डीमैट खाते की विशेषताएं
धन्नी बाई* ने बचपन में अपनी माँ और चाची से हाथ की कढ़ाई सीखी थी। कई सालों तक वह शौक़िया तौर पर कढ़ाई का काम करती रहीं और फिर 2007 में रंगसूत्र के लिए कढ़ाई वाली चीजें बनाने लगीं। रंगसूत्र एक कारीगर द्वारा चलाई जाने वाली शिल्प कम्पनी है। मौक़ा मिलते ही वह कम्पनी की शेयरहोल्डर भी बन गई। उसका शेयर प्रमाणपत्र उसके घर की दीवार पर परिवार के फ़ोटो के बगल में टंगा हुआ है। “यही एक ऐसा कागज़ है जिस पर मेरा नाम है… हम जिस घर में रहते डीमैट खाते की विशेषताएं हैं वह मेरे पति के नाम पर है और हमारी खेती वाली ज़मीन के मालिक मेरे ससुर हैं।” शेयरधारक बन जाने से धन्नी बाई जैसे कलाकारों को नियमित काम मिलने लगता है और साथ ही कम्पनी के लाभ में उनका हिस्सा भी तय हो जाता है। नियमित आय हो जाने से धन्नी बाई जैसे कारीगरों का उनके परिवार में आर्थिक योगदान भी होता है और उन्हें अपनी पहचान मिल जाती है।
रंगसूत्र के 2,000 ग्रामीण कारीगरों में सत्तर प्रतिशत महिलाएं हैं। इनके लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है विशेष रूप से जब बात अनुपालन की आती है। 2018 में पारित एक क़ानून में सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के डीमैट खाते की विशेषताएं सभी शेयरों को डीमैटरियलाइज़ करने का प्रावधान लाया गया। सरल अर्थों में यह भौतिक शेयरों (सर्टिफिकेट) को इलेक्ट्रॉनिक शेयरों में बदलने की प्रक्रिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि रंगसूत्र के सभी शेयरधारकों के पास डीमैट खाता होना अनिवार्य है। डीमैट खाता खुलवाने के लिए पैन और आधार कार्ड दोनों ही अनिवार्य होता हैं। धन्नी बाई जैसी ज़्यादातर गांव की औरतों के पास पैन कार्ड नहीं होता है। सीमित आय होने के कारण ये औरतें आय कर का भुगतान भी नहीं करती हैं। अधिकतर औरतें विशेष रूप से वृद्ध औरतें न तो अपना हस्ताक्षर कर सकती हैं और न ही लिख या पढ़ सकती हैं। हस्ताक्षर के बदले ये औरतें अंगूठे का निशान लगाती हैं। डीमैट खाता खुलवाने के लिए हस्ताक्षर अनिवार्य है और अंगूठे का निशान वैध नहीं होता है। इसलिए शेयर धारक के हस्ताक्षर वाला नया पैन कार्ड बनवाना ज़रूरी होता है। आधार सत्यापन प्रणाली में आवेदक के फ़ोन पर आने वाले ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की ज़रूरत होती है। भारत के गांवों में अब भी ज़्यादातर औरतों के पास अपना निजी फ़ोन नहीं है। लब्बोलुआब यह है कि भारत की ग्रामीण महिला कारीगरों के लिए डीमैट खाता खुलवाना एक जटिल प्रक्रिया है।
ज़्यादातर कारीगर निकट भविष्य में अपना शेयर नहीं बेचने वाले हैं। इसलिए कारीगरों के लिए शेयर से संबंधित किसी भी तरह का लेन-देन करने, लिक्विडिटी को सक्षम बनाने के लिए डीमैट खाता खुलवाना बहुत ज़रूरी है। इसकी जटिल प्रक्रिया को थोड़ी देर के लिए नज़रंदाज़ कर देखें तो यह भारत की कारीगर अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
*गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिया गया है।
सुमिता घोष रंगसूत्र की संस्थापक और एमडी हैं। रंगसूत्र 200 मिलियन कारीगरों के साथ काम करती है और आईडीआर में #ग्राउंडअपस्टोरीज़ की कंटेंट पार्टनर संस्था है।
अधिक जानें: जानें कि भारत को अपने कारीगर अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की आवश्यकता क्यों है।
अधिक करें: रंगसूत्र के काम के बारे में विस्तार से जानने के लिए सुमिता घोष से [email protected] पर डीमैट खाते की विशेषताएं सम्पर्क करें।
जीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट क्या है? इसके बारे में सब जानकारी
सेविंग्स अकाउंट बैंक द्वारा दिए जाने वाली एक डिपोसिट अकाउंट सुविधा है जिसमें आप अपनी सेविंग्स जमा कर सकते हैं। आमतौर पर, बैंक आपके खाते में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की शर्त पर सेविंग्स अकाउंट की ऑफर करते हैं। नहीं तो, आप मेंटेनेंस फी भरने के लिए जिम्मेदार होंगे। मगर, कुछ तरीके का सेविंग्स अकाउंट मिनिमम बैलेंस को मैंडेट नहीं करते हैं, उन्हें ज़ीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट कहते है। सरल भाषा में कहे तो - आप एक सेविंग्स अकाउंट खोल सकते हैं जिसमें आपको मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की ज़रूरत नहीं है|
