भारतीय रिजर्व बैंक का रेपो रेट 0.35% बढ़ाने का ऐलान
एमपीसी (MPC) के 6 में से 5 सदस्य दरें बढ़ाने के पक्ष में थे। जहां तक रुख का सवाल है तो एमपीसी के 6 में से 4 सदस्य अकोमोडेटिव रुख वापस लेने के पक्ष में दिखे। वहीं स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट बढ़कर 6% हो गया है। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट बढ़कर 6.50% हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि महंगाई अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, हालाकि खाद्य और एनर्जी की कीमतों में मामूली कमी देखने को मिली है। बैंकों के क्रेडिट में 8 महीने से डबल डिजिट ग्रोथ जारी है। महंगाई दर के अभी भी तय लक्ष्य के ऊपर रहने के आसार दिख रहे हैं। आरबीआई के मुताबिक अगले 12 महीने तक महंगाई दर 4% के ऊपर बने रहने की संभावना है। ग्रोथ में निजी खपत, निवेश की अहम भूमिका देखी गई है। ग्रामीण मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। निवेश की रफ्तार में सुधार देखने को लिक्विडिटी क्या है? मिला है। वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि अनुमान 6.8% का है। आरबीआई ने FY23 के लिए GDP वृद्धि अनुमान 7% से घटाकर 6.8% किया है। वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि अनुमान 4.6% से घटाकर 4.4% किया है। वहीं चौथी तिमाही के लिए 4.6% से घटाकर 4.2% किया गया है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 7.1% रहने का अनुमान है। वहीं वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में रिटेल महंगाई दर 5% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.4% रह सकता है। वहीं वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.8% से बढ़कर 5.9% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई दर अनुमान 6.7% पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई महंगाई दर 6% से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लिक्विडिटी में आगे और सुधार देखने को मिलेगा। लिक्विडिटी को लेकर आरबीआई किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आने देगा। लिक्विडिटी की दिक्कत होने पर LAF यानी (Liquidity adjustment facility) लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी लिक्विडिटी क्या है? ऑपरेशंस के जरिए पूंजी डालेगी। वहीं मनी मार्केट का समय अब सुबह 9 से शाम 5 बजे होगा। 2 दिसंबर तक 56,लिक्विडिटी क्या है? 120 करोड़ डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार पड़ा है। आरबीआई के मुताबिक भारत का विदेशी कर्ज अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कम है। आरबीआई ने एक अहम फैसला लेते हुए आईएफएससी (IFSC) में गोल्ड प्राइस रिस्क के हेजिंग को मंजूरी दी ही। इसका मतलब गोल्ड प्राइस रिस्क के एक्सपोजर को हेज किया जा सकेगा। वहीं भारत बिल पेमेंट की सेवाओं का दायरा और बढ़ाया जाएगा। 21 दिसंबर को MPC के मिनट्स जारी होंगे। आरबीआई के मुताबिक वैश्विक बाजारों में सुस्ती के बावजूद भारत का प्रदर्शन बेहतर है। महंगाई का सबसे खराब दौर पीछे रह गया है। आरबीआई का कहना है कि महंगाई के खिलाफ जारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। महंगाई पर अर्जुन की तरह नजर बनाए रखने की जरूरत है। आरबीआई को भरोसा है कि चालू खाता घाटा का आसानी से प्रबंधन किया जा सकेगा। फेड की दर भारत सहित दुनिया के लिए काफी अहम है। पिछले 3 साल में जरूरत के मुताबिक RBI ने कदम उठाए हैं।
कोर महंगाई के मुद्दे का समाधान करने की जरूरत पर आरबीआई ने जोर दिया है। माइकल पात्रा के मुताबिक 0.50% वाली बढ़ोतरी अब नहीं होगी, ये 0.35% बढ़ोतरी से ही साफ है। आरबीआई के इस कदम से न केवल व्यक्तिगत कर्ज बल्कि कॉरपोरेट्स के लिए भी कर्ज की लागत महंगी हो जाएगी। रेपो लिक्विडिटी क्या है? रेट वह दर होता है जिसपर बैंक आरबीआई से कर्ज उधार लेते हैं। आरबीआई के मुताबिक निजी खपत में बढ़ोतरी हो रही है। बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी मौजूद है।
Liquidity Adjustment Facility क्या है? Liquidity Adjustment Facility in Hindi?
