कई बार घर का वास्तु खराब होने के कारण व्यक्ति कई परेशानियों में घिरा रहता है। या फिर किसी की कुंडली में दोष हो तो उसकी वजह से भी इंसान को कई मुसीबतों का कौन सा सिक्का चुनना है? सामना करना पड़ता है। कोई बार ऐसा होता है कि कोई परिवार का सदस्य हमेशा बीमारियों से परेशान रहता है या फिर घर के किसी सदस्य को बुरी नजर लग जाती है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आपके पास मौजूद एक रुपये का सिक्का बहुत कारगर साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे करें एक रुपये के सिक्के से ये उपाय।
अगर किसी व्यक्ति को बहुत समय से कोई रोग परेशान कर रहा है तो उसके सिरहाने एक कटोरी में सेंधा नमक और एक रुपए का सिक्का रख दें। कहते हैं कि इससे उस व्यक्ति को उस रोग से जल्दी ही छुटकारा मिल सकता है।
1 रुपए का सिक्का, बदल सकता है आपके जीवन का किस्सा
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कई बार घर का वास्तु खराब होने के कारण व्यक्ति कई परेशानियों में घिरा रहता है। या फिर किसी की कुंडली में दोष हो तो उसकी वजह से भी इंसान को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कोई बार ऐसा होता है कि कोई परिवार का सदस्य हमेशा बीमारियों से परेशान रहता है या फिर घर के किसी सदस्य को बुरी नजर लग जाती है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आपके पास मौजूद एक रुपये का सिक्का बहुत कारगर साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे करें एक रुपये के सिक्के से ये उपाय।
अगर किसी व्यक्ति को बहुत समय से कोई रोग परेशान कर रहा है तो उसके सिरहाने एक कटोरी में सेंधा नमक और एक रुपए का सिक्का रख दें। कहते हैं कि इससे उस व्यक्ति को कौन सा सिक्का चुनना है? उस रोग से जल्दी ही छुटकारा मिल सकता है।
कोई बहुत टाइम से अपने रोग को लेकर परेशान हैं तो 1 रुपए का सिक्का तकिए के नीचे रखकर सोएं। सुबह उठते ही रुपये को श्मशान में भेज दें। यह उपाय भी आपको सेहतमंद रखेगा।
घर में किसी बच्चे को नजर लग जाती है तो वह रोना शुरु कर देता है। वह रोना बंद नहीं करता है और इसके साथ ही दूध पीना भी बंद कर देता है। एक रुपये की मिर्ची खरीद कर लाएं और नजर उतारें। इससे बहुत जल्दी आपको परिणाम देखने को मिलेगा।
अगर कौन सा सिक्का चुनना है? इन कौन सा सिक्का चुनना है? सबसे कोई फायदा नहीं हो रहा है तो एक रुपये के सिक्के और मौली को एक साथ नाप करके रखें बिस्तर के पास रखें और सुबह इसे शिव जी को पूरे विश्वास के साथ चढ़ाएं।
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इसके बाद मौर्य साम्राज में कौन सा सिक्का चुनना है? चंद्रगुप्त मौर्य ने चांदी, सोने, तांबे और सीसे के सिक्के चलवाए। इस समय चांदी के सिक्के को रुप्यारुपा, सोने के सिक्के को स्वर्णरुपा, तांबे का सिक्के को ताम्ररुपा और सीसे के सिक्के को सीसारुपा कहा जाता था।
इसके बाद इंडो-ग्रीक कुषाण राजाओं ने सिक्कों पर तस्वीरें अंकित करने की शुरुआत की। यह परंपरा अगली आठ सदियों तक चलती रही। इससे प्रभावित होकर कई राजवंशों, और राज्यों कौन सा सिक्का चुनना है? ने अपने खुद के सिक्के बनाने शुरू कर दिए।
