Introduction
सुपरमार्केट, डेली, टेकएवे, रेस्तरां और कैफे जैसे सभी भोजन व्यवसायों को ऑस्ट्रेलिया के भोजन सुरक्षा कानूनों और मानकों का पालन करते हुए सेवन के लिए सुरक्षित और किसी भी संदूषण से मुक्त भोजन की बिक्री करनी होती है।
यहाँ तक कि दुनिया का सबसे अच्छा भोजन भी खराब हो सकता है, अगर गलत तरीके से इसका प्रबंध या स्टोरेज की जाए या पकाया जाए।
एक बार जब भोजन आपके हाथ में आ जाता है, तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे सेवन के लिए सुरक्षित रखें।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट: 180 देशों की सूची में भारत 85वें स्थान पर, लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय की जाती है।
भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत को 85वां स्थान मिला है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई गई है।
ऐसे होती है गणना
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? की जाती है। जहां शून्य अंक प्राप्त करने वाला देश सर्वाधिक भ्रष्ट होता है जबकि 100 अंक प्राप्त करने वाले देश को भ्रष्टाचार की दृष्टि से बेहद अच्छा माना जाता है।
भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर
भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी (एंटी करप्शन वॉचडॉग) की रिपोर्ट में दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देशों ने खराब स्कोर हासिल किया है। भारत को इस सूची में 40 अंकों के साथ 85वां स्थान मिला है। वहीं चीन (45), इंडोनेशिया (38), पाकिस्तान (28) और बांग्लादेश (26) अंकों के साथ इस सूची में विभिन्न स्थानों पर हैं। पाकिस्तान को इस सूची में 140वां स्थान दिया गया है।
भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार
सूचकांक के अनुसार, भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार आया है। भारत 2020 में 86वें स्थान पर था, जो 2021 में एक स्थान बढ़कर 85वें स्थान पर आया है। हमारे साथ ही मालदीव भी है। भूटान और चीन को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इससे नीचे हैं। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर आ गया है। हमारा एक और पड़ोसी बांग्लादेश 147वें स्थान पर है। हालांकि फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका 102वें स्थान पर है। तालिबान के शासन वाला अफगानिस्तान 174वें स्थान पर है। डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे उच्चतम स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं।
भारत के मामले को बताया चिंताजनक
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भारत के मामले को विशेष रूप से चिंताजनक बताते हुए कहा गया दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? है कि पिछले एक दशक में देश का स्कोर स्थिर रहा है, लेकिन कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकने में शासन को मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई हैं, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
पत्रकार और दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में
सूचकांक आधारित रिपोर्ट में कहा गया है, "पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में हैं क्योंकि ये पुलिस, राजनीतिक उग्रवादियों, आपराधिक गिरोहों और भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों के हमलों के शिकार हो रहे हैं।" रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, नफरत भरे भाषणों, अदालत की अवमानना के आरोपों और विदेशी फंडिंग के नियमों के साथ निशाना बनाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'सीपीआई के शीर्ष में शामिल पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ के देश कोविड-19 के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक दुसरे से लड़ना जारी रखे हुए हैं, जिससे क्षेत्र की स्वच्छ छवि को खतरा है। एशिया प्रशांत के कुछ हिस्सों में, अमेरिका, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में, जवाबदेही उपायों और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध भ्रष्टाचार को अनियंत्रित होने दे रहे हैं। जिससे ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले देश भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।'
विस्तार
भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत को 85वां स्थान मिला दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई गई है।
ऐसे होती है गणना
विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह रैंकिंग 0 से 100 अंकों के पैमाने का उपयोग कर तय की जाती है। जहां शून्य अंक प्राप्त करने वाला देश सर्वाधिक भ्रष्ट होता है जबकि 100 अंक प्राप्त करने वाले देश को भ्रष्टाचार की दृष्टि से बेहद अच्छा माना जाता है।
भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर
भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी (एंटी करप्शन वॉचडॉग) की रिपोर्ट में दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देशों ने खराब स्कोर हासिल किया है। भारत को इस सूची में 40 अंकों के साथ 85वां स्थान मिला है। वहीं चीन (45), इंडोनेशिया (38), पाकिस्तान (28) और बांग्लादेश (26) अंकों के साथ इस सूची में विभिन्न स्थानों पर हैं। पाकिस्तान को इस सूची में 140वां स्थान दिया गया है।
भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार
सूचकांक के अनुसार, भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार आया है। भारत 2020 में 86वें स्थान पर था, जो 2021 में एक स्थान बढ़कर 85वें स्थान पर आया है। हमारे साथ ही मालदीव भी है। भूटान और चीन को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश इससे नीचे हैं। पाकिस्तान सूचकांक में 16 स्थान गिरकर 140वें स्थान पर आ गया है। हमारा एक और पड़ोसी बांग्लादेश 147वें स्थान पर है। हालांकि फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका 102वें स्थान पर है। तालिबान के शासन वाला अफगानिस्तान 174वें स्थान पर है। डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूजीलैंड और नॉर्वे उच्चतम स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं।
भारत के मामले को बताया चिंताजनक
मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भारत के मामले को विशेष रूप से चिंताजनक बताते हुए कहा गया है कि पिछले एक दशक में देश का स्कोर स्थिर रहा है, लेकिन कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकने में शासन को मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई हैं, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
पत्रकार और सामाजिक दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में
सूचकांक आधारित रिपोर्ट में कहा गया है, "पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता विशेष रूप से खतरे में हैं क्योंकि ये पुलिस, राजनीतिक उग्रवादियों, आपराधिक गिरोहों और भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों के हमलों के शिकार हो रहे हैं।" रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षा, मानहानि, देशद्रोह, नफरत भरे भाषणों, अदालत की अवमानना के आरोपों और विदेशी फंडिंग के नियमों के साथ निशाना बनाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'सीपीआई के शीर्ष में शामिल पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ के देश कोविड-19 के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक दुसरे से लड़ना जारी रखे हुए हैं, जिससे क्षेत्र की स्वच्छ छवि को खतरा है। एशिया प्रशांत के कुछ हिस्सों में, अमेरिका, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में, जवाबदेही उपायों और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध भ्रष्टाचार को अनियंत्रित होने दे रहे हैं। जिससे ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले देश भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।'
Powerful Passports 2021: इस देश के पास दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट, लिस्ट में भारत को झटका
अगर दुनियाभर के पासपोर्ट के बीच एक ओलंपिक कराया जाए तो जापान सबको पीछे छोड़ देगा. 'हेनली पासपोर्ट इंडेक्स' के मुताबिक, जापानी पासपोर्ट 2021 का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट है. ये संस्था साल 2006 से लगातार 'वर्ल्ड मोस्ट ट्रैवल फ्रेंडली पासपोर्ट' की रैंकिंग जारी कर रही है. इस साल रैंकिंग में भारत को बड़ा नुकसान हुआ है.
'हेनली एंड पार्टनर्स' के मुताबिक, जापानी पासपोर्ट दुनिया के 193 देशों में वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल एक्सेस की सुविधा देता है. 193 के शानदार वीजा फ्री स्कोर के साथ जापान इस सूची में पहले पायदान पर है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोरोना वायरस संकट की वजह से इस साल बहुत कम लोगों ने ट्रैवल किया है. 2021 के पहले तीन महीनों में तो टूरिज्म का हाल पूरी दुनिया में बेहद खराब रहा है.
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इस लिस्ट में जापान के बाद दूसरे नंबर पर सिंगापुर है, जिसका पासपोर्ट 192 देशों में वीजा ऑन अराइवल और वीजा फ्री एक्सेस की सुविधा देता है. वहीं तीसरे स्थान पर 191 वीजा फ्री स्कोर के साथ दक्षिण कोरिया और जर्मनी काबिज हैं.
चौथे पायदान पर फिनलैंड, इटली, लग्जमबर्ग और स्पेन है. इन सभी देशों का वीजा फ्री स्कोर 190 है. कोरोना संकट के लिहाज से देखा जाए तो अमेरिका और ब्रिटेन के लिए ये बड़ा झटका है. तेज गति से हो रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बावजूद अमेरिका और ब्रिटेन सातवें स्थान पर हैं. हालांकि, पिछली बार की तुलना में यूके और यूएस ने एक पायदान की बढ़त हासिल की है.
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पासपोर्ट रैंकिंग में भारत को बड़ा झटका लगा है. भारतीय पासपोर्ट 6 स्थान पीछे खिसककर 84 से 90 पर पहुंच गया है. भारतीय पासपोर्ट दुनिया के कुल 58 देशों में फ्री वीजा की सुविधा देता है. इस पायदान पर भारत के अलावा सेंट्रल अफ्रीकी देश गैबोन और ताजिकिस्तान मौजूद हैं.
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पासपोर्ट रैंकिग लिस्ट में चीन और यूएई ने जबर्दस्त छलांग लगाई है. 2011 के बाद से चीन 22 पायदान ऊपर चढ़कर 90वें पायदान से 68वें स्थान पर पहुंच गया है. जबकि यूएई 65वें से 15वें स्थान पर जगह बनाने में कामयाब हुआ है.
