इन सभी अतिथियों ने अपनी यात्रा, अनुभव और सफलता के सूत्र पर चर्चा करने के लिए आयोजित फाइनेंशियल फ्रीडम कॉन्क्लेव में भाग लिया और इस कॉन्क्लेव को एक बड़ी सफलता दिलाने में मदद की.

चीन में अभी और कहर बरपाएगा कोरोना, एक्सपर्ट ने कहा- मार्च तक आएगी तीसरी लहर

भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए उद्योग आएं आगे: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से कहा किया है कि वह पश्चिम में मंदी की आशंका के बीच ऐसी रणनीति बनाए जिससे विकसित देशों में परिचालन कर रही कंपनियां भारत को एक उत्पादन या खरीद केंद्र के रूप में देख सकें। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए काफी सुविधाएं दी हैं और नियमों में बदलाव किया है।

इसके अलावा हम उन उद्योगों से भी संपर्क कर रहे हैं जो भारत आना चाहते हैं। सीतारमण ने कहा, ‘आप खुद को पश्चिमी देशों और विकसित दुनिया में मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह आपके लिए वहां काम कर रहे विनिर्माताओं को भारत लाने की रणनीति बनाने को सबसे अच्छा समय है।’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘भले ही उनका मुख्यालय वहां है, लेकिन उनके लिए यह उपयोगी हो सकता है कि वे यहां से कई चीजें खरीदें। कम से कम दुनिया के इस हिस्से के बाजारों के लिए यहां से उत्पादन करें।’’ उन्होंने कहा कि संभावित मंदी का असर यूरोप पर भी पड़ेगा। इसका सिर्फ भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर नहीं होगा।

भारत की रणनीति चीन प्लस वन की

राजनयिक मोर्चे पर भारत अब ‘चीन प्लस वन’ पर काम रहा है। यह अब यूरोप के साथ एक भी है। ऐसे में ‘प्लस वन’ अब ‘प्लस टू’ हो गया है। उल्लेखनीय है कि ‘चीन प्लस वन’ एक रणनीति है, जिसमें कंपनियां केवल चीन में निवेश के बजाए अपने कारोबार को अन्य गंतव्यों पर ले जाकर उसे विविध रूप देने का प्रयास कर रही हैं।

कंपनियां पिछले दो साल में महामारी और चीन की कोविड महामारी की रोकथाम के लिये कड़ी नीति से आपूर्ति व्यवस्था बिगड़ने के कारण निवेश के लिये वैकल्पिक स्थानों पर विचार कर रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में सरकार अब सिर्फ बात नहीं कर रही है। सरकार इसपर काम कर रही है। कई तरह की सुविधाएं दे रही है और नियमों में बदलाव ला रही है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन निवेशकों और उद्योगों के साथ बैठकर बात करें, तो यहां आना चाहते हैं। यानी या तो वे और गंतव्य की तलाश में हैं या पूरी तरह वहां से निकलना चाहते हैं।’

विशेषज्ञों का सुझाव विनिर्माण की बजाय सेवा क्षेत्र पर हो अधिक जोर

सीतारमण ने कहा, ‘यदि कुछ इस तरह की आवाजें उठ रही हैं कि भारत को विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, सिर्फ सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए। उनसे मैं कहूंगी कि ऐसा नहीं हो सकता। हम विनिर्माण पर ध्यान दे रहे हैं।

हम सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं।’ कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को आंख मूंदकर चीन के विनिर्माण आधारित वृद्धि के मॉडल को अपनाने के बजाय सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए।

सीतारमण ने उद्योगों से स्टार्टअप इकाइयों के नवोन्मेषण को देखने और उन्हें बढ़ाने के तरीकों पर विचार करने को कहा। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत विनिर्माण और सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान देता रहेगा।

सीतारमण ने कहा कि दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव की ओर है, ऐसे में घरेलू उद्योग को विकसित देशों द्वारा ऊंचे शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वह सरकार को बताए कि जलवायु परिवर्तन उन्हें कैसे प्रभावित कर रहा है।

एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें

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टेक न्यूज़ डेस्क - नेटस्केप का वेब ब्राउजर, गूगल का सर्च इंजन और एप्पल का आईफोन ऐसे कुछ उत्पाद हैं जिन्होंने पिछले तीन दशकों में तकनीकी उद्योग को वास्तव में बदल दिया है। उनके सामने कोई टिक भी नहीं सकता। लेकिन, दो हफ्ते पहले एक प्रायोगिक चैटबॉट चैटजीपीटी जारी किया गया, जिसे उद्योग एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें में अगला बड़ा खिलाड़ी माना जा रहा है। इससे गूगल में हड़कंप मच गया है और गूगल प्रबंधन ने 'कोड रेड' जारी किया है। बीस से अधिक वर्षों के लिए, Google के खोज इंजन ने दुनिया के लिए इंटरनेट के प्राथमिक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य किया है। लेकिन, पहली बार गूगल को नई तरह की बॉट टेक्नोलॉजी की वजह से अपने सर्च बिजनेस के लिए बड़ा खतरा झेलना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल इन चैट बॉट्स को टक्कर देने में संघर्ष कर सकता है। यह नया चैटबॉट यानी चैटजीपीटी सिर्फ इंटरनेट से लिंक नहीं उठाता है। बल्कि यह स्पष्ट और आसान भाषा में जानकारी देता है। साथ ही यह चैटबॉट लोगों को बेहद आसान भाषा में कॉन्सेप्ट समझाता है, जिसे लोग समझ सकते हैं। यहां तक कि यह शुरुआत से ही विचारों को विकसित कर सकता है, व्यापार रणनीति की योजना बना सकता है, छुट्टियों की योजना बना सकता है, यहां तक कि क्रिसमस में उपहार देने का सुझाव भी दे सकता है। हालाँकि, ChatGPT में अभी भी सुधार की बहुत गुंजाइश है। लेकिन, अभी भी इसको लेकर गूगल प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है।

मंदी से अछूता रहेगा भारत, कोरोना वायरस से निपटने के लिए हमारी रणनीति सबसे अलग: वित्त मंत्री

वित्‍त मंत्री ने कहा कि बजट के समय परिस्थितियां कुछ और थीं और उसके बाद कुछ और बन गई.