इन सिक्कों पर एक तरफ राजा की तस्वीर छपी होती थी और दूसरी तरफ उन देवताओं की, जिन्हें वो मानते थे। सबसे ज्यादा सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय गुप्त साम्राज्य को दिया जाता है। इनके सिक्कों में संस्कृत में लिखा होता था। 12वीं शताब्दी कौन सा सिक्का चुनना है? में दिल्ली के तुर्क सुल्तानों ने सिक्कों से राजाओं की तस्वीरें हटा कर इस्लामी कैलिग्राफी में लिखना शुरू कर दिया।
इस वक्त कौन सा सिक्का चुनना है? भी सोने, चांदी और तांबे के सिक्के लोगों के बीच थे। अब इन सिक्कों को 'टंका' कहा जाता था और कम मूल्य वाले सिक्कों को 'जीतल'। इस वक्त मुद्रा का मापदंड तय होने लगा था। दिल्ली सल्तनत ने अलग-अलग मूल्य के सिक्कों को बाजार में उतारा।
मुगल साम्राज्य के प्रारंभ से यानि 1526 ईसवी से पूरे साम्राज्य के लिए एक संयुक्त और मजबूत मौद्रिक प्रणाली कौन सा सिक्का चुनना है? सामने आई। हुमायूं को हराने के बाद शेरशाह सूरी ने नए नागरिक और सैन्य प्रशासन की स्थापना की। शेरशाह ने 178 ग्रेन्स वजन का चांदी का सिक्का जारी किया।
साल 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आने से पहले यह सिक्का प्रसिद्ध हो चुका था। ब्रिटिश सरकार ने भारत में पाउंड लाने की कोशिश की, लेकिन रुपए के आगे ऐसा हो न सका। साल 1717 में अंग्रेजों ने मुगल राजा फारुख़सियर से ब्रिटिश मुद्रा को बॉम्बे मिंट में बनाने की इजाजत ली।
ब्रिटिश राज के सोने के सिक्कों को कैरोलिना चांदी के सिक्कों को एंगलिना और तांबे के सिक्कों को कॉपरून कहा। छोटे-छोटे सिक्कों को टिनी कहा जाता था। 18वीं शताब्दी में सबसे पहले कागज की मुद्रा को छापा गया था।
कागज की मुद्रा को सबसे पहले बैंक ऑफ हिंदुस्तान, जनरल बैंक इन बंगाल, और द बंगाल बैंक ने जारी किया। भारत का सबसे पुराना नोट, दो सौ पचास सिक्का रुपये का Bank of Bengal ने जारी किया था, 3 सितंबर 1812 की तारीख कौन सा सिक्का चुनना है? लिखी है।
मगर, 1857 के आंदोलन के बाद ब्रिटिश सरकार ने रुपए को औपचारिक रूप से सरकारी मुद्रा घोषित कर दिया।इन नोट और सिक्कों पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी थी। 1862 में रानी विक्टोरिया के सम्मान में उनकी तस्वीर वाले बैंक नोट छापे गए और उसके बाद कई और राजाओं की तस्वीरें छपती रहीं।
औपचारिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक 1935 में स्थापित हुआ और भारतीय सरकार की मुद्रा छपने लगी। RBI ने अब तक सबसे ज्यादा मूल्य का नोट 10,000 रुपए का जारी किया, जिसे आजादी के बाद बंद कर दिया गया।
जनवरी 1938 में भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे पहला नोट पांच रुपए का जारी किया कौन सा सिक्का चुनना है? था। इस नोट पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी थी। भारत के आजाद होने के बाद 15 अगस्त 1950 को 'आना कौन सा सिक्का चुनना है? सिस्टम' सामने आया।इस वक्त ब्रिटिश राजा की तस्वीर को सारनाथ के अशोक स्तंभ से बदल दिया गया।
साल 1955 में इंडियन कॉइनेज (एमेंडमेंट) एक्ट के बाद एक अप्रैल 1957 से ‘दशमलव प्रणाली’ पेश की गई। अब एक रुपए में 100 पैसे होन लगे थे। इनका आकार ऐसा रखा गया कि नेत्रहीन लोग भी इसे पहचान लें।
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