यहां संदेश प्रारूप वही होना चाहिए जो संदेश कार्यान्वयन दिशानिर्देशों में समझाया गया है। दिशानिर्देशों में प्रत्येक प्रकार के दस्तावेज़ के कुछ नमूना संदेश भी दिए गए हैं।

आइसगेट से संवाद

सभी निर्यातकों/आयातकों, कस्टम हाउस एजेंटों/एयरलाइंस/शिपिंग एजेंटों और व्यापार के सदस्यों से अनुरोध है कि वे भारतीय कस्टम ईडीआई गेटवे पर दस्तावेज दाखिल करने की सुविधा पर ध्यान दें, जिसे इसके बाद आइसगेट कहा जाएगा। सेवा केंद्र के माध्यम से दस्तावेज जमा करने और फ्लॉपी जमा करने की सुविधा, हालांकि, वर्तमान में व्यापार के सदस्यों के लिए उपलब्ध रहेगी।

शिपिंग बिल, बिल ऑफ एंट्री, आईजीएम, सीजीएम और ईजीएम दाखिल करने के लिए, इसमें शामिल प्रक्रिया इस प्रकार हैं

आरईएस पैकेज राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) द्वारा http://ices.nic.in पर उपलब्ध कराया गया है

आरईएस पैकेज का संचालन यानी बी/ई एंड एस/बी के निर्माण की प्रक्रिया वही होगी जो पहले आईसगेट पर दाखिल करने के लिए थी। हालाँकि, ICEGATE के मामले में दस्तावेज़ जमा करने की प्रक्रिया अलग है।

व्यापार के सदस्य जो एनआईसी द्वारा प्रदान किए गए आरईएस पैकेज का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, लेकिन आईसीईजीएटीई पर दाखिल करने के लिए शिपिंग बिल/बिल ऑफ एंट्री के निर्माण के लिए अपना स्वयं का सॉफ्टवेयर विकसित करना चाहते हैं, वे संदेश कार्यान्वयन दिशानिर्देशों का उल्लेख कर सकते हैं जो www.icegate.gov.in पर उपलब्ध है।

अनुलग्नक ए

ट्रांसमिशन प्रक्रिया

एसएमटीपी विकल्प का उपयोग करना विवरण छुपाएं

परिचय: (ए) आईसगेट ट्रेड के सदस्यों को अपने दस्तावेज़ दाखिल करने के लिए (सरल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) एसएमटीपी विकल्प के लिए एसएमटीपी विकल्प प्रदान करता है।
((बी) एसएमटीपी विकल्प का उपयोग करके दस्तावेज जमा करने के चरण: आईसीईजीएटीई को एसएमटीपी अटैचमेंट भेजने के लिए निम्नलिखित चरणों की आवश्यकता है:

  • चरण 1: बिल ऑफ एंट्री/शिपिंग बिल। व्यापारिक भागीदार से इलेक्ट्रॉनिक संदेश उत्पन्न करने के लिए रिमोट ईडीआई सिस्टम आरईएस या उसके स्थानीय एप्लिकेशन का उपयोग करने की अपेक्षा की जाती है।
  • चरण 2:
    1. ए. एसएमटीपी सूची में उपलब्ध एसएमटीपी ई-मेल सूची अनुसार ई-मेल पते के साथ इलेक्ट्रॉनिक संदेश संलग्न करें
    2. ख. JSON प्रारूप फ़ाइलों के लिए कृपया इसे [email protected] ईमेल पते के साथ संलग्न करे

    व्यापार प्रणाली


    व्‍यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के सरकार के एजेन्‍डा के अनुसार सभी हितधारकों को निरन्‍तर प्रोत्‍साहन देने एवं सहायता करने के लिए केन्‍द्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड के अधीन एक फील्‍ड संरचना के नाते दिल्‍ली सीमाशुल्‍क जोन वचनबद्ध है। लागू टैरिफ तथा व्‍यापार नीतियों के अनुसार न्‍याय संगत एवं पारदर्शी तरीके से राजस्‍व वसूली के लिए हम प्रयासरत हैं। हमारी कार्य योजना के हिस्‍से के रूप में, एक ओर हम व्‍यवसायियों को उनकी लागत प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मकता को बढ़ाने, स्‍वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्‍साहित करने तथा परस्‍पर विश्‍वास का निर्माण करने में उनकी मदद करने का प्रयत्‍न करते हैं और वहीं दूसरी ओर शुल्‍क चोरी, वाणिज्यिक धोखाधड़ी तथा तस्‍करी गतिविधियों को रोकने के उपाय करने के लिए भी संघर्षरत हैं । पूर्ण संदेश यहां पढ़ें