नरसिंहम समिति (1998) की संस्तुति पर LAF को क्रमिक रूप से पहले अन्तरिम रूप में 1999 में तथा अन्तिम रूप में 2000 में लागू किया गया। यह बाजार में दिन प्रतिदिन आधार पर Liquidity Adjustment करता है। यह Repo के माध्यम से कार्य करता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत Reserve Bank ब्याज की भिन्न भिन्न दरों पर बाजार में Liquidity की आपूर्ति करता है। इसने 2000 में Additional collateralized Facility (ACLF) को प्रतिस्थापित किया। इसका प्रमुख उद्देश्य Money Market में स्थिरता सुनिश्चित करना है तथा यह देखना है कि बाजार व्याजदर वांछित सीमा के भीतर बनी रहे।
29 मार्च 2004 से एक नयी संशोधित LAF स्कीम लागू की गयी, जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार थीं
(i) 7 दिनी Repo प्रतिदिन किया जायेगा।
(i) एक दिन पहले पूर्व निर्धारित (स्थिर) Repo प्रतिदिन होगा।
(ii) एक दिन पहले निश्चित स्थिर दर पर उल्टा Repo नीलामी
इस प्रकार नयी स्कीम में RBI द्वारा Repo Rate समय-समय पर निर्धारित की जायेगी। उल्टी Repo की दर सामान्य रीपो दर से 1.5 प्रतिशत कम होगी। नयी स्कीम के तहत LAF की अवधि को 7 दिन से घटाकर 1 दिन कर दिया गया है।
• नकदी प्रबन्धन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 28 नवम्बर, 2005 को रिजर्व बैंक ने दूसरी LAF सुविधा शुरू की। पर दिनी उल्टा Repo की 3000 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा हटाने के बाद अगस्त 6,2007 से दूसरे LAF को समाप्त कर दिया गया है।
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लिक्विडिटी और बेस रेट पर RBI और बैंकों की बैठक आज
रिजर्व बैंक 27 जुलाई को इस वित्त वर्ष की पहली क्रेडिट पॉलिसी पेश करेगा।
- आवाज कारोबार
- Last Updated : लिक्विडिटी क्या है? July 12, 2010, 03:01 IST
नई दिल्ली। आज रिजर्व बैंक की बैंकों के साथ बैठक है। ये बैठक क्रेडिट पॉलिसी से पहले होने वाली बैठक है। इस बैठक में लिक्विडिटी की स्थिति और बेस रेट पर चर्चा होने के आसार हैं।
रिजर्व बैंक 27 जुलाई को इस वित्त वर्ष की पहली क्रेडिट पॉलिसी पेश करेगा। हालांकि इससे पहले ही RBI ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी भी कर दी है। इसके बावजदू उम्मीद है क्रेडिट पॉलिसी में और बढ़ोतरी हो सकती है।
बैंकों के साथ बैठक में इसकी जमीन तैयार होगी। रिजर्व बैंक इस बात का जायजा लेगा कि आगे बैंकों के पास नकदी की स्थिति क्या होगी और लोन की डिमांड किस तरह से रहने वाली है।
पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से महंगाई दर अभी भी लिक्विडिटी क्या है? ऊंची बनी हुई है और रिजर्व बैंक के सामने रेट बढ़ाकर इसे कंट्रोल करने की चुनौती है।
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पहले Paytm IPO हुआ फ्लॉप, अब शेयर बायबैक करेगी कंपनी, जानिए आपका फायदा है या नुकसान!
पेटीएम के आईपीओ ने पहले लोगों के पैसे डुबाए. अब कंपनी शेयर बायबैक करने पर विचार कर रही है. जानिए इसके क्या हैं मायने और पेटीएम शेयर बायबैक से निवेशकों को फायदा होगा या नहीं.
पेटीएम ( Paytm ) को आज के वक्त में कौन नहीं जानता है. करीब साल भर पहले ही नवंबर 2021 में पेटीएम का आईपीओ (Paytm IPO) आया था. उस वक्त इसे महाआईपीओ कहा जा रहा था, क्योंकि यह उस समय का सबसे बड़ा आईपीओ था. हालांकि, कंपनी ने आईपीओ ने लोगों को निराश किया. अब तक पेटीएम के आईपीओ में पैसा लगाने वाले निवेशकों का निवेश एक चौथाई तक रह गया है. इसी बीच अब पेटीएम ने घोषणा की है कि वह शेयर बायबैक (Share Buyback) करेगा. सवाल ये है कि अब हमें पेटीएम के शेयर बेच देने चाहिए या रुकना चाहिए. जानिए क्या लिक्विडिटी क्या है? हैं इसके मायने और आपको इससे फायदा होगा या नहीं.
