Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

शेयर मार्केट में बुल ऐंड बेयर का क्या मतलब होता है?

शेयर मार्केट. ऐसी जगह जहां कमाई तगड़ी हो सकती है. लाखों लोग यहीं से फकीर बनकर झोला उठाने पर मजबूर हो जाते हैं, तो उससे भी ज्यादा लाख लोग यहीं से अच्छा खासा पैसा कमाते हैं. आपने शेयर मार्केट की चर्चा के साथ बुल यानी बैल या सांड़ और बियर माने भालू भी देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये पैसा बनाने वाली जगह पर इन जानवरों का क्या काम? या अगर इनका कोई महत्व है तो क्या है? चिंता मत कीजिए, हमने लोकल डिब्बा बनाया ही इसलिए है कि इस तरह की जानकारी आपको दे सकें. तो आइए जानते हैं कि ये मसला है क्या?

दरअसल, शेयर मार्केट वो जगह है, जहां बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी या बेची जाती है. अब अगर आप हिस्सेदार बनते हैं, तो कंपनी का फायदा भी आपका और नुकसान भी आपका. बस यही गणित है, जो इतना सारा तमाशा फैला हुआ है. होता यूं है कि तमाम चीजों के आधार पर कंपनी में हिस्सेदारी यानी शेयर की कीमत बढ़ती या घटती रहती है. यही बढ़ता या घटता देखकर लोग शेयर बेचते या खरीदते हैं.

इसमें बुल और बियर मार्केट की हालत दिखाते हैं. कॉन्सेप्ट ये है कि बुल यानी सांड़ की जब लड़ाई होती है, तो वह शिकार या प्रतिद्वंद्वी को सींग के बल ऊपर की ओर उछाल देता है. यही उछाल शेयर मार्केट में तेजी दर्शाती है. वहीं, भालू अपने शिकार को गिराकर हमला करता है, यानी इधर मामला नीचे गिरने यानी मंदी से जुड़ा हुआ है. इसी के आधार पर बुलिश मार्केट या बेयरिश मार्केट की कंडीशन बनती है.

BSE भी करता है बुल का इस्तेमाल

भारत का शेयर बाजार BSE सेंसेक्स बुलिश मार्केट दर्शाने के लिए इसी सांड़ का इस्तेमाल अपने प्रतीक के रूप में करता है. अब इसकी एक और कहानी जानते हैं.

पश्चिमी देशों में होती थी भालू-बैल की लड़ाई

19वीं सदी की शुरुआत के आसपास के समय, जब इंसान जानवरों को बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है सिर्फ जानवर समझता था, तो कई जगह जानवरों की लड़ाइयां कराई जाती थीं. हो सकता है कि अब भी कहीं ऐसा होता ही हो. यूरोप और अमेरिका में भी इस तरह जानवरों की लड़ाइयां होती थीं और उनपर जमकर सट्टेबाजी होती थी. लोगों को सिर्फ अपने शौक और पैसे से मतलब था जानवरों से नहीं. उस समय भालू और बैल की लड़ाई कराई जाती थी. इस खूनी खेल में अमीरजादे पैसे बनाते थे और जानवर अपनी जान गंवाते थे. ये लड़ाईं बाद में प्रतिबंधित कर दी गईं. अमेरिका के वॉल स्ट्रीट शेयर मार्केट में बुल और बियर का कॉन्सेप्ट यहीं से आया माना जाता है. लड़ाई में बुल और बियर के हमले के तौर-तरीकों की चर्चा भी यहीं से शामिल हुई है.

खैर, इंसान धीरे-धीरे इंसान बना और ये लड़ाइयां अब प्रतीकात्मक हो गईं. अब ये बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है बुल और बियर की फाइट शेयर बाजारों में होती है. पैसा अब भी इसमें शामिल है, लेकिन कम से कम इतना है कि इससे किसी बेगुनाह जानवर की जान नहीं जाती.

Bull and Bear Market in Hindi

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब क्या हैं? प्रश्न यह है कि शेयर बाजार में बैल और भालू का क्‍या सम्‍बन्‍ध है? क्यों शेयर बाजार के समाचारों के साथ बुल और बेयर को भी चित्रित किया जाता है? Understanding what is Bull and Bear Market in Hindi.