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रैंकिंग में पाकिस्तान का हाल काफी बुरा है. पासपोर्ट रैंकिंग में पाकिस्तान 113वें पायदान पर है. जबकि अफगानिस्तान अंतिम स्थान पर है. अफगानिस्तान, इराक और सीरिया क्रमश: सबसे निचले स्थान पर हैं.
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रैंक में उत्तर कोरिया को भी 8 पायदान का नुकसान हुआ है. 39 देशों के लिए वीजा फ्री एक्सेस की सुविधा देने वाला उत्तर कोरिया का पासपोर्ट 100 से 108वें पायदान पर पहुंच गया है. इसके अलावा नेपाल, फिलिस्तीन, सोमालिया, यमन, पाकिस्तान, सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के पासपोर्ट को सबसे कमजोर बताया गया है.
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ये हैं टॉप-10 देश
1. जापान (193 डेस्टिनेशन्स)
2. सिंगापुर (192 डेस्टिनेशन्स)
3. जर्मनी, दक्षिण कोरिया (191 डेस्टिनेशन्स)
4. फिनलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, स्पेन (190 डेस्टिनेशन्स)
5. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क (189 डेस्टिनेशन्स)
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6. फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन (188 डेस्टिनेशन्स)
7. बेल्जियम, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका (187 डेस्टिनेशन्स)
8. चेक गणराज्य, ग्रीस, माल्टा, नॉर्वे (186 डेस्टिनेशन्स)
9. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा (185 डेस्टिनेशन्स)
10. हंगरी (184 डेस्टिनेशन्स)
Global Hunger Index 2022 Report: अब भी देश में भूख पर हाहाकार ! 107वें स्थान पर खिसका, जानें क्या कहती है रिपोर्ट
India Ranking In GHI Report 2022: इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है जहां पर एक बार फिर भारत भूख के मामले में खिसक गया है जी हां हाल ही में सामने आई ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) की लेटेस्ट रिपोर्ट में 121 देशों की सूची में देश को 107वां स्थान मिला है।जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है। पड़ोसी देश पाकिस्तान (99), बांग्लादेश (84), नेपाल (81) और श्रीलंका (64) भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं। एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? 109वें दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? स्थान पर है।
जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
आपको बताते चलें कि, ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को पीछे छोड़ा है। जैसे कि, इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) को वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण माना जाता है वहीं पर इसके मुताबिक, जीएचआई स्कोर की गणना 100 अंकों के पैमाने पर की जाती है जो भूख की गंभीरता को दर्शाता है, जहां शून्य सबसे अच्छा स्कोर है और 100 सबसे खराब. भारत का 29.1 का स्कोर इसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है।वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है तथा वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है। 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर’’ है। भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है।’’ भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? क्षेत्र दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है।
जानें भारत में कितने है कुपोषित
आपको बताते चले कि, अल्पपोषण (Undernourishment) की व्यापकता, जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाली आबादी के अनुपात का एक उपाय है, देश में 2018-2020 में 14.6% से बढ़कर 2019-2021 में 16.3% हो गई है। आपको बताते चलें कि, जिससे भारत में 224.3 मिलियन लोगों को कुपोषित माना गया है. वहीं विश्व स्तर पर कुपोषित लोगों की कुल संख्या 828 मिलियन है। आपको बताते चलें कि, वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है तथा वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है। 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘‘गंभीर’’ है। भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है।’’ भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गयी है। इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी अल्पपोषित है।
जानें क्या कहा
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2014 के बाद से वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की खतरनाक, तेज गिरावट। मोदी सरकार भारत के लिए विनाशकारी है। ‘बफर स्टाक’ से ऊपर बेहद कम खाद्य भंडार की वजह से महंगाई बढ़ रही है। 8.5 वर्ष में भारत को अंधकार के इस युग में लाने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।’’ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री बच्चों में कुपोषण, भूख, नाटेपन और ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ जैसे वास्तविक मुद्दों से कब निपटेंगे? भारत में 22.4 करोड़ लोगों को अल्पपोषित माना जा रहा है।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘2014 के बाद से मोदी सरकार के आठ वर्ष में हमारा ‘स्कोर’ खराब हुआ है, 16.3 प्रतिशत भारतीय अल्पपोषित हैं जिसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। हिंदुत्व, हिंदी थोपना और नफरत फैलाना भूख मिटाने की दवा नहीं है।’’
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