इस ट्रेडिंग मे कोई भी स्टॉक खरीदकर कुछ दिनो मे या कुछ ट्रेडिंग कैसे करते हैं हप्तो के अंदर बेच सकते हो इसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है .इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर loss और profit को आसानी से झेल सकते हो
लिवरेज क्या होता है?
तो हम उन में से प्रत्येक को समझने का प्रयास करते है | उत्तोलन - अगर सही ढंग से कहा जाए तो ये उधार के पैसे है| अब सवाल ये आता है के ये पैसे हमे कब मिलते है और कैसे काम में आते है उत्तोलन फंड की गुणा राशि है| ये अनुपात में होती है जैसे 1:50, 1:100, 1:200 और इसी तरह के अनुपात में मापा जाता है।
तो, अब समझते है के ये राशि कब मिलती है और इसका ट्रेडिंग में क्या फायदा होता है| मान लीजिये अगर आप 200,000 जमा करते हैं, और आपको ट्रेडिंग अप्प के द्वारा लिवरेज १:५० है तो आपको अपने खाते में $5,000 प्राप्त होंगे।
लेकिन सोचने वाली बात ये है के क्या सही में हमे ट्रेडिंग अप्प इतनी सारी राशि मुफ्त में दे देगी ? नहीं, जैसे मैने सुरु में ही बोलै था के ये उधर के पैसे है जो हमें हमारे ट्रेडिंग अप्प द्वारा ट्रेड करने के लिये मिलते है जो हमे लौटने भी पड़ते है|
"लिवरेज के फायदे और नुक्सान"
लिवरेज का सबसे बड़ा फायदा ये है के अगर हमारे पास राशि की कमी है तो लिवरेज की मद्त से हम फिर भी ट्रेड कर सकते है| जिससे हमे फायदा पहले की मात्रा में ज्यादा हो सकता है |
लिवरेज का नुक्सान ये है के, लिवरेज उधार का पैसा है जो हमे चुकाना ही पड़ेगा चाहे हमें फायदा हो या नुक्सान | ट्रेडिंग अप्प लिवरेज पर कुछ मात्रा में व्याज भी लेती है जो हमे चुकानी पड़ती है | अगर हम लिवरेज ब्रोकरेज फर्म को अदा नहीं कर पाये तो ये हमारी ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट में से सिक्योरिटीज को बेच कर उतनी राशि वसूल कर सकती है |
विदेशी मुद्रा व्यापार में एक पिप क्या है?
विदेशी मुद्रा व्यापार समझने के लिए पिप एक बढ़िया इंडिकेटर है| इसकी वजह भी बहोत ही साफ़ है| हम सब ये तो जानते है के फोरेक्स ट्रेडिंग में करेंसी पेअर को ट्रेड किया जाता है| जिसमे करेंसी की कीमत बदलती रहती है| ट्रेडिंग कैसे करते हैं और करेंसी में होने वाले सबसे छोटे बदलाव को ही फोरेक्स ट्रेडिंग में पिप कहा जाता है|
आम तौर पर पिप ०. ०००१ मूल्य परिवर्तन के बराबर होता है| जैसे Eur -USD पेअर के लिए अगर ट्रेडिंग रेट 1.4999 से बढ़कर 1.5001 हो जाती है, तो आपको टू-पाइप मूवमेंट मिलता है।
लेकिन, हर बार पिप की कीमत 0.0001ही हो ये जरुरी नहीं | जैसा की हमने पहले ही बताया के ये स्मॉलेस्ट करेंसी वैल्यू चेंज को दिखता है| तो अगर करेंसी पेअर अलग हो तो पिप्स की कीमत भी अलग होगी|
उदहारण के लिए USD-JPY पेअर बहोत ही जल्द बदलती है ये Eur -USD जितनी स्थिर नहीं, जैसे करेंसी की ट्रेड वैल्यू 103.34 से 103.36 तक बदलती है तो ऐसे में इन्हे 0.01 चेंज के रूप में देखा जाएगा| इसलिए इस उदहारण में 0.01 पिप होगी |
विदेशी मुद्रा व्यापार में स्प्रेड का क्या अर्थ है?
