Written By: Amrish Kumar Yadav @theamrishkumar
Updated on: August वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? 27, 2022 18:41 IST

indian-economy-thinkstock

निवेश करते समय अफवाहों से कैसे निपटें?

आप कितनी बार ऐसे परिचित लोगों से मिलते हैं जिन्होंने शेयर बाजार में अपना पैसा गंवा दिया होता है क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि बाजार में अगले पल क्या होगा या फिर जिन्होंने पैसा कमाया क्योंकि उन्हें पता था कि बाजार कहाँ जा रहा था? यहाँ तक कि बेहतरीन मार्केट विश्लेषक भी सही भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं कि अगले पल बाजार कैसे आगे बढ़ेगा क्योंकि फ़ाइनेंशियल मार्केट मनोभाव से चलते हैं और बाजार के मनोभाव बाजार की खबरों पर निर्भर करते हैं।

एक निवेशक आजकल बाजार की खबरों को आसानी से जान सकता है जो असल में सही हो सकती हैं या अफवाह या वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? महज अटकलें हो सकती हैं। जहाँ सही खबरों पर आधारित निवेश के फैसले अच्छे परिणाम दे सकते हैं, वहीं अफवाहों या अटकलों पर आधारित निवेश के फैसलों से निवेशकों को नुकसान हो सकता है।

बिहेवियरल फाइनेंस वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? थ्योरी के अनुसार, निवेशक स्वभाव से तर्कहीन होते हैं यानी शोध और जांच करके निवेश नहीं करते हैं, बल्कि झुंड मानसिकता की मानसिकता के साथ अलग-अलग मानसिक और भावनात्मक पूर्वाग्रहों से प्रभावित होते हैं। इसलिए, वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? बाजार की कोई भी गलत जानकारी निवेशकों में घबराहट पैदा कर सकती है जिससे निवेशकों की संपत्ति को भारी नुकसान हो सकता है।

अर्थव्यवस्था में मंदी आने के प्रमुख संकेत क्या हैं?

growth-india-bccl

यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है.

हाइलाइट्स

  • अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने पर आर्थिक गतिविधियों में चौतरफा गिरावट आती है.
  • इससे पहले आर्थिक मंदी ने साल 2007-2009 में पूरी दुनिया में तांडव मचाया था.
  • मंदी के सभी कारणों का एक-दूसरे से ताल्लुक है. आर्थिक मंदी का भय लगातार घर कर रहा है.

1. आर्थिक विकास दर का लगातार गिरना
यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था या किसी खास क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर को विकास दर कहा जाता है.

यदि देश की विकास दर का जिक्र हो रहा हो, वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? तो इसका मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार से है. जीडीपी एक निर्धारित अवधि में किसी देश में बने सभी उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का जोड़ है.

शेयर बाजार में 80 लाख गंवाने के बाद आई 'समझ', खड़ा कर दिया बिजनेस, सब्सक्राइबर 2 करोड़ पार!

2008 की मंदी में अजय लखोटिया को शेयर बाजार में 80 लाख रुपये का लॉस हुआ.

2008 की मंदी में अजय लखोटिया को शेयर बाजार में 80 लाख रुपये का लॉस हुआ.

2008 की मंदी में अजय लखोटिया को शेयर बाजार में 80 लाख रुपये का लॉस हुआ. उन्होंने बाद में एशिया का पहला सोशल इन्वेस्टमें . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 05, 2022, 18:03 IST
2008 से पहले वे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाने के लिए एक रेस में दौड़ रहे थे.
2008 में शेयर बाजार क्रैश होने पर उनकी आंखें खुलीं और हकीकत नजर आई.
उन्होंने स्टॉकग्रो नाम का एक सोशल इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म बनाया है.

नई दिल्ली. एक दशक पहले जब शेयर बाजार को भारी वित्तीय संकट ने घेरा था, तब अजय लखोटिया नाम का एक शख्स भी इसकी चपेट में आया था. 2008 अजय के लिए एक अच्छा साल नहीं था. 2008 से पहले वे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाने के लिए एक रेस में दौड़ रहे थे. इस समय एशिया के पहले सोशल इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म StockGro के सीईओ और फाउंडर अजय लखोटिया ने बाजार में उस गिरावट के दौरान 80 लाख रुपये गंवा दिए थे.