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

Bull and Bear market In Hindi शेयर बाजार में बुल और बेयर का मतलब

Bull and Bear market In Hindi

शेयर बाजार में Bull and Bear का मतलब। शेयर बाजार की अपनी एक भाषा होती है। जो लोग यह सोचते हैं कि बाजार तेजी के रुख में रहेगा तो लाभ की आशा में वे और शेयर खरीदना चाहते हैं इसीलिये उन्हें तेजड़िये कहते हैं। जो सोचते हैं कि बाजार में कीमतें गिरेंगी वे शेयरों को बेचना चाहते हैं तो उन्हें कहते हैं मदड़िये। इन्ही तेजड़ियों को बाजार में Bulls यानी बैल कहा जाता है तथा मंदड़ियों को Bear यानी भालू।

Bull and Bear Market in Hindi – यानी तेजड़िया और मंदड़िया

इसी लिये जब भी बाजार में तेजी आती है तो अगले दिन सेंसेक्स के ग्राफ के साथ बैल को चित्रित किया जाता है और जब बाजार तेजी से गिरते हैं तो भालू का चित्र दिखाया जाता है। शेयर बाजार का सारा खेल शेयर खरीदने और बेचने वालों के बीच ही होता है. खरीदने वाला Bull यानि बैल और बेचने वाला Bear यानी भालू. तो यह होता है शेयरबाजार में Bull and Bear का मतलब.

Bull and Bear Market in Hindi – जानवरों के स्वभाव पर आधारित

मान्यता है कि यह नाम इस जानवरों के हमला करने के तरीके से पड़ा। जब भी बैल हमला करता है तो अपने शिकार को नीचे से उठा कर उछाल देता है जबकि भालू अपने बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है शिकार को हमेशा पंजों से नीचे की ओर दबाता है। कुछ ऐसा ही व्यवहार बाजार में तेजड़िए और मदड़िये भी करते हैं. इसीलिए इन जानवरों से बाजार के इन खिलाडियों की पहचान बनी.

प्रतीकात्मक

जब शेयर बाजार में तेजी होती है और बाजार के सूचकांक ऊपर जा रहे होते हैं तो उसे बुल्लिश मार्किट कहते हैं. जब बाजार के सूचकांक गिर रहे होतें हैं तो उसे बेयरिश मार्किट कहते हैं. भारत के शेयर बाजारों में मुख्यत दो सूचकांक हैं सेंसेक्स और निफ्टी. बैल जहां शक्ति का प्रतीक है वहीँ लापरवाही का भी प्रतीक है.

Bull Market की पहचान

बुल्लिश मार्किट में कमजोर शेयर भी अनाप शनाप में ऊंची ऊंची कीमतों तक पहुँच जाते हैं. बाजार में ऐसा माहोल बन जाता है कि कई घटिया शेयर भी बहुत महंगे हो जाते हैं. बाजार में नए नए निवेशक पहुँचने लग जाते हैं. बाज़ार अविश्वसनीय स्तर तक पहुँचने लगते हैं। हर तरफ लालच का माहौल बन जाता है।

Bear Market की पहचान

इसके विपरीत बेयरिश मार्किट में हर तरफ ख़ामोशी और निराशा छा जाती है. बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे होते हैं मगर कोई उन्हें पूछता भी नहीं है. निराशा के कारण कोई खरीददार नहीं मिलता. बाजार से निवेशक गायब हो जाते हैं. लोग पैसा लगाना नहीं चाहते। डर का माहौल बन जाता है।

Bull and Bear हैं इस बाजार की पहचान

तो इस प्रकार शेयर बाजार हमेशा निवेशकों के डर और लालच पर चलता है। बाज़ार हमेशा या तो मंदी में रहेगा या तेज़ी में। कभी कभी तेजी के बाज़ार में छोटे छोटे मंदी बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है के दौर आते हैं तो कभी मंदी के दौर में छोटे छोटे तेज़ी के दौर आते हैं। बहुत लंबे समय में बाजार तेज ही रहता है।

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क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध

शेयर मार्केट

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

  • बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
  • बियर मार्केट: बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ 'बुल' की तरह, बियर मार्केट का 'बियर' भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर नीचे की दिशा में हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

    बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

बैल बाजार

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