ज़ीरो-बैलेंस बचत खाते की विशेषताएं:
मिनिमम बैलेंस नहीं है|
जैसा कि खाते के नाम बताता है, यह एक ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट है। इसलिए, आपको मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की ज़रूरत नहीं है। नतीजा, ज़ीरो बैलेंस के मामले में कोई पेनल्टी नहीं है। इस तरीके का अकाउंट खोलते समय ग्राहकों के लिए यह मुख्य आकर्षण है।
आसान ट्रांसक्शन
आप इस अकाउंट से विविध नेटबैंकिंग सुविधाओं के द्वारा अपना पेमेंट कर सकते हैं। आप इस अकाउंट से बिजली, फोन और पानी के बिल भी भर सकते हैं।
मोबाइल बैंकिंग और नेटबैंकिंग
आप नेटबैंकिंग सुविधाओं के द्वारा अपने बैंक स्टेटमेंट की जांच कर सकते हैं, पैसा भेज सकते हैं और पा सकते हैं। और आप यह सब कंप्यूटर या अपने फोन से कर सकते हैं।
क्या आपको जीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट खोलना चाहिए?
एक ज़ीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट परेशानी मुक्त बचत की सुविधा देता है। लेकिन डीमैट खाते की विशेषताएं डीमैट खाते की विशेषताएं कुछ कमियां हैं जो आपके बैंकिंग अनुभव को एफेक्ट कर सकती हैं:
रिस्ट्रिक्टेड ट्रांसक्शन्स
ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट में आपके मंथली ट्रांसक्शन नंबर की एक लिमिट होती है। आमतौर पर, बैंक सिर्फ चार मंथली विथड्रावल की अनुमति देते हैं। यदि आप परमिटेड नंबर से ज़्यादा विथड्रावल करते हैं, तो बैंक आपके ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट को एक रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में बदल देता है। कुछ बैंक इन एक्स्ट्रा ट्रांसक्शन्स के लिए आपसे मामूली शुल्क भी ले सकते हैं।
काम या कोई इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स नहीं है|
एक रेगुलर सेविंग्स अकाउंट के विपरीत, ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट आपको FD, RD में निवेश शुरू करने का ऑप्शन्स नहीं देते हैं, यहां तक कि डीमैट अकाउंट खोलने का भी ऑप्शन्स डीमैट खाते की विशेषताएं नहीं देते हैं।
कोई ज़्यादा बैंकिंग सुविधा नहीं है|
जैसे की ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट एक बेसिक अकाउंट है, आप उन्नत बैंकिंग सुविधाओं जैसे इन्शुरन्स कवरेज, आसान लोन एक्सेस, इंस्टेंट मनी ट्रांसफर, क्रेडिट कार्ड एक्सेस, विशेषाधिकार और रिवार्ड्स आदि के एक्सेस नहीं कर सकते हैं।
ज़ीरो-बैलेंस अकाउंट के ये नुकसान आपकी एफशिएंट फिनांशियल प्लानिंग के रास्ते में आ सकते हैं और इमरजेंसी के दौरान बाधा बन सकते हैं। इसलिए मिनिमम बैलेंस सेविंगस अकाउंट रखना ज़्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। एचडीएफसी बैंक मिनिमम बैलेंस सेविंग्स अकाउंट खोलकर, आप अट्रैक्टिव ऑफर्स डीमैट खाते की विशेषताएं और डील्स को एन्जॉय कर सकते हैं, आसान लोन एक्सेस और इंस्टेंट फंड ट्रांसफर* के एलिजिबल बन सकते हैं। यहां तक कि आप स्वीप फैसिलिटी , लॉकर फैसिलिटी, अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड, ऑटोमेटेड बिल पेमेंट, डिस्कोउन्ट्स लाभ, और भी बहुत कुछ पा सकते हैं। निवेश करना भी है आसान और सबसे इम्पोर्टेन्ट बात यह है कि आप AMB (एवरेज मंथली बैलेंस) के नॉन-मेंटनेंस चार्जेस से बच सकते हैं।
एचडीएफसी बैंक आपकी सभी ज़रूरतों के हिसाब से अलग अलग तरीके के सेविंग्स अकाउंट ऑफर करता है। चाहे आप सैलरीड एम्प्लोयी हों, होममेकर हों, स्टूडेंट हों, बिज़नेस ओनर हों या वर्किंग प्रोफेशनल हों - एचडीएफसी बैंक आपके लिए एकदम सही बैंकिंग पार्टनर है।
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