RBI Report: रंग आईं Reserve Bank Of India की कोशिशें, विदेशी मुद्रा भंडार घटने की रफ़्तार हुई कम

Amrish Kumar Yadav

Written By: Amrish Kumar Yadav @theamrishkumar
Updated on: August 27, 2022 18:41 IST

RBI- India TV Hindi

Photo:PTI RBI

भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।

आज के टॉप गेनर्स, टॉप लूजर्स

आज के टॉप गेनर्स में NTPC, INDUSINDBK, KOTAKBANK, DRREDDY, वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? MARUTI, SBI शामिल हैं. वहीं टॉप लूजर्स में TECHM, Infosys, HCL, HUL, Titan, ICICI Bank, TCS शामिल हैं.

सरकार 2,700 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए 680 रुपये प्रति शेयर के फ्लोर प्राइस पर ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिए IRCTC में 5 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचेगी. ओएफएस में 2 करोड़ शेयर या 2.5 फीसदी हिस्सेदारी का वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? बेस इश्‍यू साइज शामिल है, जिसमें 2.5 फीसदी से अधिक ओवर सब्‍सक्रिप्‍शन रखने का विकल्प है. जिससे कुल इश्‍यू साइज 4 करोड़ शेयर या 5 फीसदी हो जाता है.

अमेरिकी बाजार गिरावट पर बंद

बुधवार को यूएस फेड द्वारा रेट हाइक के बाद अमेरिकी बाजार टूटकर बंद हुए. बुधवार को Dow Jones में 142 अंकों की गिरावट रही और यह 33,966.35 के लेवल पर बंद हुआ. S&P 500 इंडेक्स में 0.61 फीसदी कमजोरी रही और यह 3,995.32 के लेवल पर बंद हुआ. जबकि Nasdaq Composite में 0.76 फीसदी कमजोरी रही और यह 11,170.89 के लेवल पर बंद हुआ.

ब्रेंट क्रूड में तेजी देखने को मिली है. इंटरनेशनल मार्केट वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? में क्रूड 82 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. जबकि पिछले हफ्ते यह 74 से 75 डॉलर तक कमजोर हुआ था. अमेरिकी क्रूड भी 77 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है. यूएस में 10 साल की बॉन्ड यील्ड 3.508 फीसदी के लेवल पर है.

एशियाई बाजारों में बिकवाली

एशियाई बाजारों की बात करें तो SGX Nifty में 0.32 फीसदी कमजोरी है तो निक्केई 225 में 0.27 फीसदी की गिरावट है. स्ट्रेट टाइम्स में 0.52 फीसदी और हैंगसेंग में 1.72 फीसदी कमजोरी नजर आ रही है. ताइवान वेटेड में 0.28 फीसदी और कोस्पी में करीब 1 फीसदी गिरावट है. शंघाई कंपोजिट भी 0.42 फीसदी टूट गया है.

अमेरिका के वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve) ने ब्याज दरों में एक बार फिर से इजाफा करने का फैसला किया है. यूएस फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. फेड वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? रिजर्व ने यह भी कहा कि साल 2023 में भी महंगाई को कम करने के लिए आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी. इससे पहले भी यूएस फेड रिजर्व ने इस साल 4 बार ब्याज दरों में इजाफा किया है.

FII और DII डाटा

14 दिसंबर को भारतीय शेयर बाजारों में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) नेट बायर्स रहे. NSE पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 14 दिसंबर को FIIs ने वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? 372.16 करोड़ का निवेश किया. वहीं इस दौरान डोमेस्टिक इंस्‍टीट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स (DIIs) ने भी 926.45 करोड़ की खरीदारी की.

आज यानी 15 दिसंबर को 4 शेयर F&O बैन में हैं. इनमें Bharat Heavy Electricals, Delta Corp, Indiabulls Housing Finance और Gujarat National Fertilizers शामिल हैं.

रेटिंग: 4.82
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 187