    मुख्‍य आयुक्‍त की डेस्‍क से –

    व्‍यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के सरकार के एजेन्‍डा के अनुसार सभी हितधारकों को निरन्‍तर प्रोत्‍साहन देने एवं सहायता करने के लिए केन्‍द्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड के अधीन एक फील्‍ड संरचना के नाते दिल्‍ली सीमाशुल्‍क जोन वचनबद्ध है। लागू टैरिफ तथा व्‍यापार नीतियों के अनुसार न्‍याय संगत एवं पारदर्शी तरीके से राजस्‍व वसूली के लिए हम प्रयासरत हैं। हमारी कार्य योजना के हिस्‍से के रूप में, एक ओर हम व्‍यवसायियों को उनकी लागत व्यापार प्रणाली प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मकता को बढ़ाने, स्‍वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्‍साहित करने तथा परस्‍पर विश्‍वास का निर्माण करने में उनकी मदद करने का प्रयत्‍न करते हैं और वहीं दूसरी ओर शुल्‍क चोरी, वाणिज्यिक धोखाधड़ी तथा तस्‍करी गतिविधियों को रोकने के उपाय करने के लिए भी संघर्षरत हैं ।

    आधुनिक जोखिम आधारित प्रबन्‍धन प्रणाली तथा गैर घुसपैठ जॉच तकनीक के प्रयोग के माध्‍यम से व्‍यापार सुविधा को बढा़ने की सरकार की समग्र नीति निर्देशों के हिस्‍से के रूप में सीमाशुल्‍क ड्यूटी संग्रहण, तस्‍करी एवं कर धोखाधड़ी की रोकथाम तथा सीमा नियंत्रण उपायों को लागू करने से संबंधित प्राथमिक कार्य को जोन में कार्यान्वित किया जा रहा है । आस्‍थगित शुल्‍क भुगतान, 24*7 निकासी, व्‍यापार सुविधा के लिए सिंगल विन्‍डो इन्‍टरफेस (स्विफ्ट) जैसे उपायों द्वारा कार्गो के प्रवास समय(ड्वेल टाइम) में कमी, निर्यात प्रक्रियाओं के सरलीकरण, ऑथराइज्‍ड इकोनोमिक आपरेटर्स(एईओ) योजना, बिल ऑफ एन्‍ट्री को अग्रिम दायर करना, कम डॉक्‍यूमेंटेशन तथा ई-संचित के माध्‍यम से दस्‍तावेजों को ऑन लाईन दायर करना और अन्‍य आधुनिक व्‍यापार प्रथाऍं आयात एवं निर्यात वस्‍तुओं की शीघ्र निकासी को सुगम बनाने के साधन के रूप में काम करते हैं। इसी प्रकार से, इंदिरा गॉधी अन्‍तर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा ,दिल्‍ली के आगमन एवं प्रस्‍थान टर्मिनल में यात्रियों एवं बैगेज की सीमाशुल्‍क निकासी को सुगम बनाने एवं विनियमित करने के लिए , हम अन्‍तर्राष्‍ट्रीय यात्रियों की पात्रता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म के उपयोग के साथ-साथ जोखिम आधारित यात्री प्रोफाईलिंग का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं ।

    वैश्विक व्यापार प्रणाली में अपनी भूमिका तय करे भारत: केरी

    भारत के लिए अपनी आधिकारिक यात्रा से पहले केरी ने कहा, हम जबकि दुनियाभर में व्यापार व निवेश के उदारीकरण के लिए अपने व्यापारिक भागीदारों के साथ काम कर रहे हैं, ऐसे में भारत को यह तय करना चाहिए कि वैश्विक व्यापार प्रणाली में वह कहां फिट बैठता है। नियम आधारित व्यापारिक प्रणाली व प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की इच्छा इसके लिए महत्वपूर्ण संकेतक होंगे। केरी ने समाचार पत्र में एक लेख में यह बात कही है। इस लेख को लिखने में वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिट्जकर ने भी सहयोग दिया है।