कितने शेयर बायबैक कर रही है कंपनी?
पेटीएम के पास अभी करीब 9,182 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी है. अब कंपनी पूरी तरह से भुगतान किए गए इक्विटी शेयरों के बायबैक पर विचार कर रही है. कंपनी का मानना है कि पेटीएम की लिक्विडिटी और मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए बायबैक का फैसला कंपनी के शेयरधारकों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
क्या होता है शेयर बायबैक?
शेयर बायबैक वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत कोई कंपनी अपने ही शेयर्स को पब्लिक से वापस खरीद लेती है. इसके लिए कंपनी अपने शेयर की कीमत पर कुछ प्रीमियम भी चुकाती है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. जब कंपनी शेयर बायबैक करती है तो फिर बाजार में उसके आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है.
आखिर कंपनियां बायबैक क्यों करती हैं शेयर?
बायबैक की बात सुनकर हर कोई ये सोचता है कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर को वापस क्यों खरीदती हैं. कई बार अगर कंपनी के पास अतिरिक्त कैश हो जाता है और वह उसे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा पाती हैं तो वह शेयर बायबैक कर लेती हैं. इस तरह कंपनी अतिरिक्त कैश को खुद में ही निवेश कर देती हैं. अगर किसी कंपनी के पास अधिक नकदी होती है तो वह बैलेंस शीट में भी दिखती है और नकदी पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में कंपनियां उस नकदी का इस्तेमाल शेयर बायबैक कर के कर लेती हैं. कई बार कंपनियों को लगता है कि उनके शेयर की कीमत कम आंकी गई है, तो भी वह शेयर बायबैक कर लेती हैं, जिससे शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है. इससे निवेशकों में भी एक भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है, जो उसकी कीमत को बढ़ाती है.
निवेशकों को क्या फायदा?
जैसा कि शेयर बायबैक कुछ प्रीमियम पर होता है तो निवेशकों को इसका तो फायदा होता ही है. हालांकि, अगर आपने लंबे वक्त के हिसाब से पैसा लगाया है तो आपको बायबैक में शेयर नहीं बेचने चाहिए. उम्मीद होती है कि भविष्य में कंपनी और बेहतर प्रदर्शन करेगी और ज्यादा रिटर्न देगी. वहीं अगर आपने छोटी अवधि के लिए निवेश किया है तो बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए. वहीं अगर आपको लगे कि कंपनी का शेयर ओवरवैल्यूड है तो भी आपको शेयर बेचकर निकल जाना चाहिए. जो लोग सिर्फ ट्रेडिंग के मकसद से शेयर खरीदते हैं, उनके लिए तो यह मौका किसी गोल्डन चांस जैसा होता है.
पेटीएम ने डुबाए निवेशकों के पैसे
15 नवंबर 2021 को पेटीएम का आईपीओ आया था. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ था, जिसे महाआईपीओ कहा गया था. आईपीओ के तहत पेटीएम के शेयर की कीमत 2150 रुपये थी, लेकिन उसके बाद से गिरते-गिरते कंपनी के शेयर एक चौथाई के करीब आ चुके हैं. अभी पेटीएम का शेयर करीब 530 रुपये के करीब आ चुका है. सॉफ्टबैंक ने भी हाल ही में पेटीएम के करीब 200 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1630 करोड़ रुपये के शेयर बेचने का फैसला किया था. इसके बाद तो कंपनी के शेयर बुरी तरह लिक्विडिटी क्या है? टूटे थे.
क्या रहे दूसरी तिमाही के नतीजे?
पेटीएम के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ 7 नवंबर से, जब कंपनी के तिमाही नतीजे सार्वजनिक हुए. जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 571.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी तिमाही में 474.5 करोड़ रुपये था. वहीं अगर तिमाही आधार पर देखें तो कंपनी का घाटा कम हुआ है. जून तिमाही में पेटीएम का घाटा 645.4 करोड़ रुपये था. हालांकि, दूसरी तिमाही में पेटीएम का रेवेन्यू करीब 76.2 फीसदी बढ़ा था और 1914 करोड़ रुपये हो गया. यह पिछले साल 1086 करोड़ रुपये था. कमाई बढ़ने की वजहों में मर्चेंट सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू, मंथली ट्रांजेक्शन यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी से बिल पेमेंट में उछाल और लोन डिसबर्समेंट में मजबूत ग्रोथ शामिल हैं.
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सर्वाधिक तरलता अनुपात | statutory Liquidity Ratio
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