअल फंड्स लोगों के बीच काफी लोकप्रिय निवेश का माध्यम बन गया है. 1963-64 से आरंभ होकर म्यूचुअल फंड्स करीब पांच दौर देखें हैं. वर्तमान में पांचवां दौर जारी है जो मई 2014 से माना जा रहा है. सेबी के प्रयास रंग लाने लगे और टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में भी लोगों ने म्यूचुअल फंड में निवेश का लाभ लेना आरंभ कर दिया था. 31 मई 2014 तक म्यूचुअल फंड का AUM करीब 10 ट्रिलियन रुपये को पार कर गया था. इसके बाद दो साल के कार्यकाल में ही AUM दो गुना से ज्यादा हो गई यानि करीब 20 ट्रिलियन रुपया (20 लाख करोड़़). यह आंकड़ा अगस्त 2017 में छुआ गया और नवंबर 2020 तक यह आंकड़ा 30 ट्रिलियन रुपया को पहली बार छू गया. 31 अक्टूबर 2017 करीब 6.32 करोड़ लोगों के फोलियो रजिस्टर्ड थे और 31 अक्टूबर 2022 तक इसमें भी दोगुना से ज्यादा का उछाल आया और यह करीब 14 करोड़ के आस पास पहुंच गया.
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अक्टूबर 2017 के बाद से हर महीने लगभग 12.65 लाख फोलियो हर महीने जुड़े हैं. म्यूचुअल फंड में लोगों के इस बढ़े रुझान के पीछे केवल दो कारण सबसे अहम रहे. एक SEBI द्वारा नियमों में बदलाव कर लोगों के विश्वास को बहाल करते रहने का प्रयास और दूसरा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा समय पर दिया गया सपोर्ट. इतना ही नहीं अप्रैल 2016 तक SIP खाता धारक जहां एक करोड़ पार कर गए थे वहीं, 31 अक्टूबर 2022 तक SIP खाताधारकों की संख्या करीब 6 करो़ड़ तक पहुंच गई.
जब म्यूचुअल फंड लोगों के बीच इतना मजबूत से अपनी पैठ बना रहा है तब यह जरूरी हो जाता है कि यह सभी को जान लेना चाहिए कि कोई म्यूचुअल फंड लेने से पहले उसकी पहचान कैसे की जाए.
अमूमन म्यूचुअल फंड को एक्सपर्ट ही मैनेज करते हैं. इन लोगों को फंड मैनेजर कहा जाता है. यह फंड मैनेजर यह देखते हैं कि कहां निवेश करने से निवेशकों को ज्यादा लाभ होगा यानि ज्यादा रिटर्न मिलेगा. म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है जो निवेश का जोखिम खुद उठाने में सक्षम नहीं होते. ये लोग बाजार के बारे में और कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के चलते ऐसे फंड मैनेजरों की राय पर काम कर सकते हैं.
आपदा प्रबंधन
बिहार की स्थलाकृति कई बारहमासी और गैर-बारहमासी नदियों द्वारा चिह्नित की जाती है, जो कि नेपाल से उत्पन्न होती है जो उच्च तलछट भार ले जाती हैं जो बिहार के मैदानों पर जमा हो जाती हैं। इस क्षेत्र की अधिकांश वर्षा मानसून के 3 जोखिम प्रबंधन क्या है? महीनों में केंद्रित है, जिसके दौरान नदियों का प्रवाह बिहार में 50 गुना तक बढ़ जाता है। 9 4160 वर्ग किमी के कुल क्षेत्रफल के 68800 वर्ग किमी, बिहार में कुल भूमि क्षेत्र का 73% हिस्सा बाढ़ के लिए कमजोर है। बिहार में वार्षिक बाढ़ भारत में बाढ़ के लगभग 30-40% क्षति के लिए है; भारत में कुल बाढ़ प्रभावित आबादी का 22.1% बिहार राज्य में स्थित है। बिहार के 28 जिलों में सबसे अधिक बाढ़ प्रवण और बाढ़ प्रवण जिलों में आते हैं।
बिहार उच्च भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, जो बिहार-नेपाल सीमा के पास हिमालयी टेक्टोनिक प्लेट में शामिल होने वाली टेक्टोनिक प्लेट की सीमा पर पड़ता है और चार दिशाओं में गंगा सतहों की ओर बढ़ते छह उप-सतह लाइन में समा जाता हैं। राज्य के प्रमुख हिस्सों को भूकंपी क्षेत्र IV और V में भारत के जोखिम एटलस द्वारा वर्गीकृत किया गया है, अर्थात् उच्च तीव्रता के विनाश होने की संभावना के साथ उच्च भूकंप संवेदनशीलता होने के कारण। कुल मिलाकर, बिहार के कुल क्षेत्रफल का 15.2% जोन V के तहत वर्गीकृत किया गया है और बिहार के कुल क्षेत्रफल का 63.7% क्षेत्र चौथा स्थान है। 38 जिलों में से 8 जिलों में भूकंपीय क्षेत्र V होता है जबकि 24 जिलों में भूकंपीय क्षेत्र IV और 6 जिलों में भूकंपीय क्षेत्र III होता है जो अधिकांश जिलों में कई भूकंपीय क्षेत्रों (या तो भूकंपी क्षेत्र V और IV या भूकंपी क्षेत्र IV और III) के तहत पड़ता है। । इस राज्य में पहले भूकंप बड़े भूकम्पो में हुए है; सबसे बुरी घटना 1 9 34 में हुई भूकंप में 10,000 लोगों की मृत्यु हुई, इसके बाद 1 9 88 में भूकंप आया।
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