    अमेरिकी विदेश मंत्री केरी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत यात्रा पर आ रहे हैं। वह तीन दिन की आधिकारिक यात्रा के दौरान नयी दिल्ली में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ पांचवी भारत अमेरिका रणनीतिक वार्ता व्यापार प्रणाली की सहअध्यक्षता करेंगे।

    व्यापार अनुबंध

    व्यापार अनुबंध अन्य राज्यों या राज्यों के साथ व्यापार संबंधों के संबंध में कोई भी संविदात्मक उपाय हैं, जो द्विपक्षीय (दो राज्यों के बीच) या बहुपक्षीय (दो से अधिक राज्यों या देशों के बीच) हो सकते हैं। व्यापार समझौते टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाओं और एकमुश्त रोकथाम सहित कई प्रकार के एकतरफा बाधाओं को कम करने के दृष्टिकोणों में से एक हैं, इस प्रकार सभी पार्टियों को बढ़े हुए व्यापार के पारिश्रमिक के लिए अनावृत्त करता है । व्यापार अनुबंध में प्रवेश करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान रखने और स्थानीय कल्चर को व्यापार प्रणाली विदेशी हेरफेर से बचाने या संरक्षित करने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

    व्यापार अनुबंधों की विभिन्न सामान्य विशेषताएं हैं (1) पारस्परिकता, (2) सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) खंड, और (3) गैर टैरिफ बाधाओं का राष्ट्रीय उपचार। व्यापार प्रणाली भारत क्षेत्रीय व्यापार व्यवस्थाओं (आरटीए) को व्यापार उदारीकरण के समग्र उद्देश्य के लिए ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ के रूप में देखता है। इसलिए, यह कई आरटीए में भाग ले रहा है जिसमें मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) शामिल हैं; अधिमानी व्यापार समझौते (पीटीए); व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए); आदि। इन समझौतों को या तो द्विपक्षीय रूप से या एक क्षेत्रीय समूह में दर्ज किया जाता है। अधिक विवरण लिंक पर उपलब्ध हैं:

    नई व्यापार व निवेश व्यवस्था के व्यापार प्रणाली निर्माण का मौका

    यह कहना आम हो गया है कि आज वैश्वीकरण चौराहे पर है। ब्रेक्जिट से लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव तक, माइग्रेशन के खिलाफ पश्चिमी पलटवार से लेकर दुनियाभर में बढ़ती व्यापारिक बाधाओं तक, यह समय वैश्वीकरण के सिमटने का माना जा रहा है। वैश्विक कुलीनों की उदार व्यवस्था को पहले कभी ऐसी चुनौती नहीं दी गई और तमाम बहुआयामी संस्थान अपने ही विरोधाभासों से ढह रहे हैं। काेरोना वायरस के जोखिम के हमारे दैनिक जीवन में प्रवेश करने से पहले ही दुनिया विभक्त होने के कगार पर थी। यह 2008/09 के वित्तीय संकट से मौजूदा वित्तीय टूट तक पहुंचने की सीधी यात्रा है। यह वंचितों को प्रभावी शासन देने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने में दुनिया के राजनीतिक और आर्थिक कुलीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही व्यापार प्रणाली है। अब एक के बाद दूसरा देश खुद को अलग-थलग कर रहा है। कोविड-19 का प्रसार उस तरीके को चुनौती दे रहा है, हम जिसमें रहने के आदी थे और यह न केवल हमारे दैनिक जीवन को बल्कि वैश्विक क्रम को भी व्यवस्थित कर रहा है। जब यह शुरू हुआ तो ऐसा लग रहा था कि यह सिर्फ चीन की समस्या है। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रोस ने तो यहां तक कह दिया था व्यापार प्रणाली कि इस वायरस से नौकरियों के उत्तर अमेरिका लौटने की दर तेज होगी। जैसे-जैसे कोरोना वायरस का दुनिया में प्रकोप बढ़ा, इससे वैश्विक सप्लाई चेन पर प्रभाव पड़ने की बात करना फैशन सा हो गया। दुनिया की जो अर्थव्यवस्था पहले से ही हांफ रही थी, इस झटके ने शायद धन, सामान और लोगों की आपूर्ति बढ़ाने की उसकी अाखिरी उम्मीद को भी छीन लिया है। इस वायरस की वजह से चीन की शासन प्रणाली पर भी बहस होने लगी है। अनेक ऐसे लोग हैं, जाे कोराेना वायरस को लेकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की प्रतिक्रिया को शासन के चीनी मॉडल का अच्छा पहलू बता रहे हैं। ये लोग साथ ही भारत जैसे देशों की ऐसे संकट से निपटने की क्षमता पर सवाल भी उठा रहे हैं। इसका चीन पर बहुत प्रभाव पड़ा है, लेकिन अब भी उसके पास इससे उबरने की क्षमता है। चीन के लिए बड़ी चुनौती पश्चिम से आ रही है, जिसने सालों तक उसकी वैश्विक एकीकरण की नीति का समर्थन करने के बाद अब उससे मुंह व्यापार प्रणाली फेरना शुरू किया है। ट्रम्प की चीन के साथ टैरिफ को लेकर शुरू हुई लड़ाई ने पहले ही यह सुनिश्चित कर दिया था कि ग्लोबल असेंबली लाइन ने अब चीन से छिटकना शुरू कर दिया है। अब व्यापार और तकनीकी को अलग करने का एक कदम विवाद का नया मंच तैयार कर रहा है। इसमें वैश्वीकरण की उन बुनियादी बातों को भी चुनौती दी जाएगी, जिनके 1990 से हम अभ्यस्त हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अधिक से अधिक खुलेपन, खुले बाजार और खुली सीमाओं पर जोर देने वालों के आलोचकों को यह संकट मजबूती देगा। और उन लोगों को कमजोर करेगा, जो चुनौतियों के बावजूद वैश्वीकरण के लिए आवाज उठाते रहे हैं। वैश्वीकरण के खिलाफ हो रहा पलटवार और तेज होगा और इसे गति मिलती रहेगी। पश्चिम में तो ऐसा होना शुरू भी हो चुका है। खासकर वहां पर जहां मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने व्यापार और माइग्रेशन पर अपने लंबे समय से स्थापित रुख को बदलना शुरू कर दिया है। जैसे-जैसे दुनिया और विभाजित होगी, वैश्वीकरण को दोबारा खड़ा करना और चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। यह भारत जैसे देशों के लिए समस्या है, जिन्हें वैश्वीकरण से भारी लाभ हुआ है। इससे उन्हें सूचना व विचारों का मुक्त प्रवाह, धन व नौकरियां मिलीं और लोगों ने भारतीयों को इतना अमीर बनाया, जितने वे पहले कभी नहीं थे। लेकिन, जैसे ही तेजी से वैश्विक परिदृश्य उभरेगा, भारतीय नीतिनिर्धारकों को देखना होगा कि वैश्विक सप्लाई चेन में होने वाली हलचल से उत्पन्न होने वाले अवसरों में से अधिकाधिक को कैसे हासिल किया जाए और एक नई व्यापार व निवेश व्यवस्था का निर्माण किया जाए। यथार्थवादियों व्यापार प्रणाली का लंबे समय से तर्क रहा है कि अत्यंत आपसी संबद्धता अत्यंत संवेदनशीलता की ओर ले जाती है। लेकिन यह आसान सीख वैश्वीकरण के उग्र आशावाद की शिकार हो गई। जैसे ही यह आशावाद खत्म होने लगेगा, अधिक नुकसान का खतरा बढ़ेगा। पहले भी अनेक बार वैश्वीकरण का शोकगीत लिखा गया है। यह निश्चित ही इस ताजा प्रहार से भी उबर ही जाएगा। लेकिन, जिस रूप में यह बढ़ेगा, वह हमें चुनौती देगा कि हम उस दुनिया के बारे में अधिक रचनात्मकता से सोचें, जिसमें हम रहते हैं। इस तरह के कुछ पुनर्विचार ताजा खतरे के आने से पहले ही शुरू हो चुके हैं। अब इस ट्रेंड के और तेज होने की उम्मीद है।

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