गुरुनानक विद्यालय , नोएडा
आधा मोमबत्तियाँ

Hindi (Course B) - Board Papers

एक कंपनी में, 12 कर्मचारी दिए गए समय में 111 मोमबत्तियाँ बना सकते हैं। समान समय में 148 मोमबत्तियाँ बनाने के लिए कितने व्यक्तियों को लगाया जाना होगा?

AFCAT 1 2023 Application Link Active. The Indian Air Force (IAF) began the AFCAT 1 2023 Registration on 1st December 2022 and the registration process will continue till 30th आधा मोमबत्तियाँ December 2022. For NCC Special Entry in the flying branch, NCC Air Wing C Certificate is mandatory. The AFCAT Entry exam will be conducted to recruit candidates in various branches such as Flying, Technical, Weapon Systems, Administration, Logistics, Accounts, Education & Meteorology. Check out AFCAT 1 2023 Eligibility here. The AFCAT Exam will be from 24th to 26th February 2023.

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आपके मानसून कैंडललाइट पार्टियों के लिए 5 आसान मोमबत्ती धारक विचार

मोमबत्ती स्टैंड

मोमबत्ती धारक रोशनी और अलंकरण दोनों प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के विन्यास, रंग, फैशन और बनावट को मिलाकर लालित्य और दक्षता का मिश्रण करता है। घर में मोमबत्ती जलाना एक आराम प्रभाव पड़ता है, चाहे उनकी सुगंध आपको घेर ले। साथ ही, आप अपने आप को लिविंग रूम में एक किताब में खो देते हैं या कैंडलस्टिक्स के आकर्षक संग्रह के साथ खाने की मेज पर रोमांटिक माहौल बनाते हैं।

अपने खुद के घर को आरामदायक और खुशी से सजाया हुआ महसूस कराने का प्रयास करना महत्वपूर्ण लगता है, चाहे आप इंटीरियर में सुधार करना चाहते हों या छुट्टियों के मौसम में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे हों। इसलिए, यह आपके परिवेश में उत्सव की झिलमिलाहट जोड़ने के लिए एक सेट या दो टेपर मोमबत्तियों पर पैसा खर्च करने का वर्ष हो सकता है।

जन्‍मदिन पर कैसे शुरू हुई मोमबत्‍ती को आधा मोमबत्तियाँ बुझाने की परंपरा

क्‍यों बुझाई जाती हैं केक पर लगी मोमबत्तियां

आजकल बर्थडे मनाने की परंपरा का चलन काफी बढ़ गया है। बच्‍चे ही नहीं अब हर उम्र के लोगों का बर्थडे काफी धूमधाम से मनाया जाने लगा है। बल्कि लोग अब बर्थडे विश करने के लिए रात के 12 बजे सरप्राइज पार्टी प्‍लान करते हैं और केक काटते हैं। बर्थडे केक पर लगी मोमबत्तियां बुझाई जाती हैं और लोग तालियां बजाकर सेलिब्रेशन करते हैं। हालांकि कुछ बुजुर्ग मोमबत्‍ती बुझाने को अच्‍छा नहीं मानते आधा मोमबत्तियाँ हैं। इसलिए वह एक या दो मोमबत्‍ती को जला रहने देते हैं। कभी सोचा है कि बर्थडे पर मोमबत्‍ती को बुझाने की परंपरा कैसे शुरू हुई। आइए आपको बताते हैं इस बारे में…

इस देश से हुई शुरुआत

इस देश से हुई शुरुआत

माना जाता है कि प्राचीन सभ्‍यता वाले देश ग्रीस यानी यूनान से मोमबत्‍ती को बुझाने की परंपरा आरंभ हुई। प्राचीन काल में यहां पर लोग केक पर जलती हुई मोमबत्‍ती को लेकर अपने पूजास्‍थल पर जाते थे और जलती हुई मोमबत्तियों से ग्रीक भगवान का चिह्न बनाते थे। फिर इन मोमबत्तियों को बुझाते थे। इनका ऐसा विश्‍वास था कि मोमबत्तियों का उड़ता हुआ धुंआ सीधे भगवान के पास जाता है। यूनानी सभ्‍यता में मोमबत्‍ती का धुंआ काफी शुभ माना जाता है।

जर्मनी से आरंभ

जर्मनी से आरंभ

केक पर मोमबत्तियां लगाने की परंपरा की शुरुआत जर्मनी से भी कुछ लोग मानते हैं। माना जाता है कि सबसे पहले जर्मनी में सन 1746 में केक पर मोमबत्‍ती लगाने की परंपरा आधा मोमबत्तियाँ का आरंभ हुआ। इस दिन यहां किसी बड़े और महान समाज सुधारक का जन्‍मदिन था। इस दिन यहां बड़ी संख्‍या में लोग एकत्र हुए थे और केक पर मोमबत्‍ती जलाकर त्‍योहार की तरह उनका जन्‍मदिन मनाया गया था। तब से केक पर मोमबत्‍ती लगाने की परंपरा चल पड़ी।

भारत में कैसे आई यह परंपरा

चार मोमबत्तियाँ : प्रेरणादायक कहानी | The Four Candles Motivational Story On Hope In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम चार मोमबत्तियों की प्रेरणादायक कहानी (The Four Candles Motivational Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. यह कहानी हमें जीवन में उम्मीद का दामन न छोड़ने की सीख देती हैं. पढ़िये Story On Hope आधा मोमबत्तियाँ In Hindi :

Table of Contents

The Four Candles Motivational Story In Hindi

The Four Candles Motivational Story In Hindi

रात का समय था. चारों ओर घुप्प अंधेरा छाया हुआ था. केवल एक ही कमरा प्रकाशित था. वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी.

चारों मोमबत्तियाँ एकांत देख आपस में बातें करने लगी. पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ. जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ. चारों ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है. ऐसे में यहाँ रहना बहुत मुश्किल है. मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती.” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई.

सीख (Moral Of The Story)

जीवन में समय एक सा नहीं रहता. कभी उजाला रहता है, तो कभी अँधेरा. जब जीवन में अंधकार आये, मन अशांत हो जाये, विश्वास डगमगाने लगे और दुनिया पराई लगने लगे. तब आशा का दीपक जला लेना. जब तक आशा का दीपक जलता रहेगा, जीवन में कभी अँधेरा नहीं हो सकता. आशा के बल पर जीवन में सबकुछ पाया जा सकता है. इसलिए आशा का साथ कभी ना छोड़े.

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