इसके दोषी पाए जाने पर सीधे सजा का प्रावधान था

भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कौन संभालता है?

Key Points

  • भारत में, विदेशी विनिमय पर नियंत्रण कौन कौन सा बैंक रखता है भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 में रिजर्व बैंक के लिए विदेशी भंडार के संरक्षक के रूप में कार्य करने और परिभाषित उद्देश्यों के साथ भंडार का प्रबंधन करने के लिए सक्षम प्रावधान शामिल हैं।
  • विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक होने की शक्तियाँ, प्रथम दृष्टया, अधिनियम की प्रस्तावना में निहित हैं।
  • 1946 में, भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का सदस्य बन गया और उस समय से RBI के पास IMF के अन्य सभी सदस्य देशों के साथ निश्चित विनिमय दरों को बनाए रखने की जिम्मेदारी है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्राएं, स्वर्ण भंडार, एसडीआर, और आईएमएफ के पास जमा, ट्रेजरी बिल, बांड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियों जैसी संपत्तियां हैं।
  • अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में विदेशी विनिमय पर नियंत्रण कौन कौन सा बैंक रखता है होते हैं, जबकि चीन दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा आरक्षित धारक है।

फेरा और फेमा में क्या अंतर होता है?

सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम(FERA)पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य विदेशी मुद्रा का विदेशी विनिमय पर नियंत्रण कौन कौन सा बैंक रखता है सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा फेमा प्रस्तावित किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद 1999 में फेमा प्रभाव में आ गया.

FERA vs FEMA

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में विदशी मुद्रा बहुत ही सीमित मात्रा में होती थी; इस कारण सरकार देश में विदेशी विनिमय पर नियंत्रण कौन कौन सा बैंक रखता है इसके आवागमन पर नजर रखती थी. सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FERA) पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण सन 1997-98 के बजट में सरकार ने फेरा-1973 के स्थान पर फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) को लाने का प्रस्ताव रखा था. दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा फेमा पास किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद जून 1, 2000 को फेमा प्रभाव में आ गया था.
फेरा क्या है?
फेरा कानून का मुख्य कार्य विदेशी भुगतान पर नियंत्रण लगाना, पूँजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर नजर रखना और विदेशियों द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद को नियंत्रित करना था. इस कानून को देश में तब लागू किया गया था जब देश का विदेशी पूँजी भंडार बहुत ही ख़राब हालत में था. इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा के संरक्षण और अर्थव्यवस्था के विकास में उसका सही उपयोग करना था.
फेमा क्या है?
फेमा का महत्वपूर्ण लक्ष्य विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी कानूनों का संशोधन और एकीकरण करना है. इसके अलावा फेमा का लक्ष्य देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को बढ़ावा देना, विदेशी पूँजी और निवेश को देश में बढ़ावा देना ताकि औद्योगिक विकास और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. फेमा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के रखरखाव और सुधार को प्रोत्साहित करता है.
फेमा भारत में रहने वाले एक व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह भारत के बाहर संपत्ति को खरीद सकता है मालिक बन सकता है और उसका मालिकाना हक़ भी किसी और को दे सकता है.
आइये जानते हैं कि फेरा और फेमा में क्या अंतर है.

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