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वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने कहा कि चालू वित्‍त वर्ष के पहले 7 महीनों में टैक्‍स रिसीट्स मे . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : December 21, 2022, 17:23 IST
वित्‍तमंत्री का दावा, सही दिशा में बढ़ रही देश की अर्थव्‍यवस्‍था.
चालू वित्‍त वर्ष के सात महीनों में आय में आया उछाल.
दुनिया भारत को मान रही आईलेंड ऑफ होप.

नई दिल्‍ली. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था मंदी (Recession) की चपेट में नहीं आएगी, भले ही दुनिया की बड़ी अ‍र्थव्‍यवस्‍थाएं इससे घिर जाएं. राज्‍यसभा में आज वित्‍त मंत्री ने कहा सरकार ने बजट अंडरएस्‍टीमेट नहीं किया था. उस समय की परिस्थितियों के अनुसार ही फंड का प्रावधान किया गया था. रूस-यूक्रेन युद्द एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें के कारण बदली परिस्थितियों के कारण सरकार ने सप्‍लीमेंट्री ग्रांट की डिमांड की है.

उत्तर प्रदेश में मुकुल अग्रवाल ने आयोजित किया सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रीडम कॉन्क्लेव, बना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

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मोदी पर विवादित बयान देने वाले बिलावल भुट्टो बाजवा के जाने के बाद पाक सेना की नई रणनीति को दोहरा रहे हैं

मोदी पर विवादित बयान देने वाले बिलावल भुट्टो बाजवा के जाने के बाद पाक सेना की नई रणनीति को दोहरा रहे हैं

पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किए गए निजी हमले से ऐसा लगता है कि यह पाकिस्तान की सोची-समझी चाल है जिसका प्रदर्शन देश की प्रभावशाली सेना के इशारे पर संयुक्त राष्ट्र में किया गया. राजनीतिक दखल के लिए जानी जाने वाली पाक सेना हाल ही में उथल-पुथल भरे बदलाव से गुजरी है और उसे नया सेना प्रमुख मिला है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस प्रतिक्रिया के जवाब में कि पाकिस्तान अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को अपने देश में पनाह देने वाला और आतंकवाद का केंद्र रहा है, बिलावल ने पीएम मोदी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की. भारत के विदेश मंत्रालय ने पलटवार करते हुए कहा, ‘ये टिप्पणियां पाकिस्तान के लिए भी बेहद निचले दर्जे की हैं. पाकिस्तान को निश्चित रूप से भारत पर आरोप लगाने का कोई हक़ नहीं है.’

जनरल बाजवा का ‘सिद्धांत’

पूर्व सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों का आह्वान किया और उनके नेतृत्व में पाकिस्तान ने खास तौर पर कूटनीतिक और सैन्य मामलों में भारत पर अपनी बयानबाजी को काफी हद तक कम किया.

दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम के लिए ऐसे समय में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जब दुनिया पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट के बाद पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और उसके बाद परमाणु युद्ध की आशंका जता रही थी. पुलवामा अटैक के बाद शोक में डूबे हुए देश में पाकिस्तान से बदला लेने की मांग तेज हो गई थी.

अपने रिटायरमेंट से पहले जनरल बाजवा ने एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें देश में मौजूद कई संकटों को दूर करके भारत जैसे पड़ोसियों के साथ शांति की राह पर चलने का रास्ता अख्तियार किया. उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ दोबारा संबंध बनाकर अपना पक्ष रखा.

क्या पीएम मोदी पर निजी हमला ‘बाजवा डॉक्ट्रिन’ के अंत का प्रतीक है? क्या पाक एक व्यापारिक रणनीति विकसित करें सेना अपनी भारत की रणनीति में बदलाव कर रही है?

नई रणनीति को समझने की जरूरत

पाकिस्तान के पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिलावल की टिप्पणी पाकिस्तान के अंदर राजनीतिक नेतृत्व की रणनीति में बदलाव दर्शाती है जो सामान्य राजनयिक और व्यापारिक संबंधों की बहाली के मुद्दे पर व्यापक बातचीत के लिए भारत को तैयार करने में विफल रही है.

जो भी हो, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार विश्वसनीयता के गंभीर संकट का सामना कर रही है और पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक पतन के कगार पर है. ऐसे में बिलावल को भारत के खिलाफ लोकलुभावन रुख अपनाने का सही समय मिल रहा है जो आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकता है.

वे पाक सेना की ओर से बोल रहे हैं या नहीं यह बहुत जल्द स्पष्ट नहीं होगा, लेकिन यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि वे खुद को एक निडर नेता के तौर पर पेश करने और देश के शक्तिशाली सैन्य गलियारों में भारत विरोधी मतदाताओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत काफी मजबूत स्थिति में है

पाकिस्तान में चल रही आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक ताकत के साथ कश्मीर पर अपनी नीति को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है. नई दिल्ली लगातार इस बात पर कायम रही है कि वह एकमात्र वार्ता कश्मीर के उस हिस्से पर करेगी जो पाकिस्तान के कब्जे में है.

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