विदेशी मुद्रा व्यापार में प्रसार विदेशी मुद्रा दलाल की बिक्री (पूछना) दर और खरीद (बोली) दर के बीच का अंतर है जब विनिमय या व्यापारिक मुद्राएं होती हैं।
स्प्रेड, आस्क और बिड मूल्य के बीच का अंतर है, इसलिए यह निम्नलिखित कारकों के आधार पर संकरा या चौड़ा हो सकता है: मुद्रा जोड़ी, दिन का समय व्यापार शुरू होता है, बाजार में अस्थिरता, और आर्थिक स्थिति।
पुट ऑप्शन फार्मूला:
यदि आप पुट ऑप्शन की वैल्यू की गणना करना चाहते हैं, तो हमें 2 पैरामीटर की आवश्यकता होगी:
• एक्सरसाइज प्राइस
• अंडरलाइंग एसेट की करंट मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग किया जाता है, तो हम नीचे दिए गए सूत्र द्वारा, पुट ऑप्शन की वैल्यू का पता लगा सकते हैं:
वैल्यू= एक्सरसाइज प्राइस – अंडरलाइंग एसेट की मार्केट प्राइस
यदि ऑप्शन का उपयोग नहीं किया जाता, तो इसकी कोई वैल्यू नहीं होती हैं׀
पुट ऑप्शन प्रीमियम:
पुट ऑप्शन प्रीमियम की गणना करने के लिए, आपको आवश्यकता होगी:
• इन्ट्रिन्सिक वैल्यू
• टाइम वैल्यू
इन्ट्रिन्सिक वैल्यू की गणना करने के लिए, आपको अंडरलाइंग स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस और स्ट्राइक प्राइस की आवश्यकता होती है।
इन दोनों के बीच अंतर को इन्ट्रिन्सिक वैल्यू के रूप में जाना जाता है।
टाइम वैल्यू इस बात पर निर्भर करती है कि करंट डेट से एक्सपायरेशन डेट कितनी दूर है। साथ ही, वोलेटाइलिटी जितनी अधिक होगी, टाइम वैल्यू भी उतनी ही अधिक होगी׀
Put Options ट्रेडिंग:
एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है:
1. स्पेकुलेशन:
पुट ऑप्शन का व्यापक रूप से ट्रेडर द्वारा तब उपयोग किया जाता है जब अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस में आपेक्षित गिरावट होती है׀
2. इंकम जनरेशन:
ट्रेडर्स सिक्योरिटी को होल्ड करने के स्थान पर शेयरों पर पुट ऑप्शन को बेच भी सकते हैं׀
3. टैक्स मैनेजमेंट:
ट्रेडर्स केवल पुट ऑप्शन पर टैक्स का भुगतान करके स्टॉक पर होने वाले कैपिटल लाभ पर भारी टैक्स का भुगतान करना कम कर सकते हैं।
आप StockEdge वेब वर्जन का उपयोग करके अगले दिन ट्रेडिंग करने के लिए स्टॉक फ़िल्टर करने के लिए ऑप्शन स्कैन का उपयोग भी कर सकते हैं׀
महत्वपूर्ण बिंदु:
- पुट ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को अधिकार देता है, लेकिन अंडरलाइंग एसेट को एक विशिष्ट प्राइस, जिसे स्ट्राइक प्राइस भी कहा जाता है, पर बेचने की कोई बाध्यता नहीं देता है।
- पुट खरीदी पुट ऑप्शन की ट्रेडिंग के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है।
- पुट विक्रेता ऑप्शन के लिए प्राप्त प्रीमियम से लाभ के लिए वैल्यू खोने की उम्मीद के साथ ऑप्शन बेचते हैं।
- एक पुट ऑप्शन का उपयोग स्पेकुलेशन, इंकम जनरेशन, और टैक्स मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है।
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे
अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे
स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके
Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग
जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे ट्रेडिंग कैसे करते हैं शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है
वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे
शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान
अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी के fundamentals के बारे मे हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो
अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है
लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे
इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है
दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे
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पेपर ट्रेडिंग क्या है?(What is Paper Trading in Hindi): पेपर ट्रेडिंग को ‘मॉक ट्रेडिंग’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक नकली गेम जैसे है जो निवेश की गुर सिखाता है। अर्थात निवेश कैसे किया जाए इस बात को सिखाता है। इसमे सीखने की प्रक्रिया में इस खेल में कई रूप होते हैं। पेपर ट्रेडिंग में स्टाक मार्किट, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी, फ्यूचर सिम्युलेटेड ट्रेडिंग शामिल होता है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि पेपर ट्रेडिंग हमें शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के वास्तविक अनुभव को देने के लिए एक सिम्युलेटेड सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन वाला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होता है। इसे वर्चुअल ट्रेडिंग के नाम से भी जाना जाता है।
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