(4) NCD में बेशक आपको बेहतर इंटरेस्ट मिलता है, लेकिन इसमें रिस्क भी रहता है. इसलिए एफडी के मुकाबले सिर्फ एक या डेढ फीसदी ज्यादा ब्याज मिले तो आपके लिए एनसीडी अच्छा विकल्प नहीं होगा. क्योंकि टैक्स निकालने के बाद आपका प्रॉफिट बेहद कम रह जाएगा.

फटाफट कैश देने की आदत है तो सावधान, टैक्स विभाग थमा सकता है नोटिस

Vedanta : शुक्रवार को बोर्ड बैठक में हो सकता है बड़ा ऐलान, निवेशक इन 5 बातों का रखें ध्यान

अगर आपने वेदांता का शेयर खरीदा है तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 9 दिसंबर यानी शुक्रवार को बोर्ड बैठक होने जा रही है. इस बैठक में फंड जुटाने पर विचार हो सकता है. कंपनी NCDs के जरिए 500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. अब आपको दो तरह के निवेशक सबसे पहले एनसीडी के बारे में बताते हैं. NCD यानी Non Convertible Debentures होता हैं. इन्हें आमतौर पर दो तरह के निवेशक कंपनियां ही जारी करती हैं. बड़े कॉर्पोरेट हाउसेस सीधे लोगों से लोन लेते हैं. इसके बदले कंपनी आपको एक टोकन देती है जिसमें आपके पैसे पर मिलने वाली ब्याज दर लिखी रहती है. जब आप एनसीडी में पैसा लगाते हैं तो आप किसी कंपनी या बड़े ऑर्गेनाइजेशन को डायरेक्टली पैसा उधार देते हैं. इसमें कंपनियां दो तरह के निवेशक अक्सर एफडी में मिलने वाली ब्याज दर से ज्यादा इंटरेस्ट देती हैं.

एकमुश्त कैलकुलेटर: ऑनलाइन एकमुश्त निवेश योजना कैलकुलेटर का उपयोग करने का तरीका जानें

एकमुश्त निवेश कैलकुलेटर निवेशकों को एकमुश्त निवेश पर रिटर्न का अनुमान लगाने में सहायता करता है। एक को बस आवश्यक जानकारी दर्ज करनी होती है और कैलकुलेटर दिए गए डेटा के आधार पर अनुमानित परिपक्वता मूल्य की गणना करेगा।

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Money9: स्मार्ट बीटा फंड पर बढ़ा भरोसा, क्या आपको भी करना चाहिए निवेश?

Money9: स्मार्ट बीटा फंड पर बढ़ा भरोसा, क्या आपको भी करना चाहिए निवेश?

Money9: निवेश करने के मामले में आमतौर पर निवेशक दो तरह का रवैया अपनाते हैं. पहला एक्टिव अप्रोच और दूसरा पैसिव अप्रोच. पैसिव अप्रोच वाले निवेशक कम खर्च दो तरह के निवेशक में इक्विटी, बॉन्ड या कमोडिटी में निवेश करते हैं. दूसरी तरफ, दूसरे निवेशक ऐसे होते हैं जो ज्यादा खर्च के लिए तैयार होते हैं और एक्टिव मैनेजर्स की मदद से व्यापक स्टाइल, रणनीति और विकल्पों का चुनाव करते हैं.लेकिन स्मार्ट बीटा फंड (smart-beta funds) ने इस परंपरागत बंटवारे को खत्म कर दिया है. निवेश का यह तरीका हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय हुआ है. ये फंड परंपरागत तरीके से मैनेज होने वाले निवेश जैसे कि ETF से बेहतर रिटर्न देने की कोशिश करते हैं.

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एकमुश्त निवेश कैलकुलेटर निवेशकों को एकमुश्त निवेश पर रिटर्न का अनुमान लगाने में सहायता करता है। एक को बस दो तरह के निवेशक आवश्यक जानकारी दर्ज करनी होती है और कैलकुलेटर दिए गए डेटा के आधार पर अनुमानित परिपक्वता मूल्य की गणना करेगा।

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स्टॉक मार्केट में नए हैं तो निवेश के लिए फुल सर्विस ब्रोकरेज की सेवाएं बेहतर

प्रतीकात्मक फोटो - Dainik Bhaskar

यूटिलिटी डेस्क. स्टॉक मार्केट के डिजिटलाइजेशन ने ट्रेडिंग में काफी बदलाव कर दिया है। टेक्नालॉजी में बदलाव आने से ऑनलाइन और रियल टाइम ट्रेडिंग आसान हो गई है। रोजाना हजारों स्टॉक्स की ट्रेडिंग होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अच्छे स्टॉक्स दो तरह के निवेशक को चुनने की क्षमता और ट्रेडिंग की क्षमता केवल कुछ निवेशकों के पास ही होती है। निवेशकों के पास स्टॉक ट्रेडिंग के लिए दो तरह की सेवाएं मौजूद हैं- फुल सर्विस ब्रोकरेज और डिस्काउंट ब्रोकरेज। आमतौर पर फुल सर्विस ब्रोकरेज के पास बड़ा पोर्टफोलियो होता है और वे रिसर्च, सलाह, वेल्थ मैनेजमेंट और रिलेशनशिप मैनेजर जैसी सेवाएं ऑफर करते हैं। उनके पास अपने ग्राहकों के लिए डेडिकेटेड सर्विस होती है। इसके उलट डिस्काउंट ब्रोकरेज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर केवल इक्विटी को बेचने और खरीदने की ही सुविधाएं मुहैया कराते हैं और वे केवल सलाह या रिसर्च सेवाएं नहीं देते हैं। इन ब्रोकरेज की उपस्थिति भी ज्यादा नहीं होती और रिलेशनशिप मैनेजर जैसी सेवाएं भी नहीं होती है, कोई समस्या आने पर निवेशकों को फोन पर केवल रिकॉर्डेड मैसेज ही ज्यादा दो तरह के निवेशक दो तरह के निवेशक सुनने को मिलता है। लागत कम करने के लिए यह फर्में ऑफिस स्पेस या स्टाफ पर ज्यादा खर्च नहीं करती है और रिसर्च सर्विस, आईपीओ अप्लीकेशन, म्यूचुअल फंड या रिलेशनशिप मैनेजर जैसी सेवाएं मुहैया नहीं कराती हैं। अगर डिस्काउंट ब्रोकरेज से तुलना करें तो फुल सर्विस ब्रोकरेज की सेवाएं अपेक्षाकृत महंगी है, लेकिन अतिरिक्त सेवाओं के कारण फुल टाइम ब्रोकरेज की सेवाएं लंबे समय में निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित होता है। डिस्काउंट ब्रोकरेज आमतौर पर एक समान शुल्क चार्ज करते हैं जबकि फुल सर्विस ब्रोकरेज परसेंटेज के रूप में चार्ज करते हैं।

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