आरबीआई ने दिसंबर में रेपो दर 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर यह भी संकेत दिया कि नीतिगत दर में वृद्धि की गति अब धीमी होगी। खुदरा मुद्रास्फीति नरम पड़कर नवंबर में 5.8 प्रतिशत पर आ गयी है। इसको देखते हुए कई विश्लेषकों ने कहा है कि आने वाले समय में नीतिगत दर में वृद्धि थमेगी। एमपीसी की बैठक के ताजा ब्योरे से भी इस बात की पुष्टि होती है। इसका एक कारण आर्थिक वृद्धि को गति देना भी है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

Gautam Adani : पाकिस्तानी स्टॉक मार्केट में है जितना पैसा उतना एक साल में कमा ले गए गौतम अडानी

गौतम अडानी (Gautam Adani) का सिक्का इस साल दुनिया में खूब चमका है। दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में वे कुछ समय तक नंबर 2 पर भी रहे। साल 2022 अब समाप्त होने को है और इस समय अडानी 116 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं। हाल ही में विदेशी मुद्रा व्यापार समय अडानी ग्रुप के शेयरों (Adani Group Shares) में आई गिरावट के बावजूद गौतम अडानी की संपत्ति में इस साल अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के मुताबिक इस साल अडानी ने अपनी संपत्ति (Gautam Adani Networth) में 39.9 अरब डॉलर जोड़े हैं। खास बात यह है कि दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों में से वे ही अकेले हैं जिनकी संपत्ति में इस साल बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 का साल उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं रहा। इस साल शेयर बाजारों में तेज बिकवाली देखी गई और वैश्विक मंदी की आशंकाएं छाई रहीं।

सौंदर्य, स्वास्थ्य और जीवन शैली विकल्प

मत्स्य, (संस्कृत: "मछली") हिंदू भगवान विष्णु के 10 अवतारों (अवतार) में से एक। इस रूप में विष्णु ने दुनिया को एक महान बाढ़ से बचाया। पहले आदमी मनु ने एक छोटी सी मछली पकड़ी जो विशाल आकार की हो गई। बाढ़ आने पर मनु ने अपनी नाव को मछली के सिर के सींग से बांधकर स्वयं को बचाया। कुछ प्रारंभिक लेख मछली-उद्धारकर्ता को प्रजापति के रूप में संदर्भित करते हैं (जिनकी पहचान बाद में ब्रह्मा के साथ विलय कर दी गई)। बाद में सूत्रों ने उनकी पहचान विष्णु के रूप में की।

Year 2022 : Inflation Target को हासिल करने में नाकाम रहने और Digital Currency को लेकर सुर्खियों विदेशी मुद्रा व्यापार समय में रहा RBI

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिये यह साल मिला-जुला रहा। आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार लक्ष्य के अनुसार महंगाई को काबू में नहीं रख पाया वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर तथा अपने प्रयासों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा। अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, ऐसे में नये साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है।

खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है। नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही। इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही। इसकी वजह से तय व्यवस्था के अनुसार आरबीआई को पत्र लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई को लक्ष्य के अनुसार काबू में क्यों रख सका।

Year Ender 2022: पूरे साल इन वजहों से सुर्खियों में रहा RBI, महंगाई से करना पड़ा दो-दो हाथ, जानें कितना सफल रहा केंद्रीय बैंक

Year Ender 2022: 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही.

Year Ender 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिये यह साल मिला-जुला रहा. आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार टारगेट के मुताबिक महंगाई (inflation target) को काबू में नहीं रख पाया, वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर और अपनी कोशिशों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा. भाषा के मुताबिक, अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, विदेशी मुद्रा व्यापार समय ऐसे में नए साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है. खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है.

retail inflation लगातार नौवें महीने उच्चतम सीमा से ऊपर

खबर विदेशी मुद्रा व्यापार समय के मुताबिक, नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर विपरीत असर पड़ सकता है. 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही. इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही. इसकी वजह से तय व्यवस्था के मुताबिक, आरबीआई (RBI) को लेटर लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई (inflation target) को लक्ष्य के मुताबिक काबू में क्यों रख सका. साथ यह भी बताना पड़ा कि आखिर मुद्रास्फीति कब चार प्रतिशत पर आ सकती है.

आरबीआई (reserve Bank of India) को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. बढ़ती महंगाई का एक प्रमुख कारण इस साल फरवरी में रूस का यूक्रेन पर हमला रहा. इससे जिंसों खासकर कच्चे तेल के दाम पर असर पड़ा. हालांकि, महंगाई के मामले में भारत की स्थिति दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर है और यह राहत की बात रही. कई देशों में महंगाई दर 40-40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई. बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अचानक से बैठक कर इस साल चार मई को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. इससे पहले, लंबे समय तक रेपो दर को यथावत रखा गया था.

तीन बार Repo Rate में 0.50-0.50% की बढ़ोतरी

कई विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाने में देरी की. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है. उसके बाद लगातार विदेशी मुद्रा व्यापार समय तीन बार रेपो दर में 0.50-0.50 और दिसंबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की गई. आरबीआई ने दिसंबर में रेपो दर 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर यह भी संकेत दिया कि नीतिगत दर में वृद्धि की गति अब धीमी होगी. खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) नरम पड़कर नवंबर में 5.8 प्रतिशत पर आ गई है. इसको देखते हुए कई विश्लेषकों ने कहा है कि आने वाले समय में नीतिगत दर में वृद्धि थमेगी. एमपीसी की बैठक के ताजा ब्योरे से भी इस बात की पुष्टि होती है. इसका एक कारण आर्थिक वृद्धि को गति देना भी है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है.

जरुरी जानकारी | मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहने, विदेशी मुद्रा व्यापार समय डिजिटल मुद्रा को लेकर सुर्खियों में रहा आरबीआई

जरुरी जानकारी | मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहने, डिजिटल मुद्रा को लेकर सुर्खियों में रहा आरबीआई

मुंबई, 26 दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिये यह साल मिला-जुला रहा। आरबीआई जहां एक तरफ पहली बार लक्ष्य के अनुसार महंगाई को काबू में नहीं रख पाया वहीं पायलट आधार पर डिजिटल रुपया जारी कर तथा अपने प्रयासों से बैंकों के बही-खातों को मजबूत करने में सफल रहने से सुर्खियों में रहा।

अब जब मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में आ रही है, ऐसे में नये साल में अब जोर आर्थिक वृद्धि को गति देने पर हो सकता है। खासकर मई, 2022 के बाद से नीतिगत दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है। नीतिगत दर में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि पर विदेशी मुद्रा व्यापार समय प्रतिकूल असर पड़ सकता है। 12 अक्टूबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही। इसके साथ, यह पहली बार हुआ हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने छह प्रतिशत की उच्चतम सीमा से ऊपर रही। इसकी वजह से तय व्यवस्था के अनुसार आरबीआई को पत्र लिखकर सरकार को यह बताना पड़ा कि आखिर वह महंगाई को लक्ष्य के अनुसार काबू में क्यों रख सका। साथ यह भी बताना पड़ा कि आखिर मुद्रास्फीति कब चार प्रतिशत पर आ सकती है।

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